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वकील- मीलॉर्ड, बिहार में जमानत के पेंडिंग केस बढ़े, सुप्रीम कोर्ट-इसीलिए वहां शांति है

वकील- मीलॉर्ड, बिहार में जमानत के पेंडिंग केस बढ़े, सुप्रीम कोर्ट-इसीलिए वहां शांति है

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी याचिकाकर्ता के वकील के उस अनुरोध को खारिज करते आई, जिसमें निचली अदालत को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

बिहार में जमानत के मामलों के अनावश्यक रूप से लंबित रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिलचस्प लेकिन चर्चित टिप्पणी की।यह मामला नंदन महतो बनाम बिहार राज्य का है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि इस तरह के लंबित रहने के कारण ही बिहार में शांति है। 

बार एंड बेंच के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब एक वकील ने बताया कि बिहार में जमानत के मामले अक्सर नौ महीने तक लंबित रहते हैं। उन्होंने कहा, "कृपया निर्देश दें कि ट्रायल कोर्ट को सुनवाई में तेजी लानी चाहिए।" इसके जवाब में जस्टिस विक्रम नाथ ने टिप्पणी की, "इसीलिए बिहार में कुछ शांति है।" 

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील के उस अनुरोध को खारिज कर दिया जिसमें अदालत से ट्रायल कोर्ट को सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। क्योंकि ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार कर दिया था। 

हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता नंदन महतो को याचिका वापस लेने और ट्रायल कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन करने की छूट दी। अदालत ने आदेश दिया कि, "इस याचिका को वापस लेते हुए खारिज किया जाता है और याचिकाकर्ता को आज से दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने और ट्रायल कोर्ट में नियमित जमानत के लिए आवेदन करने की आजादी दी जाती है। यदि ऐसी प्रार्थना की जाती है, तो ट्रायल कोर्ट द्वारा उस पर उसके गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा।"

(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)

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