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विवाद के बीच सैम पित्रोदा ने छोड़ा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष पद 

विवाद के बीच सैम पित्रोदा ने छोड़ा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष पद 

भारत में रह रहे अलग-अलग नस्ल-जाति और रंग के लोगों और भारत की विविधता पर आए सैम पित्रोद के बयान पर विवाद के बाद उनको इंडियन ओवरसीज कांग्रेस में पद छोड़ना पड़ा है। जानिए, आख़िर क्या घटनाक्रम घटा।

एक के बाद एक विवादास्पद बयानों के बीच सैम पित्रोदा को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा है। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि उन्होंने बुधवार को अपनी मर्जी से इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। 

भारत में रह रहे अलग-अलग नस्ल-जाति और रंग के लोगों और भारत की विविधता पर सैम पित्रोदा के आए बयान पर बुधवार को दिन में विवाद हो गया था। द स्टेट्समैन को दिए एक इंटरव्यू में पित्रोदा ने भारत की विविधता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कैसे दक्षिण के लोग अफ्रीकियों की तरह दिखते हैं, पूर्व के लोग चीनी की तरह दिखते हैं और पश्चिम के लोग अरब की तरह दिखते हैं। इसी बयान को लेकर बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बना दिया और कांग्रेस पर हमला शुरू कर दिया। दिनभर की हलचल के बीच सैम पित्रोदा के इस्तीफे की ख़बर शाम तक आ गई। कांग्रेस महासचिव प्रभारी (संचार) जयराम रमेश ने कहा है कि उनका इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्वीकार कर लिया है।

जयराम रमेश ने कहा है, 'सैम पित्रोदा ने अपनी मर्जी से इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटने का फैसला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने उनके फैसले को स्वीकार कर लिया है।'

पित्रोदा का इस्तीफा द स्टेट्समैन को दिए एक साक्षात्कार में उनकी ताजा टिप्पणी के कुछ घंटों बाद आया है। इंटरव्यू में उन्होंने यह कहते हुए भारत की विविधता पर जोर देने की कोशिश की थी कि 'पूर्व में लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम में लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर में लोग शायद सफेद जैसे दिखते हैं और दक्षिण में लोग अफ़्रीकी जैसे दिखते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता। हम सभी भाई-बहन हैं।'

पित्रोदा ने इंटरव्यू में कहा, 'भारत के लोग 75 वर्षों से एक बहुत ही खुशहाल माहौल में रहे हैं। लोग इधर-उधर के कुछ झगड़ों को छोड़कर एक साथ रह सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'भारत के लोग विभिन्न भाषाओं, धर्मों, भोजन और रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग हैं। यह वह भारत है जिसमें मैं विश्वास करता हूं, जहां हर किसी के लिए एक जगह है और हर कोई थोड़ा-बहुत समझौता करता है।'

वैसे, कहा तो यह भी जा रहा है कि इस पूरे इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं कहा है। लेकिन इसी इंटरव्यू के अलग-अलग अंश को काटकर सोशल मीडिया पर उनपर हमला किया गया। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने इसको मुद्दा बनाया।

पीएम मोदी ने कहा कि देश के लोग चमड़ी के रंग के आधार पर अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, 'शहजादे, आपको जवाब देना होगा। मेरा देश चमड़ी के रंग के आधार पर मेरे देशवासियों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा। मोदी इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।'

इस बीच कांग्रेस ने तुरंत ही पित्रोदा की टिप्पणियों से दूरी बना ली। जयराम रमेश ने कहा, 'भारत की विविधता को बताने के लिए सैम पित्रोदा द्वारा पॉडकास्ट में दी गई मिसालें सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन मिसालों से खुद को पूरी तरह अलग करती है।'

पित्रोदा ने पिछले महीने भी एक विवाद को जन्म दिया था, जब उन्होंने कहा था कि अमेरिका में विरासत कर एक दिलचस्प कानून है और यह उन मुद्दों में से एक हो सकता है जिन पर भारत में लोग बहस और चर्चा करें। उनकी टिप्पणी को प्रधानमंत्री मोदी ने लपक लिया था और छत्तीसगढ़ में एक रैली में गांधी परिवार और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कह दिया था कि पार्टी की नजर अब सभी भारतीयों की संपत्ति पर है।

उन्होंने कहा था, 'अब ये लोग एक कदम आगे बढ़ गये हैं। कांग्रेस अब कहती है कि वह विरासत कर लगाएगी। यह माता-पिता से प्राप्त विरासत पर कर लगाएगी। आपने अपनी मेहनत से जो संपत्ति अर्जित की है वह आपके बच्चों को नहीं दी जाएगी। कांग्रेस के पंजे आपसे वह भी छीन लेंगे।'

इससे कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने एक अन्य चुनावी रैली में कहा था, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बाँटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बाँटेंगे। घुसपैठिए को बाँटेंगे। ...ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बाँट देंगे। और उनको बाँटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।' 

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