महाकुंभ भगदड़ः प्रयागराज में क्या दूसरी घटना भी हुई, कुछ प्रत्यक्षदर्शी यही बता रहे
प्रयागराज में महाकुंभ में दूसरी भगदड़ भी हुई थी। यह भगदड़ संगम नोज के पास पहली भीड़ कुचलने की जगह से 2 किमी दूर मची थी। कपड़ों और जूतों के ढेर से पता चलता है कि यह एक बड़ी भगदड़ थी, लेकिन मृतकों और घायलों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं है। प्रत्यक्षदर्शियों ने झूसी में भगदड़ में कई लोगों की मौत का दावा किया है।
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फोटो जर्नलिस्ट मोहन कनौजिया, पत्रकार राजेश साहू, सचिन गुप्ता, अभिनव पांडे की रिपोर्ट से दूसरी भगदड़ की भयावहता का पता चलता है। दूसरी भगदड़ की फुटेज में झूसी साइट से ट्रैक्टरों द्वारा कपड़े, जूते और बोतलों के ढेर को साफ करते हुए दिखाया गया है। उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों से भी बात की जिन्होंने बताया कि उन्होंने लोगों को कुचलते हुए और घटनास्थल से शव बरामद होते हुए देखा।
झूसी में घटनास्थल गंगा के उस पार है और संगम नोज के पास पहली भगदड़ वाली जगह से सिर्फ 2 किमी दूर है। जहां पहली भगदड़ रात करीब 1.30 बजे हुई, वहीं झूसी में भगदड़ सुबह करीब 5.55 बजे हुई। दैनिक भास्कर के लिए काम करने वाले पत्रकार राजेश साहू ने घटनास्थल का फोटो देते हुए दर्ज किया है- महाकुंभ में यह झूंसी साइड के सेक्टर 21 का नजारा था। स्थिति देखिए कितना भयावह रही। 250 मीटर के एरिया में भीड़ एक दूसरे के ऊपर से गुजरती चली गई। कई मरे। कई घायल हुए। कल मेले में दिन भर एंबुलेंस दौड़ती रही। मरे कितना इसका आंकड़ा हमारे पास नहीं है। हमारे पास अनुमान है। अनुमान सही नहीं होता। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 30 लोगों की जान गई है। आज मेले के खोया पाया केंद्र पर तमाम ऐसे लोग मिले जिन्हें उस घटना के बाद अब तक अपने नहीं मिल पाए। वह रो रहे हैं। बिलख रहे हैं।
महाकुंभ में यह झूंसी साइड के सेक्टर 21 का नजारा था। स्थिति देखिए कितना भयावह रही। 250 मीटर के एरिया में भीड़ एक दूसरे के ऊपर से गुजरती चली गई। कई मरे। कई घायल हुए। कल मेले में दिन भर एंबुलेंस दौड़ती रही।
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) January 30, 2025
मरे कितना इसका आंकड़ा हमारे पास नहीं है। हमारे पास अनुमान है। अनुमान सही… pic.twitter.com/jhxkwQqSMk
राजेश साहू का दूसरा ट्वीट भी देखिये-
बहुत सारे लोगों को सिर्फ संगम पर हुई भगदड़ की जानकारी है। दूसरी घटना नदी के दूसरी तरफ यानी झूंसी साइड सेक्टर 21 में भी हुई थी। लोग संगम जाना चाहते थे लेकिन पुलिस प्रशासन उन्हें उधर जाने से रोक रहा था। 250 मीटर में भीड़ ठस गई। तभी भगदड़ मची और जबरदस्त चीख पुकार मच गई। यह सब संगम… pic.twitter.com/O1miIyeSAO
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) January 30, 2025
दूसरी भगदड़ के बारे में पत्रकारों को कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि "यहाँ लाशें पड़ी हुई थीं और कोई उनके बारे में नहीं पूछ रहा था। जो लोग सुबह दम घुटने से मर गए थे, उन्हें दोपहर 1:30 बजे तक ले जाया गया। भगदड़ के 4 घंटे बाद एक महिला पुलिसकर्मी पहुंची। पुलिस लोगों को रोक रही थी।" झूसी के हल्दीराम कियोस्क की नेहा ओझा ने पत्रकारों को बताया कि पुलिस वीडियो शूट करने से रोक रही थी।“
