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लोकसभाः विपक्ष ने मांगा डिप्टी स्पीकर पद, वरना स्पीकर का चुनाव लड़ेगा
राजधानी दिल्ली में शनिवार को लोकसभा स्पीकर को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज रहीं। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि अगर विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं दिया गया तो विपक्ष 18वीं लोकसभा में स्पीकर पद के लिए अपना प्रत्याशी उतार देगा।
18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को शुरू होगा और 3 जुलाई को खत्म होगा। इसी सत्र के दौरान 26 जून को अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। सत्र की तारीख सरकार की ओऱ से घोषित की गई है। 17वीं लोकसभा में ओम बिड़ला स्पीकर थे लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा था।
इस बार विपक्षी दलों के पास संख्या बल ज्यादा है। इंडिया गठबंधन के 233 सांसद चुनकर लोकसभा में पहुंच रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के नेतृत्व में बैसाखियों के सहारे एनडीए सरकार तो तीसरी बार बन गई लेकिन भाजपा के पास अपनी सीटें कुल 240 हैं। भाजपा को यूपी, राजस्थान और हरियाणा के हिन्दी बेल्ट में नुकसान सहना पड़ा है। महाराष्ट्र में भी उसे झटका लगा है।
हालांकि पिछली दो बार की सरकार भी एनडीए के नाम पर बनी लेकिन भाजपा के पास अपना खुद का बहुमत था। सही मायने में एनडीए गठबंधन की सरकार 10 साल बाद अब बनी है। गठबंधन सरकार में स्पीकर का पद महत्वपूर्ण होता है। इसलिए एनडीए की नजर इस पर है।
स्पीकर की मदद की जरूरत उन हालात में पड़ती है जब सत्तारूढ़ दल को चुनाव प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है। विधायी प्रक्रिया में अगर सत्तारूढ़ दल का नियंत्रण स्पीकर के जरिए नहीं होगा तो विपक्ष उसे परेशान कर सकता है। इसी तरह उपाध्यक्ष का पद भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। क्योंकि जब स्पीकर नहीं होता है तो डिप्टी स्पीकर ही सारी प्रक्रिया को अंजाम देते हैं। इसलिए विपक्ष डिप्टी स्पीकर का पद समझौते के तहत मांग रहा है।
अभी तक एनडीए की ओर से डी पुरुंदेश्वरी देवी का नाम सूत्रों के हवाले से चलाया जा रहा है। वो आंध्र प्रदेश से भाजपा सांसद हैं और पहले केंद्र में मंत्री भी रह चुकी हैं। लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण बात है, वो ये डी पुरुंदेश्वरी दरअसल आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की साली हैं। भाजपा ने काफी सोचसमझकर यह दांव चला है, ताकि चंद्रबाबू अपनी पार्टी की ओर से किसी नाम की पेशकश न कर सकें। अपनी साली का विरोध वो क्यों करना चाहेंगे।
इस मामले में जेडीयू की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है। ये भी संभव है कि विपक्ष जेडीयू के किसी सांसद को डिप्टी स्पीकर का पद ऑफर करे और बदले में अपने स्पीकर प्रत्याशी के लिए उससे वोट मांगे। यानी कुल मिलाकर राजनीति में सब संभव है। क्योंकि जेडीयू की तरफ से संकेतों में लगातार कहा जा रहा है कि उसके मंत्रियों को महत्वपूर्ण विभाग नहीं मिले हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में एनसीपी अजीत पवार और शिवसेना शिंदे के तेवर भी गरम लग रहे हैं।
18वीं लोकसभा में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष की भिड़ंत तय है। यह भिड़ंत तब और जीवंत बन जाएगी जब इसमें सत्तारूढ़ एनडीए का कोई घटक दल अपना स्टैंड स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पर बदल ले। लेकिन इंडिया गठबंधन कितनी सूझबूझ से इस काम को अंजाम देगा, यह देखना बाकी है।