चुनावी बॉन्ड पर रोक लगी तो ट्रस्ट में आई चंदे की बाढ़! जानें कौन फायदे में
चुनावी बॉन्ड को भले ही बंद कर दिया गया है, लेकिन चुनावी चंदे में पैसे की बारिश जारी है। पहले चुनावी बॉन्ड में करोड़ों रुपये आते थे और अब इलेक्टोरल ट्रस्ट में। चुनावी बॉन्ड बंद होने से पहले साढ़े दस महीने में इलेक्टोरल ट्रस्ट के ज़रिए जितने चंदे मिले थे उससे क़रीब तीन गुना चंदा बॉन्ड बंद होने के बाद डेढ़ महीने में ट्रस्ट के माध्यम से आ गया।
इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से राजनीतिक दलों को प्रमुख चंदा देने वाले प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को 2023-24 में कुल 1075.7 करोड़ रुपये चंदे के रूप में आए। इसका तीन-चौथाई हिस्सा 16 फरवरी से 31 मार्च, 2024 के बीच आया। जबकि 1 अप्रैल, 2023 से 15 फरवरी, 2024 के बीच ट्रस्ट को 278.6 करोड़ रुपये का चंदा ही मिला था।
ट्रस्ट के माध्यम से आया चुनावी चंदा किन-किन पार्टियों को कितना-कितना मिला, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर चुनावी बॉन्ड को बंद क्यों किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। चुनावी बॉन्ड योजना ने चंदा देने वालों को गुमनाम रहने की अनुमति दी थी। इस बांड से राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की जा रही थी। कंपनीज़ एक्ट की धारा 182 के तहत यह व्यवस्था की गई थी कि कोई कंपनी अपने सालाना मुनाफ़ा के 7.5 प्रतिशत से अधिक का चंदा नहीं दे सकती, लेकिन चुनावी बॉन्ड को इससे बाहर रखा गया था।
पिछले साल ऐतिहासिक फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को चुनाव आयोग को डेटा देने का निर्देश दिया था।
राजनीतिक दलों ने 2018 से चुनावी बॉन्ड योजना में 16518 करोड़ रुपये जुटाए। इन चरणों में लगभग 94 प्रतिशत बॉन्ड का फेस वैल्यू मूल्य 1 करोड़ रुपये था।
इलेक्टोरल ट्रस्ट पर क्या आई है रिपोर्ट?
पिछले वित्त वर्ष के लिए प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट की चंदे की रिपोर्ट अब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई है। इसके अनुसार राजनीतिक दलों को देने के लिए 2023-24 में 1075.7 करोड़ रुपये चंदे मिले, जबकि 2022-23 में इसे 363 करोड़ रुपये मिले थे। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार प्रूडेंट को कॉरपोरेट चंदा देने वालों की संख्या 2023-24 में बढ़कर 83 हो गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह संख्या 22 थी। हालाँकि, आम चुनावों से पहले राजनीतिक चंदे में वृद्धि होना असामान्य नहीं है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि 1 अप्रैल, 2023 से 15 फरवरी, 2024 के बीच 278.6 करोड़ रुपये का चंदा आया, जबकि 16 फरवरी, 2024 से 31 मार्च, 2024 के बीच यह बढ़कर 797.1 करोड़ रुपये हो गया।
भाजपा को सबसे ज़्यादा चंदा मिला
इलेक्टोरल ट्रस्टों को चंदा देने वाले के नाम के साथ मिले प्रत्येक चंदे की घोषणा करनी होती है। इसके साथ ही, इसे राजनीतिक दलों को दिए गए प्रत्येक चंदे की घोषणा करनी होती है और साथ ही पार्टी का नाम भी बताना होता है। हालांकि, यह नहीं बताया जाता है कि किस कॉरपोरेट ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया।
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अब उपलब्ध 2023-24 के लिए विभिन्न इलेक्टोरल ट्रस्टों की चंदा रिपोर्ट के अनुसार, केवल पाँच ट्रस्टों ने चंदे की घोषणा की है- प्रूडेंट (1,075.7 करोड़ रुपये), ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट (132.5 करोड़ रुपये), जयभारत इलेक्टोरल ट्रस्ट (9 करोड़ रुपये), परिवर्तन इलेक्टोरल ट्रस्ट (1 करोड़ रुपये) और आइन्जीगर्टिग इलेक्टोरल ट्रस्ट (17.2 लाख रुपये)।
रिपोर्ट के अनुसार प्रूडेंट को मिले 1075.7 करोड़ रुपये के चंदे को छह पार्टियों में बांटा गया, जिसमें सबसे ज्यादा 723.8 करोड़ रुपये बीजेपी को, 156.4 करोड़ रुपये कांग्रेस को, 85 करोड़ रुपये बीआरएस को, 72.5 करोड़ रुपये वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को, 33 करोड़ रुपये टीडीपी को और 5 करोड़ रुपये जनसेना पार्टी को मिले। ट्रायम्फ ने बीजेपी को 127.5 करोड़ रुपये और डीएमके को 5 करोड़ रुपये दिए। जयभारत ट्रस्ट ने बीजेपी को 5 करोड़ रुपये, डीएमके को 3 करोड़ रुपये और एआईएडीएमके को 1 करोड़ रुपये का चंदा दिया। आइन्जीगर्टिग का पूरा का पूरा पैसा बीजेपी को गया। दिलचस्प बात यह है कि परिवर्तन ने अपने दानकर्ताओं की पहचान नहीं बताई और कहा कि 2023-24 में उसका 1 करोड़ रुपये का दान इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए था।