क्या दक्षिणपंथी ताक़तों के दबाव में ख़तरे में है स्टैंड अप कॉमेडी?

01:53 pm Nov 29, 2021 | सत्य ब्यूरो

क्या स्टैंड अप कॉमेडी विधा भारत में ख़तरे में है? क्या एक ख़ास किस्म का दक्षिणपंथ सृजन की आज़ादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश इसलिए लगाना चाहता है कि वह इसके ज़रिए एक नैरेटिव खड़ा करना चाहता है, जिसमें एक ख़ास समुदाय को खलनायक बना कर उसे निशाने पर लिया जा सके?

स्टैंड अप कॉमेडी की दुनिया के मशहूर कलाकार मुनव्वर फ़ारूक़ी के रिटायरमेंट के एलान के बाद इन सवालों का उठना लाज़िमी है। फ़ारूकी इस समय सिर्फ 29 साल के हैं, बेहद लोकप्रिय हैं और उनके शो में नई-नई चीजें सुनने को मिलती रहती हैं। 

12 शो रद्द

इस युवा हास्य कलाकार ने दो महीने के अंदर 12 शो रद्द किए जाने के बाद रविवार को अपने रिटायरमेंट का एलान कर दिया। इसके पहले वे एक महीने तक जेल में रह चुके हैं, जिसके बारे में उनका कहना है कि जो बातें उन्होंने कही ही नहीं, उनके लिए उन्हें जेल में डाल दिया गया। हाई कोर्ट तक ने उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया था और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बाद ही उन्हें राहत मिल सकी थी। 

क्या कहा फ़ारूक़ी ने?

रविवार को जब बेंगलुरु में उनका शो रद्द करने के लिए आयोजकों से कहा गया, तो मुनव्वर फ़ारूक़ी ने इंस्टाग्राम पर लिखा,  "नफ़रत जीत गई, आर्टिस्ट हार गया। गुड बाय।" 

उन्होंने उसके बाद ट्वीट किया, "मैं समझता हूँ कि यह अंत है। मेरा नाम मुनव्वर फ़ारूक़ी है और यह मेरा समय था। आप लोग अद्भुत श्रोता रहे हैं। गुड बाय। मैं ख़त्म कर रहा हूँ।"

क्या है मामला?

बता दें कि इसके पहले बेंगलुरु पुलिस ने फ़ारूक़ी का शो रद्द करने का आदेश दिया है। अशोक नगर में गुड शेफर्ड ऑडिटोरियम में यह शो होना था। लेकिन, पुलिस ने क़ानून- व्यवस्था का हवाला देते हुए आयोजकों से शो रद्द करने को कहा था।

बेंगलुरु के अशोक नगर थाने के प्रमुख ने आयोजकों को लिखी चिट्ठी में कहा था, "यह पता चला है कि मुनव्वर फ़ारूक़ी एक विवादास्पद व्यक्ति हैं। अन्य धर्मों के देवताओं पर उनके बयान की वजह से कई राज्यों ने उनके कॉमेडी शो पर प्रतिबंध लगा दिया है। पता चला है कि उनके ख़िलाफ़ मध्य प्रदेश में एक मामला दर्ज किया गया है। इसी तरह के मामले उनके ख़िलाफ़ अन्य राज्यों में भी दर्ज हैं।"

दक्षिणपंथी संगठनों का दबाव?

क्या पुलिस ने दक्षिणपंथी संगठनों के दबाव में आकर यह शो रद्द करने को कहा था? 

इसे इससे समझा जा सकता है कि हिंदू जागरण समिति के मोहन गौड़ा ने इसके पहले ही कहा था कि वे शो नहीं होने देंगे। गौड़ा ने कहा था, "हमने पुलिस आयुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई है और शो को रद्द करने की माँग की है। मुनव्वर फ़ारूक़ी ने इंदौर और अन्य जगहों पर अपने शो में हिंदुओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी की है और उनकी भावनाओं को आहत किया है।" 

गौड़ा ने यह धमकी भी दी कि शो रद्द नहीं होने पर विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। 

मुनव्वर फ़ारूक़ी के पहले दूसरे स्टैंड अप कॉमेडियन को निशान पर लिया जा चुका है। वीर दास को अमेरिका में एक शो में 'आई कम फ्रॉम टू इंडियाज' पेश करने की वजह से भारत में निशाने पर लिया गया था। उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर तक दर्ज कर दी गई। वे फिलहाल अमेरिका में ही हैं और भारत में पुलिस उनके लौटने का इंतजार कर रही है। 

वीर दास, स्टैंड अप कॉमेडियन

थरूर ने की निंदा

फ़ारूक़ी के साथ जो कुछ हुआ, इस पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है और लोग सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस सांसद व लेखक शशि थरूर ने कहा,

यह निंदनीय है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कई तरह से दबाया जा रहा है, लेकिन एक स्टैंड अप कॉमेडियन के शो की जगह पर धमकी देना तुच्छता व शर्मनाक है।


शशि थरूर, सांसद, कांग्रेस

क्या कहा दिशा रवि ने?

टूल किट को लेकर चर्चा में आई पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि ने कहा, "मुनव्वर फ़ारूक़ी के साथ जो कुछ हो रहा है, वह निशाने पर लेकर हमला करना है। बुनियादी नागरिक अधिकारों का सम्मान नहीं किया जा रहा है।" 

स्वरा भास्कर, अभिनेत्री

स्वरा भास्कर ने क्या कहा?

अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने ट्वीट किया, "नफ़रत करने वाले तार्किक, शिक्षित, प्रतिभा संपन्न, आकर्षक व मजाकिया लोगों से नफ़रत ही करते रहेंगे। मुनव्वर, उमर खालिद व दूसरे पढ़े लिखे मुसलमान हिन्दुत्व के लिए ख़तरा हैं।" 

एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि यह किसी भी समाज के लिए शर्मनाक है कि किसी को डराने धमकाने को सामान्य बनाया जा रहा है। 

हास्य की कीमत!

मशहूर स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने एक बयान में कहा, 

हास्य कलाकारों को हास्य की ऊँची से ऊँची कीमत चुकानी पड़ रही है। मैंने यह भी सुना है कि कुछ कॉमेडियन शो से पहले उसे किसी वकील को सुनाते हैं और वीडियो को ऑनलाइन करने के पहले उसे क़ानून के जानकारों को दिखाते हैं।


कुणाल कामरा, स्टैंड अप कॉमेडियन

पर्यवेक्षकों का कहना है कि कुणाल कामरा ने बेहद अहम मुद्दा उठाया है। यदि हास्य कलकार इस तरह डरे हुए रहेंगे तो उनमें सृजनशीलता नहीं बचेगी, हास्य बोध ख़त्म हो जाएगा, उनके हास्य की धार भोथरी हो जाएगी और यह सब हुआ तो हास्य भी नहीं बचेगा।

सवाल यह है कि क्या हम ऐसे भारत की ओर नहीं बढ़ रहे हैं जहां हास्य पैदा करना या लोगों को गुदगुदाना ही अपराध क़रार दिया जाता हो।