जेएनयू कैम्पस में कथित रूप से ‘देशविरोधी नारे’ लगने के क़रीब तीन साल बाद पुलिस ने अब चार्जशीट का ख़ाका तैयार किया है। इसमें कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को मुख्य आरोपी बनाया गया है। इन तीनों के अलावा ड्राफ़्ट चार्जशीट में आठ और नाम जोड़े गए हैं। इसे पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के पास भेज दिया गया है और जल्द ही इसे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किए जाने की संभावना है।
चार्जशीट का ख़ाका उस एफ़आईआर पर आधारित है जिसे 9 फ़रवरी 2016 को कार्यक्रम के बाद दर्ज़ किया गया था। संसद पर हमले के दोषी अफज़ल गुरु को फाँसी दिए जाने के विरोध में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। एफ़आईआर में इसका ज़िक्र है कि कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से ‘देशविरोधी’ नारे लगाए गए थे।
चार्जशीट में 8 नए नाम, सभी कश्मीर के
इस चार्जशीट के मामले में इंडियन एक्सप्रेस ने एक गुमनाम वरिष्ठ पुलिस अफ़सर के हवाले से रिपोर्ट की है कि 'चार्जशीट में इन आठों के ख़िलाफ़ पुलिस ने पुख़्ता सबूत इकट्ठे किए हैं। सभी कश्मीर से आते हैं। इनमें से दो जेएनयू के छात्र हैं, दो जामिया मिलिया इसलामिया के और एक अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी का है। एक मुरादनगर में डॉक्टर है। दो अन्य भी छात्र ही हैं।”
सोशल मीडिया का सहारा
पुलिस का कहना है कि ख़ालिद से पूछताछ, दूसरे छात्रों के स्टेटमेंट और छात्रों के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल को खँगालने के बाद उन आठों के ख़िलाफ़ सबूत इकट्ठे किए गए हैं। पुलिस के अनुसार उनमें से एक ने फ़ेसबुक पर वही नारा पोस्ट किया था जिसे उस दिन जेएनयू के उस कार्यक्रम के दौरान लगाया गया था। केस की पड़ताल कर रहे अफ़सर ने कहा कि इनमें से अधिकतर छात्रों को उस कार्यक्रम के लिए लोगों को इकट्ठा करने के लिए कहा गया था।
ड्राफ़्ट चार्जशीट में 32 अन्य नामों का ज़िक्र
पुलिस सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चार्जशीट के ख़ाके में 32 अन्य नामों का ज़िक्र है। इसमें जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशीद का भी नाम है हालाँकि पुलिस का कहना है कि इन 32 लोगों के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए हैं।
पुलिस का कहना है कि मुख्य चार्जशीट में क़रीब 100 पेज होंगे। इसके साथ ही फ़रेंसिक रिपोर्ट, लोगों के स्टेटमेंट और तकनीकी सबूत पेश किए जाएँगे।
इतनी देरी क्यों हुई
पुलिस सूत्रों का दावा है कि आरोपियों के मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप की फ़रेंसिक रिपोर्ट अब मिली है, इस कारण से इसमें देरी हुई है। हालाँकि कन्हैया कुमार की वकील वृंदा ग्रोवर ने कुछ और ही कारण बताया है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में ग्रोवर ने कहा कि उन्होंने अभी चार्जशीट को नहीं देखा है, लेकिन स्पष्ट तौर पर यह राजनीति से प्रेरित केस है। उन्होंने कहा कि कन्हैया कुमार चुनाव लड़ रहे हैं, यह पूरी तरह से राजनीति का मामला है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिडिशन का मामला ही नहीं है और इन आरोपों को पूरी तरह से गढ़ा गया है।