एक और प्रत्यक्षदर्शी ने पत्रकारों को बताया कि "हल्दीराम कियोस्क के अंदर चार शव थे जिन्हें निकाल लिया गया था। अकेले यहां 24 लोग हताहत हुए हैं। बच्चे कुचले जाने से मर रहे थे। यहां कोई नहीं था, कोई मदद नहीं थी। बहुत कुछ छिपाया जा रहा है, और जनता सच्चाई जानने का हकदार है।''
झूसी इलाका गंगा नदी के उत्तरी तट है, यह संगम स्थल तक पहुंचने का रास्ता भी है। यहीं पर संगम नोज के पास हुई भगदड़ के कुछ घंटों बाद भगदड़ मची थी। प्रयागराज के मूल निवासी हर्षित ने पत्रकारों को बताया, "भीड़ इतनी भारी थी कि वह पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई। लोगों ने बैरिकेड्स तोड़ना और आगे बढ़ना शुरू कर दिया।" उन्होंने कहा, "कई भक्त पहले से ही चारों ओर सो रहे थे। सड़कें बंद थीं, और चलने के लिए कोई जगह नहीं थी। अराजकता के बीच, कई लोगों के लैपटॉप और आईफोन चोरी हो गए।"
There was also allegedly a second stampede site at Maha Kumbh but no media houses or the UP govt has reported about it. This is how cover-up takes place. Shocking expose by India Today Group's Lallantoppic.twitter.com/YmeiGNZZRA
— Sourav || সৌরভ (@Sourav_3294) January 30, 2025
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, "जब झूसी में भगदड़ मची तो वहां कोई रिपोर्टर मौजूद नहीं था। इस मुद्दे को कहीं भी नहीं उठाया गया। लोगों को केवल संगम में भगदड़ के बारे में पता चला।" हल्दीराम कियोस्क की नेहा ओझा ने दावा किया कि कैश काउंटर से 1,80,000 रुपये लूट लिये गये। नेहा ने पत्रकारों को बताया, "कपड़ों और जूतों के मलबे से बुजुर्ग लोगों के शव निकाले जा रहे थे। एक तंबू के सामने दो मौतें हुईं।"
पुलिस वालों ने नहीं सुनाः प्रयागराज में भगदड़ से कुछ क्षण पहले कुछ लोगों ने पुलिस से बढ़ती भीड़ को कम करने के लिए बैरिकेड वाले मार्गों को खोलने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया और जल्द ही भारी भीड़ में शामिल लोग बेहोश होने लगे, जिससे महाकुंभ मेले में दहशत फैल गई। तमाम बेहोश लोग शवों में बदल गये। क्योंकि लोग उन्हें कुचलकर आगे बढ़ते जा रहे थे।
छह लोगों के अपने परिवार के साथ आई जगवंती देवी ने मोर्चरी के बाहर गुरुवार को पत्रकारों को बताया कि "लोग पुलिस से अन्य मार्गों पर बैरिकेड खोलने के लिए कह रहे थे क्योंकि उस भीड़ में लगभग एक घंटे तक खड़े रहने में दम घुट रहा था। हम सांस नहीं ले पा रहे थे।" जगवंती देवी ने अपनी मां और भाभी के शवों के पास रोते हुए कहा, "फिर अचानक मेरी मां बेहोश हो गईं और कुछ अन्य बुजुर्ग भी बेहोश हो गए, जिससे हंगामा मच गया। हम गिर गए और कई लोग हमारे ऊपर से निकल गए।"
चार अन्य प्रत्यक्षदर्शियों ने महिलाओं और बच्चों की चीख-पुकार के बीच सैकड़ों लोगों के बैरिकेड्स पर चढ़ने और एक-दूसरे के ऊपर गिरने के अराजक दृश्यों को याद किया। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी के बाहर कंचन कोपड़े का परिवार उन्हें दिलासा देते हुए चिल्ला रहा था, "पुलिस ने मेरे पति को मार डाला है, उन्होंने उचित व्यवस्था नहीं की।" एक अधिकारी ने कहा कि भीड़ प्रबंधन रणनीति विशेषज्ञों के साथ महीनों के विचार-विमर्श के बाद बनाई गई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि इस पर पुनर्विचार की जरूरत तो है।
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)