संसद चौथा दिनः अडानी घूस कांड और संभल हिंसा पर चर्चा नहीं, दोनों सदन स्थगित

12:25 pm Nov 29, 2024 | सत्य ब्यूरो

संसद का शीतकालीन सत्र चौथे दिन भी हंगामे से शुरू हुआ। सदन में विरोध जारी रहने के कारण लोकसभा और राज्यसभा को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। अडानी मुद्दे और मणिपुर और संभल में हिंसा को लेकर विपक्षी दलों के विरोध के बीच शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही संसद की कार्यवाही ठप है। गुरुवार को तीसरे दिन भी दोनों सदनों को दोपहर 12 बजे दोबारा शुरू होने के तुरंत बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया था।

जहां विभिन्न विषयों पर विपक्षी सांसदों के स्थगन प्रस्ताव के नोटिस को लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने खारिज कर दिया, वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नियम 267 के तहत विभिन्न विपक्षी दलों के सभी 16 नोटिस को खारिज कर दिया। 

भाजपा के जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय एआरटी और सरोगेसी बोर्ड में दो महिला सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है।

दिल्ली में बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेता संसद परिसर के बाहर खड़े होकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि हम लोग राज्यसभा में लगातार चर्चा के लिए नोटिस दे रहे हैं लेकिन सभापति नोटिसों को रद्द कर दे रहे हैं। दिल्ली में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है, ऐसे में संसद में चर्चा नहीं होगी तो कहां होगी। दिल्ली की कानून व्यवस्था और पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है।

इस बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि अडानी घूस कांड उसके एजेंडा में नहीं है। सदन में तीसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, टीएमसी ने सुझाव दिया है कि वह चाहती है कि सदन चले ताकि लोगों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया जा सके और उन पर चर्चा की जा सके।टीएमसी लोकसभा सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा- “हम चाहते हैं कि संसद चले। हम नहीं चाहते कि एक मुद्दा संसद को बाधित करे। हमें इस सरकार को कई विफलताओं के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।” उन्होंने कहा, टीएमसी "संसद में 'लोगों के मुद्दों' पर तेजी से ध्यान केंद्रित करेगी।" उन्होंने कहा कि टीएमसी बीजेपी से मुकाबला करेगी लेकिन बीजेपी से मुकाबला करने के बारे में हमारा नजरिया रणनीतिक रूप से अलग हो सकता है।

टीएमसी के सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने पांच मुद्दों की पहचान की है जिन पर वह संसद के दोनों सदनों में चर्चा कराना चाहती है। ये मुद्दे हैं मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, पश्चिम बंगाल के लिए आवास और अन्य धन की कमी, उर्वरक की कमी और मणिपुर में हिंसा। अडानी पर अभियोग एजेंडे से गायब है।