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नफरत का बाजारः मुस्लिम नाम रखकर अपराध, देश में बढ़ रहा खतरनाक ट्रेंड

नफरत का बाजारः मुस्लिम नाम रखकर अपराध, देश में बढ़ रहा खतरनाक ट्रेंड

देश में ऐसे युवकों की तादाद बढ़ रही है जो मुस्लिम नाम रखकर अपराध कर रहे हैं। लेकिन पुलिस और जांच एजेंसियों की नजरों से नहीं बच पाते, जब उनका पर्दाफाश होता है तो उनका धर्म अलग निकलता है। ऐसे लोगों को सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी राष्ट्रभक्त बताने लगते हैं। उनके अपराध को अच्छा अपराध बताया जाता है। माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम के मुकाबले छोटा राजन को देशभक्त डॉन बताने से यह सिलसिला शुरु हुआ था जो अब नफरत के पूरे बाजार में बदल गया है। जानिए इस रिपोर्ट से इस खतरनाक ट्रेंड कोः 

प्रयागराज (इलाहाबाद) में कुंभ मेले को पिछले हफ्ते जब बम से उड़ाने की धमकी मिली तो देश दहल गया। धमकी देने वाले का नाम नासिर पठान बताया गया। लेकिन नासिर पठान पुलिस जांच में आयुष जायसवाल निकला। सोशल मीडिया पर फौरन मुस्लिम आतंकियों के नाम गिनाये जाने लगे। मुस्लिम सहम गये, क्योंकि कुंभ में ऐसी घटना को अंजाम देने के नतीजों को वो जानते थे। गोधरा में ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद गुजरात में हुए दंगे आज भी एक बदनुमा दाग बने हुए हैं। लेकिन यह अफसोसनाक बात है कि ऐसा ट्रेंड या प्रवृत्ति देश में बढ़ रही है। युवक मुस्लिम नाम रखकर संगीन अपराधों को अंजाम दे रहे हैं या ऐसा सोच रहे हैं। लेकिन ऐसा करने वाले सिर्फ हिन्दू युवक नहीं हैं। मुस्लिम युवक भी इस आदत को अपना रहे हैं जो देश के लिए खतरनाक है। 

नासिर पठान ने 31 दिसंबर को सोशल मीडिया पर कुंभ मेले में बम विस्फोट की धमकी दी थी। देशभर की पुलिस को हाई अलर्ट जारी किया गया। यूपी पुलिस ने जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान पुलिस भवानीपुर (बिहार) पहुंची और नासिर पठान को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन उसने पुलिस को बताया कि उसका असली नाम आयुष जायसवाल है। उसने ऑनलाइन धमकी देने के लिए नासिर पठान नाम का इस्तेमाल किया था। 

भवानीपुर थाना प्रभारी सुनील कुमार ने कहा, ''यूपी पुलिस और भवानीपुर पुलिस के संयुक्त प्रयास के बाद आयुष कुमार जयसवाल को गिरफ्तार किया गया। आरोपी की पहचान खतरनाक मानसिकता वाले व्यक्ति के रूप में हुई है। हम उसके कनेक्शन और उसके कार्यों के पीछे के मकसद की जांच कर रहे हैं। पुलिस ने यह भी पुष्टि की कि धमकी देने के तुरंत बाद आयुष ने नेपाल की यात्रा की थी। एसपी कार्तिकेय शर्मा ने कहा, "हम जांच कर रहे हैं कि आयुष नेपाल में कहां गया और वहां वह किससे मिला।" अधिकारियों ने आयुष के खिलाफ फर्जी सोशल मीडिया आईडी बनाने और बम से उड़ाने की धमकी देने का मामला दर्ज किया है। एसपी शर्मा ने कहा, " पुलिस यह भी समझने में जुटी है कि आयुष की नेपाल यात्रा का खतरे से कोई संबंध है या नहीं।"

द हिन्दू अखबार की एक रिपोर्ट में जून 2024 में कहा गया कि आगरा की एक अदालत ने धीरेंद्र राघव को सांप्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेज दिया। स्थानीय पुलिस ने उसे हिंदू समुदाय को गाली देने वाला वीडियो बनाने के आरोप में हिरासत में लिया था। उस व्यक्ति ने पारंपरिक मुस्लिम पोशाक पहनकर खुद को उग्रवादी बताकर वीडियो बनाया था। सूरज कुमार राय, पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) शहर, आगरा ने बताया कि “सोशल मीडिया के जरिये एक वीडियो हमारे संज्ञान में आया कि एक व्यक्ति ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किया है जो सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है। वीडियो पर तत्काल संज्ञान लेते हुए, न्यू आगरा पुलिस स्टेशन की टीम ने आरोपी को हिरासत में ले लिया और उसे अदालत में पेश किया।''

