एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने 2018 के एक ट्वीट के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मुहम्मद ज़ुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की है। गिरफ़्तारी के वक़्त के घटनाक्रमों को गिल्ड ने विचित्र क़रार दिया है।
गिल्ड ने एक बयान जारी कर कहा है, 'एक विचित्र घटनाक्रम में जुबैर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा 2020 के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इसके लिए उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से गिरफ्तारी के ख़िलाफ़ पहले से ही सुरक्षा मिली हुई थी।' बयान में आगे कहा गया है कि जब ज़ुबैर ने समन का जवाब दिया तो उन्हें इसी महीने पहले शुरू की गई एक आपराधिक जाँच के संबंध में गिरफ्तार कर लिया गया। वह भी तब जब एक गुमनाम ट्विटर हैंडल ने आरोप लगाया था कि जुबैर की 2018 की पोस्ट धार्मिक भावनाओं को आहत कर रही थी।
'ऑल्ट न्यूज़' के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को दिल्ली पुलिस ने धारा 153 यानी दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने और 295ए यानी धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
ऑल्ट न्यूज़ के ही एक और सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने सोमवार रात को बयान जारी कर कहा कि ज़ुबैर को दिल्ली पुलिस ने 2020 के एक मामले में जाँच के लिए बुलाया था जिसमें हाई कोर्ट से उन्हें गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है। उन्होंने बयान में आगे कहा, 'हालाँकि आज (सोमवार) क़रीब 6:45 बजे हमें बताया गया कि उन्हें कुछ दूसरी एफ़आईआर में गिरफ़्तार कर लिया गया है जिसके लिए उन्हें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया जो कि क़ानून की धाराओं के तहत ज़रूरी है। बार-बार अनुरोध के बावजदू हमें एफ़आईआर की कॉपी भी नहीं दी गई।'
इसी गिरफ़्तारी को लेकर जारी बयान में एडिटर्स गिल्ड ने कहा है, 'जुबैर को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 और 295 के तहत गिरफ्तार किया गया है।' इसने आगे कहा,
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यह बेहद परेशान करने वाला है क्योंकि जुबैर और उनकी वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने पिछले कुछ वर्षों में फर्जी समाचारों की पहचान करने और दुष्प्रचार अभियानों का मुकाबला करने के लिए बहुत ही उद्देश्यपूर्ण और तथ्यात्मक तरीक़े से कुछ अनुकरणीय कार्य किया है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया
बयान में आगे कहा गया है कि वास्तव में यह टीवी चैनल पर सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता की जहरीली टिप्पणी का खुलासा करने वाला था।
गिल्ड ने यह भी कहा है कि यह साफ़ है कि ऑल्ट न्यूज़ की सतर्कता का उन लोगों द्वारा विरोध किया गया था जो समाज का ध्रुवीकरण करने और राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काने के लिए दुष्प्रचार को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
एडिटर्स गिल्ड ने मांग की है कि दिल्ली पुलिस मोहम्मद जुबैर को तुरंत रिहा करे। इसने जर्मनी में जी7 बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का भी आह्वान किया है। प्रधानमंत्री ने वहाँ कहा है कि भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा की जाती है।