भारत के पासपोर्ट की ताक़त बढ़ी है या घटी है? हेनले पासपोर्ट इंडेक्स द्वारा जारी ताज़ा रैंकिंग में भारत के पासपोर्ट को 82वें स्थान पर रखा गया है। इससे भारतीयों को 58 देशों में वीजा-मुक्त प्रवेश की अनुमति मिलती है। भारत की वर्तमान रैंकिंग सेनेगल और ताजिकिस्तान जैसे देशों के बराबर है। दुनियाभर में सबसे ताक़तवर पासपोर्ट सिंगापुर का है। पिछली रैंकिंग में भारत 80वें स्थान पर था।
इस रैंकिंग के क्या मायने हैं और पिछले एक दशक में भारत के पासपोर्ट की रैंकिंग क्या रही है, यह जानने से पहले इस वर्ष आई हेनले पासपोर्ट इंडेक्स को जान लें। यह रैंकिंग अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ के डेटा पर आधारित है, जो दुनिया भर में यात्रा संबंधी सूचनाओं का सबसे व्यापक और सटीक डेटाबेस रखता है।
ताज़ा सूची के अनुसार सिंगापुर के पासपोर्ट को दुनिया का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट नामित किया गया है। इससे 195 देशों में वीजा-मुक्त पहुँच मिलती है। फ्रांस, इटली, जर्मनी और स्पेन जापान के साथ दूसरे स्थान पर हैं, जो पासपोर्ट धारकों को 192 देशों में पहुँच देते हैं। फिर, रैंकिंग में तीसरे स्थान पर ऑस्ट्रिया, फ़िनलैंड, आयरलैंड, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया और स्वीडन सभी के पास 191 गंतव्यों तक वीज़ा-मुक्त पहुँच है।
यूनाइटेड किंगडम चौथे स्थान पर है, इसके साथ न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, बेल्जियम, डेनमार्क और स्विटज़रलैंड हैं। ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल 5वें स्थान पर हैं जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका 186 देशों में वीज़ा-मुक्त पहुँच के साथ आठवें स्थान पर खिसक गया है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान 100वें स्थान पर है, जिसके पासपोर्ट धारकों को 33 देशों तक पहुंच प्रदान की गई है। सूची में सबसे नीचे अफगानिस्तान है, जहां 26 गंतव्यों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स लंदन स्थित हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा तैयार की गई एक वार्षिक सूची है। यह दुनिया के सभी पासपोर्टों की मूल रैंकिंग होने का दावा करता है। इसमें विभिन्न पासपोर्टों को उन गंतव्यों की संख्या के अनुसार रैंक किया गया है, जहाँ उन पासपोर्टों के धारक बिना पूर्व वीजा के यात्रा कर सकते हैं या आगमन पर वीजा, विजिटर परमिट का लाभ उठा सकते हैं।
हाल के वर्षों में भारतीय पासपोर्ट की साख मजबूत होने, भारतीय पासपोर्ट धारकों की इज्जत बढ़ने जैसे दावे किए जाते रहे हैं। यहाँ तक कि बीजेपी समर्थक और नेता तक इसके दावे करते रहे हैं। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने टाइम्स नाउ को अपने साक्षात्कार में यह बयान दिया था, 'शायद, जो लोग विदेश में रहते हैं और जो लोग विदेश जाते-आते रहते हैं, आज भारत के पासपोर्ट की जो इज्जत है आज भारत के पासपोर्ट की जो ताकत है, शायद ही पहले कभी इतनी ताकत किसी ने अनुभव की होगी।'
भले ही ऐसे दावे किए जाते रहे हों, लेकिन हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में साल दर साल रैंकिंग इस बात को सपोर्ट नहीं करती है। 2013 में भारत 74वें और 2014 में 76वें स्थान पर था। यह 2015 में 88वें, 2016 में 85वें, 2017 में 87वें, 2018 में 81वें, 2019 व 2020 में 82वें, 2021 में 81वें, 2022 में 87वें, 2023 में 80वें स्थान पर रहा।