राम मंदिर उड़ाने की धमकी देने वाले हिन्दू

जनवरी 2024 में लखनऊ के गोमती नगर से दो युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। इन दोनों ने नवंबर 2023 में एक सोशल मीडिया पोस्ट पर अयोध्या में राम मंदिर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बम से उड़ाने की धमकी दी थी। जांच फौरन यूपी एसटीएफ को सौंप दी गई। उसने लंबे समय तक जांच की। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से पता लगाया कि गोमती नगर में कहीं से यह पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली गई है। टास्क फोर्स ने गोमती नगर के विभूति खंड में घर को घेर लिया और वहां से ताहर सिंह और ओमप्रकाश मिश्रा को गिरफ्तार किया। एसटीएफ ने उस समय बताया था कि दोनों युवकों ने नवंबर में '@iDevendraOffice' हैंडल से 'X' पर एक पोस्ट में आदित्यनाथ, एसटीएफ प्रमुख अमिताभ यश और अयोध्या के राम मंदिर को उड़ाने की धमकी दी थी। जांच में शुरू में पता चला कि ईमेल आईडी 'alamansariखान608@gmail.com' और 'zubairkhanisi199@gmail.com' का इस्तेमाल धमकी भरे पोस्ट भेजने के लिए किया गया था। ईमेल आईडी के तकनीकी विश्लेषण के बाद, यह पाया गया कि ताहर सिंह ने ईमेल अकाउंट बनाए और ओमप्रकाश मिश्रा ने धमकी भरे संदेश भेजे। बयान में कहा गया है कि सिंह और मिश्रा दोनों गोंडा के निवासी हैं और एक पैरामेडिकल संस्थान में काम करते हैं। 

बुर्का पहनकर शादी करने पहुंची

जौनपुर की जिला अदालत में सितंबर 2024 में उस वक्त हंगामा हो गया जब एक युवती बुर्का पहनकर कोर्ट मैरिज करने पहुंची। एक महिला के साथ एक युवक और बुर्का पहने युवती थी। वकीलों ने ताड़ लिया कि बुर्का पहनकर आई युवती मुस्लिम नहीं बल्कि हिन्दू है। उन्होंने उसके बातचीत और हावभाव से इसका पता लगाया। शोर मचने पर भीड़ वहां जमा हो गई। पुलिस को सूचना मिली तो वो मौके पर पहुंची और उन्हें अपने साथ ले गई। तब तक सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हो गया। वायरल वीडियो में भीड़ उनसे उनका नाम और अन्य विवरण पूछती दिख रही है। उन्होंने बुर्के के अंदर सिन्दूर लगाकर हिंदू धर्म को 'बदनाम' करने के लिए भी लड़की की आलोचना की। लेकिन पुलिस ने लड़की के साथ साथ आये युवक के खिलाफ केस दर्ज किया। उस पर लड़की के अपहरण का मामला दर्ज किया गया। जबकि बालिग युवती बुर्का पहनकर कोर्ट मैरिज करने आई थी।

ऑप इंडिया और सुदर्शन न्यूज तमाम ऐसी खबरों के लिए चर्चा में रहते हैं। नवंबर 2024 की घटना देखिये। भगवा कपड़ों में तीन लोगों को दिखाने वाला एक वीडियो वायरल हुआ और कई यूजर्स ने दावा किया कि वे धोखेबाज थे। वीडियो में, कुछ लोग हिंदू धर्म के बारे में उनके ज्ञान की जांच करने के लिए तीन लोगों से सवाल करते नजर आ रहे हैं। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि ये लोग हिंदू पुजारियों के वेश में मुस्लिम थे। वीडियो रिकॉर्ड करने वाला व्यक्ति भगवा वस्त्र पहने तीन लोगों का सामना करते हुए कहता है, “कम से कम एक श्लोक (संस्कृत में एक श्लोक) का पाठ करें, वरना हम आपको जाने नहीं देंगे। आप कितने देवताओं के नाम जानते हैं?” इस पर एक आदमी जवाब देता है, "हम भोलेनाथ की पूजा करते हैं।" फिर उन्हें चुनौती देते हुए पूछा जाता है कि अगर वे केवल एक देवता का नाम जानते हैं तो वे सच्चे साधु कैसे हो सकते हैं। उनके आसपास जमा भीड़ को उन्हें 'बांग्लादेशी' और 'रोहिंग्या' कहकर पुकारते हुए और कुछ लोगों द्वारा उन्हें पीटने की बात कहते सुना जा सकता है। वीडियो रिकॉर्ड करने वाला व्यक्ति भीड़ को बताता है कि साधुओं में से एक का नाम वास्तव में 'सलमान' है और वह भीड़ को अपने दावे के समर्थन में एक आईडी कार्ड दिखाता है।

