बलात्कार के मामलों में अभियुक्तों को जल्द से जल्द सजा दिलाने की माँग लंबे समय से उठती रही है और अब भोपाल की जिला अदालत की स्पेशल फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में महज 32 दिन में फ़ैसला सुनाते हुए अभियुक्त को मौत की सजा सुनाई है। इस तरह के जघन्य अपराधों में बाक़ी राज्यों में भी ऐसे ही त्वरित फ़ैसले होने चाहिए। इस घटना में भोपाल में आठ साल की बच्ची से रेप और अप्राकृतिक कृत्य के बाद उसकी नृशंस हत्या कर देने वाले अभियुक्त का नाम विष्णु उर्फ़ बबलू बामोरे है।
महज 32 दिनों में आए फ़ैसले का मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वागत किया है। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि लोअर कोर्ट की तरह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भी ऐसे मामलों में फ़ार्स्ट ट्रैक कोर्ट्स स्थापित कर त्वरित सुनवाई करते हुए दरिंदों को वास्तव में फाँसी पर लटकाये जाने का आदेश देने की कार्रवाई तेज़ करनी चाहिए।भोपाल जिला अदालत की स्पेशल फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की जज कुमुदनी पटेल ने गुरुवार दोपहर को यह फ़ैसला सुनाया। आरोपी ने आठ जून 2019 को मांडवा बस्ती में आठ साल की बच्ची के साथ कुकर्म किया था और बाद में उसकी हत्या कर दी थी। बच्ची के पड़ोस में रहने वाले युवक विष्णु ने हत्या के बाद शव पास के नाले में फेंक दिया था। अचानक गायब हो गई बच्ची को परिजन और पुलिस तलाशती रही थी। आरोपी भी बच्ची को ढूंढने का नाटक करता रहा था और बाद में फरार हो गया था। अगले दिन सुबह बच्ची का शव बरामद कर लिया गया था।
बच्ची के ग़ायब हो जाने के मामले की रिपोर्ट लिखने में हीला-हवाली की गई थी, लिहाजा सरकार ने पाँच पुलिस वालों को सस्पेंड भी किया था। सस्पेंशन की कार्रवाई के बाद में पुलिस ने ज़्यादा मुस्तैदी दिखाई थी। अभियुक्त पर बीस हजार का इनाम घोषित करके उसकी तलाश तेज़ कर दी गई थी।
पुलिस ने विष्णु उर्फ बबलू की झुग्गी की तलाशी ली थी। वहाँ पुलिस को ख़ून के धब्बे, बच्ची की टूटी हुई चूड़ियों के टुकड़े और बाल भी मिले थे। पुलिस ने 24 घंटे के भीतर ही विष्णु को खंडवा के पास मोरटक्का इलाक़े के पास से पकड़ लिया था।
सख़्ती से पूछताछ के दौरान विष्णु टूट गया था और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया था। पुलिस ने रिकार्ड वक़्त में 108 पेज का चालान कोर्ट में पेश कर दिया था। कुल 30 लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया था। पकड़े जाने पर परिवारजनों ने विष्णु का साथ नहीं दिया था और उन्होंने इसकी निंदा भी की थी। इसके बाद पुलिस अभिरक्षा और कोर्ट में पेश किए जाने के दौरान आरोपी ने ख़ुद को फांसी दिये जाने की माँग की थी। तमाम साक्ष्यों को देखने और गवाहों को सुनने के बाद स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को विष्णु बामोरे को मौत की सजा सुना दी।
विष्णु के ख़िलाफ़ भारतीय दंड विधान की धारा 302, 376 ए और बी, 377, 366 और 363 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। स्पेशल कोर्ट ने भादवि की धारा 302 और 376 ए एवं बी के तहत फाँसी, अप्राकृतिक कृत्य की धारा 377 के तहत आजीवन कारावास, भादवि की धारा 366 के तहत छह साल और धारा 363 के तहत तीन साल की क़ैद की सजा सुनाई है।
“
इस तरह के जघन्य मामलों के दोषी को त्वरित गति से फाँसी की सजा मिलने से ऐसा अपराध करने की सोच रखने वालों में ख़ौफ़ पैदा होगा। फाँसी की सजा के उदाहरणों को देखकर ऐसा करने से पहले वे अनेक बार सोचने को मजबूर होंगे।
कमलनाथ, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
रेप के आरोपी को मप्र में 27वीं फाँसी
मध्य प्रदेश में हाल के सालों में नाबालिग और अबोध बच्चियों से रेप एवं जघन्य हत्या कर देने जैसे मामलों में दोषी को फ़ार्स्ट ट्रैक कोर्ट्स द्वारा सजा-ए-मौत देने का यह 27वाँ मामला है। बता दें कि शिवराज सरकार में नाबालिगों से रेप और मर्डर सरीखे संगीन जुर्म में फाँसी देने का क़ानून बनाया गया था। ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए लोअर कोर्ट्स में फ़ार्स्ट ट्रैक अदालतों का गठन भी तत्कालीन बीजेपी सरकार में हुआ था। राज्य सरकार के इस क़दम के बाद रेप और मर्डर से जुड़े मामलों में तेज़ गति से पुलिस जाँच, चालान पेश करने और कोर्ट्स द्वारा रिकार्ड समय में सुनवाई पूरी कर सजा सुनाने के मामलों में तेज़ी आयी है।पुलिस और कोर्ट्स अलबत्ता मुस्तैद हुई हैं, लेकिन लोअर कोर्ट के बाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील के रास्ते खुले होने तथा सुप्रीम कोर्ट से भी फाँसी की सजा बरकरार रहने पर राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका के प्रावधान की लंबी क़ानूनी प्रक्रिया के चलते दोषी और उनके वकील तमाम प्रयास करते रहते हैं। मध्य प्रदेश में हुए इस निर्णय से पहले के फाँसी की सजा के 26 मामलों में भी कुछ इसी तरह की प्रक्रियाएँ चल रही हैं। इन 26 मामलों में एक में भी दोषी को फाँसी पर लटकाया नहीं जा सका है।
‘सुप्रीम कोर्ट को भेज रहे हैं पोस्टकार्ड’
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी गुरुवार को भोपाल कोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में स्वयं की सरकार में बनाये गये क़ानून में नाबालिगों से रेप करने वाले को फाँसी की सजा देने के प्रावधान की याद दिलाते हुए कहा कि पूर्व के 26 मामलों में एक भी दोषी को अभी तक फाँसी पर लटकाया नहीं जा सका है। शिवराज ने कहा कि मध्य प्रदेश बीजेपी ऐसे मामलों में हर स्तर पर फ़ार्स्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने और तेज़ी से सुनवाई कर निर्णय दिये जाने की माँग वाले पोस्टकार्ड सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश महोदय को लिख रही है। इस अभियान के तहत माननीय उच्च न्यायालय से माँग की जा रही है कि दोषियों को उनके कुकर्म की सजा शीघ्र और तेज़ गति से मिले, माननीय न्यायालय ऐसी व्यवस्थाएँ करें। यहाँ उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा रेप के मामले सामने आए हैं।
“
रेप के मामलों में कमी तभी आयेगी जब ऐसे जघन्य अपराध के दोषियों को फाँसी पर लटकाया जायेगा।
शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश