चिराग के खास हुलास पांडेय पर ईडी छापे क्यों, चिराग से भाजपा परेशान क्यों
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नेता हुलास पांडे से जुड़े तीन ठिकानों पर छापे मारे। ये छापे पटना, बेंगलुरु और दिल्ली में एक साथ की गई। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी के एक प्रमुख कद्दावर नेता हुलास पांडे वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित अज्ञात आरोपों के लिए जांच के दायरे में हैं। ईडी ने मामले की बारीकियों पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन इन छापों का संबंध बिहार के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से बताया जा रहा है। ईडी वैसे भी राजनीतिक लोगों पर छापे मारने के लिए चर्चित है।
हुलास पांडेय के ठिकानों पर छापे सुबह से शुरू हुए और इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक जारी हैं। ईडी के साथ लोकल पुलिस टीम भी ईडी के अधिकारियों की गहन जांच में मदद कर रही है। भाजपा ने सारे घटनाक्रम पर चुप्पी साध रखी है।
हुलास पांडेय ने दिसंबर 2023 में एलजेपी (चिराग पासवान) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।क्योंकि सीबीआई ने एक आरोपपत्र में उन्हें 2012 में ब्राह्मेश्वर सिंह मुखिया की सनसनीखेज हत्या मामले में मास्टरमाइंड बताया था। लेकिन पुराने गड़े मुर्दे को अब उखाड़ा गया है। हालांकि बालू खनन से भी इन छापों को जोड़ा गया है।
ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया रणवीर सेना के संस्थापक थे और उनका काफी राजनीतिक रसूख भी था। ब्रह्मेश्वर मुखिया की 1 जून 2012 को बिहार के भोजपुर जिले में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सीबीआई के आरोप पत्र में आरोप लगाया गया कि हुलास पांडेय ने अपना राजनीतिक प्रभाव खोने के डर से मुखिया की हत्या की साजिश रची। पांडेय ने आरोपों से इनकार किया और इसे "राजनीतिक साजिश" करार दिया। इस साल अप्रैल में एक विशेष अदालत द्वारा सीबीआई की चार्जशीट को खारिज करने के बाद उन्हें हत्या के मामले में राहत मिली थी।
क्या चिराग पासवान बिहार में सक्रिय होना चाहते हैंः चिराग पासवान ने हाल ही में भाजपा नेताओं की उस मांग का समर्थन किया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारत रत्न मिलना चाहिए। लेकिन करीब दो हफ्ते पहले चिराग का एक और बयान आया था, जिसके राजनीतिक अंदाजे बहुत नहीं लगाये गये। पासवान के बारे में पहले खबर आई कि वो बिहार विधानसभा में जाना चाहते हैं। इसके बाद जब पत्रकारों ने उनसे पूछा तो चिराग ने उस खबर का खंडन करने की बजाय यह कहा कि कौन विधायक नहीं बनना चाहता है।
चिराग पासवान की पार्टी लगातार उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है। पार्टी की युवा शाखा के प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य पांडेय ने हाल ही में बयान दिया था कि पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता चाहता है कि चिराग पासवान राज्य के सीएम बने। आदित्य पांडेय ने कहा कि एनडीए में हर कोई दल अपने नेता के लिए प्रयासरत है, उसी तरह हमारी पार्टी के कार्यकर्ता भी चिराग के लिए प्रयासरत हैं।
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चिराग पासवान के इस बयान को भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी पसंद नहीं किया। चिराग ने अभी हाल ही में कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा से गठबंधन नहीं हुआ तो उनकी पार्टी सभी सीटों पर अकेले लड़ेगी। इस बयान को भाजपा नेताओं को चौंका दिया है।
चर्चा के मुताबिक नीतीश कुमार के चिराग से अच्छे संबंध होने के बावजूद उन्हें चिराग की महत्वाकांक्षा पसंद नहीं आ रही है। भाजपा के शीर्ष नेताओं की नजर भी चिराग और उनकी पार्टी की पार्टी के नेताओं के बयान पर गई है। कहा जा रहा है कि चिराग की इस महत्वाकांक्षा को भाजपा और नीतीश शुरू में ही दबाना चाहते हैं।
चिराग पासवान के एनडीए विरोधी चर्चित बयान
चिराग पासवान समय-समय पर भाजपा की राजनीतिक लाइन के विरोध में स्टैंड लेते रहे हैं। मोदी के तीसरे कार्यकाल में चिराग पासवान ही ऐसे नेता हैं जो बहुत स्पष्ट तरीके से तमाम मुद्दों पर अपना स्टैंड लेते हैं। जानिएः- 1. मोदी सरकार ने केंद्रीय सेवा में लैटरल एंट्री के जरिए आरक्षण की व्यवस्था को दरकिनार करके तमाम पदों पर सीधे भर्तियां कीं। कांग्रेस ने जमकर इसका विरोध किया। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी खुलकर इसका विरोध कर दिया।
- 2. चिराग पासवान ने जाति जनगणना को जरूरी बताया और इसे पूरे देश में कराने की मांग की। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग लंबे समय से कर रहे हैं।
- 3. एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी चिराग पासवान ने आपत्ति जताई थी। विपक्ष ने भी इसका विरोध किया था।