इस खबर को दक्षिणपंथी प्रचार आउटलेट ऑपइंडिया और ज़ी 24 ने ट्वीट के साथ-साथ रिपोर्ट प्रकाशित की। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर रिपोर्ट का लिंक पोस्ट किया और कैप्शन दिया: “सलमान और उनके साथी भगवा कपड़े पहनकर भीख मांग रहे थे। उनकी असली पहचान एक आईडी कार्ड से सामने आई। वे न तो कोई श्लोक पढ़ सकते थे और न ही हिंदू देवी-देवताओं का ठीक से नाम ले सकते थे।''

सुदर्शन न्यूज़ ने इस घटना के बारे में एक वीडियो रिपोर्ट ट्वीट की, जिसे कैप्शन के साथ साझा किया गया: “गुजरात के सूरत में, 'जिहादी' सलमान और उसका गिरोह साधु बनकर भीख मांग रहे थे... तीन 'जिहादी' भगवा वस्त्र पहने और खुद को साधु बताने वाले को गिरफ्तार कर लिया गया है।” आरएसएस के अखबार पांचजन्य ने भी इस घटना के बारे में ट्वीट किया। उसने हेडिंग दी- “साधुओं के भेष में पकड़े गए मुसलमान! साधु बनना है तो हिंदू क्यों नहीं बन जाते?

इस खबर को बताकर दक्षिणपंथी चैनल, अखबार, वेबसाइट सो गईं। लेकिन पुलिस और आल्ट न्यूज के संस्थापक संपादक फैक्टचेकर्स जुबैर समेत तमाम लोगों ने अपनी जांच का काम जारी रखा। दैनिक भास्कर समूह के गुजराती दैनिक दिव्य भास्कर ने 4 नवंबर की रिपोर्ट में कहा कि पुलिस जांच में पता चला कि तीनों लोग हिंदू थे और जूनागढ़ के रहने वाले थे। रिपोर्ट में सूरत के अडाजण पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर आर बी गोजिया के हवाले से कहा गया है कि तीन भिक्षुओं को संदिग्ध व्यक्तियों के रूप में रिपोर्ट किया गया था, और बाद में उनसे पूछताछ की गई।

पूछताछ के बाद, सत्यापन के लिए, उनकी वास्तविक पहचान तय करने के लिए जूनागढ़ में जांच शुरू की गई। यह पाया गया कि उनके द्वारा दिए गए नाम सटीक थे। एक व्यक्ति का नाम सलमान नाथ है, जिससे लोगों में संदेह पैदा हो गया कि वह किसी अलग धर्म का हो सकता है। हालाँकि, यह पुष्टि की गई कि वह हिंदू था।

ऑल्ट न्यूज़ को संबंधित साधु का वोटर आईडी कार्ड मिला। उस आदमी का नाम सलमाननाथ परमार है और उसके पिता का नाम सुरमनाथ परमार है। परमार उपनाम राजपूत वंश से जुड़ा है, जो ज्यादातर उत्तरी और मध्य भारत से आते हैं, खासकर राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तरी महाराष्ट्र से। जिन दक्षिणपंथी चैनलों, अखबार और वेबसाइट इस घटना पर जहर उगला था, उन्हें सच प्रकाशित नहीं किया।

कर्नाटक पुलिस ने जुलाई 2022 में बताया कि कोडागु जिले में देवी कावेरी और महिलाओं पर आपत्तिजनक, अभद्र पोस्ट करने के आरोप में एक हिंदू युवक को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार युवक की पहचान कोडागु जिले के विराजपेट तालुक के केदामुल्लुरु निवासी दिविन देवैया के रूप में की गई है। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने मुस्लिम युवक के नाम से अकाउंट खोलकर मैसेज पोस्ट किए थे। आरोपी ने अपने फर्जी अकाउंट के जरिए देवी कावेरी पर अपमानजनक और अपमानजनक संदेश पोस्ट किए, जिन्हें स्थानीय कोडवा समुदाय अपने देवता के रूप में पूजता है। उन्होंने अपने अपमानजनक पोस्ट में कोडवा समुदाय की महिलाओं को भी निशाना बनाया था। खास बात यह रही कि गिरफ्तारी पर दक्षिणपंथी संगठनों ने कोडागु में बंद का आह्वान भी किया था। हालांकि बंद नाकाम हो गया।

