
CEC की नियुक्ति विवादः राहुल गांधी ने आंबेडकर का हवाला क्यों दिया
लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी ने कहा कि अगले मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के चयन पर मोदी सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी। उन्होंने सरकार से बैठक टालने को कहा था। लेकिन सरकार ने राहुल की बात को अनसुना कर दिया। राहुल ने कहा कि अगर चयन समिति अगले सीईसी को चुनती है, तो यह संवैधानिक संस्थानों के लिए अपमानजनक और अशिष्टतापूर्ण होगा। वो भी तब, जब इस पैनल और प्रक्रिया को अदालत में चुनौती दी गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (बुधवार को) होनी है।
नेता विपक्ष ने मंगलवार को अपना असहमति नोट सार्वजनिक किया। राहुल ने अपने असहमति नोट में कहा कि सीईसी और चुनाव आयुक्तों (ईसी) के चयन के लिए 2023 में पारित कानून के खिलाफ याचिकाओं पर बुधवार को अदालत में सुनवाई होनी है। जिसमें सिर्फ 48 घंटे बाकी हैं।" उन्होंने कहा कि अगले सीईसी को चुनने की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक टाल दिया जाना चाहिए।
आंबेडकर का जिक्र इसलिए किया
अपने असहमति नोट में राहुल गांधी ने संविधान सभा में जून 1949 में भीमराव आंबेडकर के भाषण का हवाला दिया और कहा कि संविधान की मसौदा समिति के प्रमुख ने भारत के लोकतंत्र और चुनाव आयोग के मामलों में कार्यकारी हस्तक्षेप के बारे में चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू यह है कि आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त हो।
गांधी ने मार्च 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी को लेकर करोड़ों मतदाताओं की बड़ी चिंताओं को दर्शाता है। यह सार्वजनिक सर्वेक्षणों में भी दिखाई देता है जो भारत की चुनाव प्रक्रिया और इसकी संस्थाओं में मतदाताओं के भरोसे में निरंतर गिरावट दिखाते हैं।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से सरकार ने अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक कानून को अधिसूचित किया, जिसमें इसके शब्द और भावना को दरकिनार किया गया। गांधी ने कहा, "सरकारी कानून ने सीईसी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किए जाने वाले केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल करने के लिए समिति का पुनर्गठन किया और चीफ जस्टिस को चयन समिति से हटा दिया। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के शब्द और भावना का घोर उल्लंघन है।"
During the meeting of the committee to select the next Election Commissioner, I presented a dissent note to the PM and HM, that stated: The most fundamental aspect of an independent Election Commission free from executive interference is the process of choosing the Election… pic.twitter.com/JeL9WSfq3X
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 18, 2025
एक ट्वीट में गांधी ने कहा कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और सीजेआई को समिति से हटाकर चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि आंबेडकर और देश के संस्थापक नेताओं के आदर्शों को कायम रखना और विपक्ष के नेता के तौर पर सरकार को जवाबदेह ठहराना उनका कर्तव्य है।
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प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा आधी रात को नए मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन का फैसला लेना अपमानजनक और अशिष्टतापूर्ण है।
-राहुल गांधी, नेता विपक्ष, 18 फरवरी 2025 सोर्सः राहुल के एक्स हैंडल से
1988 बैच के केरल काडर के अधिकारी ज्ञानेश कुमार, जो पिछले साल चुनाव आयुक्त नियुक्त होने से पहले केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के सचिव के पद से रिटायर हुए थे, को सोमवार देर रात मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। प्रधानमंत्री की अगुआई वाली चयन समिति ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। कुछ ही देर बाद सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी।
ज्ञानेश कुमार 2023 के नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। हरियाणा काडर के आईएएस विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है।
नया सीईसी चुनने के लिए बैठक सोमवार शाम को पीएमओ में हुई थी। बैठक में शामिल हुए गांधी ने इसी बैठक में अपना असहमति पत्र पेश किया था।
मार्च 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने संसद द्वारा नया कानून बनाए जाने तक चयन पैनल में भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) को शामिल करने का निर्देश दिया। सीईसी और ईसी की नियुक्ति के लिए कोई विशिष्ट कानून न होने के कारण यह फैसला आया। 2 मार्च, 2023 को अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ के मामले में दिए गए फैसले में कहा गया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली एक समिति जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई शामिल हों, को सीईसी और ईसी का चयन करना चाहिए।
सरकार ने 2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें तथा पदावधि) अधिनियम पारित किया, जिसके तहत चयन समिति में बदलाव किया गया। इसमें सीजेआई को बाहर कर दिया गया।
सोमवार की बैठक 2024 में राहुल गांधी के विपक्ष का नेता बनने के बाद चयन पैनल की पहली बैठक थी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और गांधी ने दिसंबर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का चयन करने के लिए बैठक में असहमति नोट दिया था।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)