'एएमयू फ़ैसले से केंद्र को झटका, सरकार अल्पसंख्यकों के संस्थान छीनने से बचे'
एएमयू के अल्पसंख्यक संस्थान वाले फ़ैसले पर कई विपक्षी सांसदों ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है और इसे केंद्र के लिए झटका क़रार दिया है। कांग्रेस सांसद दानिश अली ने कहा है कि यह बीजेपी के लिए सबक होना चाहिए कि वह अल्पसंख्यकों के संस्थानों को न छीने। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है यह भारत में मुस्लिमों के लिए ख़ास दिन है। बीजेपी ने इस फ़ैसले के विपरीत तर्क रखे हैं।
लोगों ने इस पर क्या प्रतिक्रियाएँ दी हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या फ़ैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने एस. अज़ीज़ बाशा बनाम भारत संघ मामले में 1967 में दिए गए अपने फ़ैसले को पलट दिया। उस फ़ैसले में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। हालाँकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय एक अलग पीठ को देना था, लेकिन बहुमत के फ़ैसले ने यह निर्धारित करने के लिए एक परीक्षण निर्धारित किया कि क्या कोई शैक्षणिक संस्थान संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त करने का दावा कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 4:3 के बहुमत के फैसले में कहा, 'केवल इसलिए कि एएमयू को शाही कानून (ब्रिटिश काल) द्वारा शामिल किया गया था, इसका मतलब यह नहीं है कि यह अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित नहीं किया गया था। यह तर्क भी नहीं दिया जा सकता है कि विश्वविद्यालय की स्थापना संसद के कानून द्वारा की गई थी।'
इस फ़ैसले पर एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह भारत के मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने कहा, '1967 के फैसले ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को खारिज कर दिया था, जबकि वास्तव में यह था। अनुच्छेद 30 में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थानों को उस तरीके से स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार है, जैसा वे उचित समझें।'
उन्होंने आगे कहा, 'अल्पसंख्यकों के खुद को शिक्षित करने के अधिकार को बरकरार रखा गया है। मैं आज एएमयू के सभी छात्रों और शिक्षकों को बधाई देता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि विश्वविद्यालय संविधान से पहले स्थापित हुआ था या सरकार के कानून द्वारा स्थापित किया गया था। यह अल्पसंख्यक संस्थान है अगर इसे अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित किया गया है। भाजपा के सभी तर्क खारिज हो गए।'
1. It is an important day for Muslims of India. The 1967 judgement had rejected minority status of #AMU when in fact it was. Article 30 states that minorities have the right to establish and administer their educational institutions in a manner that they deem fit.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 8, 2024
2. The right…
ओवैसी ने कहा, 'भाजपा ने इतने सालों तक एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का विरोध किया है। अब वह क्या करने जा रही है? इसने मदरसा चलाने के हमारे अधिकार व एएमयू और जामिया पर हमला करने का हर संभव प्रयास किया है। भाजपा को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और पाठ्यक्रम में सुधार करना चाहिए।'
सांसद कुँवर दानिश अली ने कहा, 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरक़रार रखने का सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फ़ैसला केंद्र सरकार के मुँह पर एक ज़ोरदार तमाचा है। अभी भी समय है कि नरेंद्र मोदी सरकार वक़्फ बोर्ड अमेंडमेंट बिल को फ़ौरन वापस ले और अल्पसंख्यकों के संस्थानों को छीनने से बाज़ आ जाये।'
ओवैसी ने कहा, 'मोदी सरकार को इस फैसले को गंभीरता से लेना चाहिए। उसे एएमयू का समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है। जामिया को प्रति छात्र 3 लाख रुपये मिलते हैं, एएमयू को प्रति छात्र 3.9 लाख रुपये मिलते हैं, लेकिन बीएचयू को 6.15 लाख रुपये मिलते हैं। जामिया और एएमयू ने राष्ट्रीय रैंकिंग में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। सही समर्थन से विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए मोदी को उनके साथ भेदभाव करना बंद करना होगा। एएमयू का किशनगंज केंद्र पिछले कई सालों से खराब पड़ा है। इस पर भी तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए और केंद्र को जल्द से जल्द काम करना शुरू करना चाहिए।'
कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने कहा है, "इधर सुप्रीम कोर्ट रोज़ ही भाजपा वालों को क्यों ज़लील कर रहा है... 'अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा': सुप्रीम कोर्ट"
इधर सुप्रीमकोर्ट रोज़ ही भाजपा वालों को क्यों ज़लील कर रहा है...
— Surendra Rajput (@ssrajputINC) November 8, 2024
“अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा”: सुप्रीम कोर्ट
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने फ़ैसले के विरोध में कुछ तर्क रखे हैं।
In the Aligarh Muslim University (AMU) case, a 7-judge Constitution Bench of the Supreme Court overruled its 1967 decision in S Azeez Basha vs Union of India, which held that a minority community cannot claim to have established an educational institution if it was created by a… pic.twitter.com/TiX5zkFoZT
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 8, 2024
मालवीय ने ट्वीट में कहा है, "संसदीय बहसों के दौरान एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने का विरोध करने वाले कुछ दिग्गजों ने क्या कहा, इस पर एक नज़र डालते हैं।
1) महोदय, यह ऐसी मांग नहीं है जो न तो राष्ट्रीय हित में है और न ही विश्वविद्यालय के हित में। मैं मुस्लिम समुदाय सहित हमारी आबादी के किसी भी वर्ग के लिए यह सुझाव दे सकता हूँ। किसी भी एक संस्थान को केंद्र सरकार द्वारा केवल एक समुदाय के लाभ के लिए या एक ही समुदाय द्वारा चलाए जाने के लिए बनाए नहीं रखा जा सकता है।
- प्रो. एस. नूरल हसन, लोकसभा में शिक्षा मंत्री, 1972 2) महोदय, प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने हाल ही में कहा था, मैं उद्धृत करता हूं: 'यदि यह मांग मान ली जाती है, तो सरकार अन्य अल्पसंख्यकों, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों की इसी तरह की मांगों का विरोध नहीं कर सकती है।' अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर दिया गया प्रधानमंत्री का ये बयान द हिंदू अख़बार में छपा है।
- श्री सी.टी. लोकसभा में ढांडापानी, 1972
3) जो लोग चाहते हैं कि अलीगढ़ को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित किया जाना चाहिए, उनके लिए मैं एक श्लोक फिर से उद्धृत करना चाहता हूं। शायद उन्हें यह पसंद आएगा:
दिन निकलने से काम क्या उन्हें,
जिंदगी की अंधेरी रात है ये,
असर हाजिर से क्या गज उनको,
अहदे माज़ी के वाक़ियात है यह।
- श्री सैयद अहमद आगा 1972 में लोकसभा में, बारामूला से कांग्रेस सांसद