2019 में, एक परेशान करने वाली खबर सामने आई, जो हिंसा और भारी मात्रा में अशांति का कारण बन सकती थी। 2019-20 के एंटी-सीएए आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल में टोपी और लुंगी पहने छह लोग पथराव में शामिल पाए गए। लेकिन द टेलीग्राफ ने बताया कि पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद पुलिस ने कथित तौर पर एक ट्रेन इंजन पर पथराव करते समय स्थानीय निवासियों द्वारा पहचाने जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ता और उसकी पार्टी के पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। मुर्शिदाबाद में अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है। सिर्फ उन्हें बदनाम करने के लिए भाजपा के लोग लुंगी और टोपी पहन कर पहुंचे थे।

अक्टूबर, 2023 में, एक ऐसे व्यक्ति का वीडियो सामने आया, जो देखने में मुस्लिम लग रहा था। उस व्यक्ति को ब्राह्मण समुदाय के प्रति अपमानजनक भाषा बोलते हुए पकड़ा गया था। उसमें वो शख्स खुद को जावेद हुसैन बताते हुए कह रहा है कि हरिद्वार में मुसलमानों का मुकाबला करने में सक्षम कोई हिंदू नहीं है। वह आक्रामक भाषा बोलते हुए हिंदू समुदाय के ब्राह्मणों का उल्लेख करता है। उस वीडियो को ट्विटर (अब एक्स) पर सुदर्शन न्यूज़ के पत्रकार सागर कुमार ने साझा किया था। उस वीडियो को 89,000 से अधिक बार देखा गया और 4,000 से अधिक बार रीट्वीट किया गया। ऑल्ट न्यूज़ ने जांच की तो पता चला कि वीडियो में दिख रहा आदमी दिलीप भगेल नाम का एक भिखारी था, जिसे हरिद्वार पुलिस के अनुसार नशीली दवाओं के प्रभाव में यह भड़काऊ बयान देने के लिए मजबूर किया गया था, जिसकी पुष्टि भगेल ने भी की थी।

फरवरी 2023 में, एक और परेशान करने वाली घटना सामने आई, जिसने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अपराध करने के लिए मुसलमानों का रूप धारण करना एक विनाशकारी आदत बनती जा रही है। महाराष्ट्र के एक जोड़े पर आरोप लगा कि उन्होंने निर्माणाधीन राम मंदिर को विस्फोट से उड़ाने की धमकी दी है। अधिकारियों के अनुसार, 2 फरवरी को अनिल रामदास घोडाके ने अयोध्या निवासी को धमकी भरा फोन किया और राम मंदिर पर हमला करने का वादा किया।

अनिल रामदास घोडाके ने इन थ्रेड्स को जारी करते समय खुद को बिलाल के रूप में पेश करने की कोशिश की थी, जो एक वास्तविक व्यक्ति है और दिल्ली का निवासी है। विद्या सागर धोत्रे, जो घोडाके की पत्नी हैं, को भी अपराध में फंसाया गया। अयोध्या पुलिस ने उस जोड़े को हिरासत में ले लिया था जो मूल रूप से महाराष्ट्र का रहने वाला था। जोड़े की कथित आपराधिक गतिविधियाँ मंदिर की धमकी से आगे तक फैली हुई थीं। पुलिस ने उन पर वित्तीय लाभ के लिए लोगों को धोखा देने और धोखा देने के लिए मुसलमानों का रूप धारण करने का आरोप लगाया। उनके तौर-तरीकों में लोगों को धोखा देना और बाद में उन्हें मुआवजे के लिए ब्लैकमेल करना भी शामिल था।

अगस्त, 2023 में उत्तर प्रदेश के तालग्राम शहर के एक चंचल त्रिपाठी ने एसएचओ हरि श्याम सिंह के खिलाफ साजिश रची। पुलिस के मुताबिक चंचल त्रिपाठी ने मंसूर कसाई नामक शख्स को 10,000 रुपये का लालच देकर शिव मंदिर के अंदर मांस रखवा दिया। जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया। कई मस्जिदों को आग लगा दी गई। यह घटना, जिसके कारण 17 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने जांच के बाद मामला खोल दिया। उसने बताया कि साजिश के पीछे चंचल त्रिपाठी था। 

और भी तमाम घटनाएं हैं, जिन्हें यहां लिखा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ हिन्दू आरोपी ही ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। कई मुस्लिम आरोपी भी ऐसा ही कारनाम करते पाये गये। जिन्हें पकड़ा गया। लेकिन ऐसी घटनायें सामाजिक विभाजन के खतरनाक नतीजों को बता रही हैं। पर प्रकाश डालती है। इनका मकसद क्या है, इसे समझने के लिए बहुत ज्ञान की जरूरत नहीं है।

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