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फेंटनील तस्करी: अमेरिका ने चीन के बाद भारत पर भी क्यों लगाया बड़ा आरोप!

फेंटनील तस्करी: अमेरिका ने चीन के बाद भारत पर भी क्यों लगाया बड़ा आरोप!

अमेरिका ने भारत और चीन की सरकारों पर फेंटनील की अवैध तस्करी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। यह एक घातक दवा है जिससे नवंबर 2023 और अक्टूबर 2024 के बीच 52,000 से अधिक अमेरिकी मर चुके हैं। यूएस के बयान के बाद भारत को अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

दौर बदला, समय बदला, एक वक़्त ट्रम्प को ‘माय फ्रेंड ट्रम्प’ कहने वाले मोदी जी इस समय अपने उसी दोस्त के सीधे निशाने पर हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प बार-बार भारत को टैरिफ की धमकियाँ दे ही रहे हैं। अब एक नया आरोप भी लगाया है। अमेरिका का कहना है कि भारत अमेरिका में अवैध नशीली दवाई ‘फेंटनील के लिए जरूरी सामग्रियों की अवैध तस्करी में बढ़ावा दे रहा है।

अमेरिका का कहना है कि भारत इस पूरे मामले में एक स्टेट ऐक्टर की तरह काम कर रहा है, यानि इसमें भारत की सरकार भी शामिल है। अमेरिका ने इसमें चीन और भारत दोनों को जिम्मेदार ठहराया है।

अमेरिका का आरोप है कि देश में अवैध रूप से फेंटनील बनाने के लिए जितने भी केमिकल्स की जरूरत होती है, भारत और चीन की सरकारें उसकी तस्करी में शामिल होती हैं। गौरतलब है कि फेंटनील को अमेरिका में चोरी-छिपे लाया जाने सबसे खतरनाक ड्रग माना जाता है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट का नाम है  ‘ऐन्यूअल थ्रेट असेसमेंट’ । इसके मुताबिक इस ड्रग की वजह से नवंबर 2023 से अक्टूबर 2024 तक 52,000 अमेरिकियों की जान जा चुकी है। 

इस रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि “चीन अवैध फेंटनील प्रीकर्सर रसायनों और गोली बनाने वाले उपकरणों का प्राथमिक स्रोत देश बना हुआ है, जिसके बाद भारत का स्थान है।"

गौरतलब है कि यह पहली बार है जब अमेरिका ने भारत और चीन इस मामले में एक ही कसौटी पर साधा है। दोनों ही देशों को अवैध फेंटनील बनाने के लिए आवश्यक सप्लाई करने वाले देशों में गिना गया है। पिछले साल की रिपोर्ट में भारत को केवल एक मामूली आपूर्तिकर्ता बताया गया था। वहीं चीन को चीन को प्राथमिक स्रोत बताया गया था। इस बार मामला बदल गया है। इस बदलाव से यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अब भारत की भूमिका पर पहले से अधिक गंभीर नजर रख रहा है। यह नई दिल्ली के लिए अलग तरह की कूटनीतिक और आर्थिक चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है।

यह मामला उस वक़्त सामने आया है जब ट्रम्प ने यह घोषणा की है, नशीली दवाइयों से छुटकारा पाना देश की राजनीतिक प्राथमिकता है। इससे देश की विदेश नीति भी प्रभावित होगी। इस महीने की शुरुआत में ही ट्रम्प ने कहा था कि उनका प्रशासन तब तक चैन की सांस नहीं लेगा जब तक अमेरिका में हमेशा के लिए फेंटनील की दिक्कत खत्म नहीं हो जाती है।

इस वजह से ट्रम्प ने अमेरिका पर 1 फरवरी से 10% एक्स्ट्रा टैरिफ लगा दिया था। अमेरिका का कहना था कि चीन फेंटनील तस्करी रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाया रहा है। ट्रम्प ने कनाडा और मेक्सिको पर 25% की एक्स्ट्रा ड्यूटी लगाई थी। ट्रम्प का आरोप था कि इन दोनों देशों के पास सीमा पर सुरक्षा बरतने के लिए उपयुक्त बल नहीं है।

ट्रम्प ने पिछले दिनों 2 अप्रैल से भिन्न देशों के टैरिफ के जवाब में टैरिफ लगाने की धमकी भी दी थी। हालांकि भारत ने अमेरिका के साथ इस मामले में छूट लेने की पूरी कोशिश कर रहा है। हर तरह से अमेरिका के साथ एक हल निकालना चाह रहा है।

इस वजह से भारत ने कुछ दिनों पहले अमेरिकी डिजिटल कंपनियों पर लगने वाली इक्विलाईजेशन लेवी को हटाने का फैसला भी लिया था। इस टैक्स को गूगल टैक्स भी कहा जाता है। ऑनलाइन विज्ञापन की सुविधा देने वाली बड़ी कंपनियों मसलन गूगल और मेटा को 6% के हिसाब से यह टैक्स देना पड़ता था। भारत ने एक अप्रैल से इसे हटाने की घोषणा की है।

अब जब अमेरिका ने चीन से साथ भारत को भी फेंटनील वाले मामले में आरोपी ठहरा दिया है। अमेरिका और भारत के संबंधों में दरार बढ़ने की बहुत आशंका है। भारत पर लेवी या एक्स्ट्रा ड्यूटी का खतरा भी मंडरा रहा है। इसके साथ ही इससे भारत की दुनिया भर में छवि प्रभावित होने का खतरा भी सामने आ गया है।

क्या भारत इस रिपोर्ट के आरोपों के माकूल जवाब दे पाएगा? क्या अमेरिका के साथ अपनी व्यापारिक और कूटनीतिक नीतियों को बरकरार रख पाएगा?

रिपोर्टः अणुशक्ति सिंह

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