सीएए के तहत अभी तक सिर्फ 14 लोगों को नागरिकता प्रमाणपत्र

07:04 pm May 15, 2024 |

गृह मंत्रालय ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के तहत 14 लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र सौंपे। कानून 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था। हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस साल मार्च में सीएए नियमों को अधिसूचित किया था। लेकिन लगभग दो महीने बाद ही सीएए के तहत नागरिकता प्रमाणपत्र जारी किए गए। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर सताए गए या सताए जा रहे अल्पसंख्यक भारत में नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।

केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने बुधवार को 14 लोगों को उनके आवेदन ऑनलाइन मिलने और जांच होने के बाद नागरिकता प्रमाणपत्र सौंपे। चार साल पहले शुरू हुई प्रक्रिया का कुछ नतीजा अब सामने आया है। हालांकि आवेदन करने वालों की तादाद बहुत कम बताई जा रही है।

सीएए कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों से आने वाले लोगों के लिए लाया गया था। इससे पहले बने 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया गया। लेकिन इसके तहत जो लोग 31 दिसंबर 2014 के बाद या पहले भारत आए हैं, सिर्फ उन्हीं लोगों को इस कानून से नागरिकता मिल सकती है।

भारत में इसका जबरदस्त विरोध हुआ। कई राज्यों में आंदोलन शुरू हो गए। शाहीनबाग के रूप में महिलाओं का सशक्त आंदोलन इसके विरोध में खड़ा हुआ। मार्च में केरल की वाम मोर्चा सरकार ने सीएए के कार्यान्वयन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उसने तर्क दिए कि नियम "संविधान के मूल सिद्धांत, मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ" हैं।

पिछले महीने, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा था कि केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने के बाद संसद के पहले सत्र में ही सीएए को रद्द कर दिया जाएगा।

विपक्ष का कहना है कि सीएए मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है और असंवैधानिक है। बीजेपी ने विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति के लिए मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस कानून का मकसद उनकी नागरिकता छीनना नहीं है। हालांकि भाजपा सरकार ने एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन) का भी वादा किया था लेकिन अब वो इस पर खामोश है।