राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद यह अहम बात सामने आई है कि बड़ी संख्या में विपक्षी सांसदों और विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। इन सांसदों और विधायकों ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है। बीजेपी ने दावा किया है कि संसद के दोनों सदनों के 17 विपक्षी सांसदों और देश भर में 126 विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है।
जैसे बीजेपी शासित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नतीजे आने के बाद कहा कि वह अन्य दलों के उन विधायकों को भी, जो बीजेपी के नहीं हैं लेकिन उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है उनका आभार व्यक्त करते हैं।
इस बात से यह संकेत जरूर मिलता है कि ये विधायक और सांसद द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनते देखना चाहते थे। द्रौपदी मुर्मू को कुल 64.03 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए जबकि यशवंत सिन्हा को 35.97 प्रतिशत वोट मिले।
बीजेपी नेताओं के मुताबिक, गुजरात में 10 विधायकों ने, असम में 22, उत्तर प्रदेश में 12, मध्य प्रदेश में 20 और गोवा में 4 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। इसके अलावा बिहार और छत्तीसगढ़ में भी विपक्ष के छह-छह विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में क्रॉस वोटिंग की है।
द्रौपदी मुर्मू को आंध्र प्रदेश, नगालैंड और सिक्किम के सभी विधायकों के वोट मिले। उन्हें केरल से भी एक वोट मिला है जबकि यहां की विधानसभा में बीजेपी का कोई विधायक नहीं है। हालांकि बीजेपी नेताओं का दावा था कि एनडीए की उम्मीदवार को इस बार 70 फीसद वोट मिलेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, दिल्ली से अच्छे वोट मिले। 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को 522 सांसदों का समर्थन मिला था जबकि मुर्मू के समर्थन में 540 सांसद आगे आए।
विपक्षी एकता ढही
चुनाव प्रचार के दौरान यह साफ दिखाई दिया कि एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाने के बाद विपक्षी एकता ढह गई थी। अब सवाल ये है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी क्या विपक्षी एकता भरभरा कर गिर जाएगी। क्योंकि विपक्ष शासित राज्य ओडिशा में सरकार चला रही बीजेडी और तमिलनाडु में सरकार चला रही डीएमके ने एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का समर्थन किया है जबकि पश्चिम बंगाल में सरकार चला रही टीएमसी ने कहा है कि वह वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी और यह विपक्षी एकता में एक बड़ी दरार है।
ऐसे में जब 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक हैं तो राष्ट्रपति के चुनाव से बीजेपी को बूस्ट मिला है जबकि विपक्ष बुरी तरह बंटा हुआ दिखाई दिया है।