लीजिए, बीजेपी के एक नेता को किसानों के आंदोलन में एक और साज़िश नज़र आ गई! वह साज़िश ऐसी वैसी नहीं है, बल्कि बर्ड फ्लू फैलाने की है! बीजेपी नेता कहते हैं कि प्रदर्शनकारी साज़िश के तहत बिरयानी इसलिए खा रहे हैं कि बर्ड फ्लू फैले।
सरकार की नीतियों के कई समर्थक किसानों के इस आंदोलन को आतंकवादी, खालिस्तानियों से जुड़े होने जैसे आरोप पहले से ही लगाते रहे हैं। लेकिन अब राजस्थान के बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने कहा है कि देश में 'जो इस तरह का माहौल पैदा करने की साज़िश रच रहे हैं वे आतंकवादी, लुटेरे और चोर हो सकते हैं'। उनके इस बयान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसे राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट किया है।
डोटासरा ने लिखा है 'भाजपा, राजस्थान के विधायक मदन दिलावर जी का किसानों के लिए आतंकवादी, लुटेरे जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना शर्मनाक है।'
उन्होंने मदन दिलावर के जिस वीडियो को ट्वीट किया है उसमें उनको यह कहते सुना जा सकता है, 'तथाकथित किसान आंदोलित हैं। किस बात के किसलिए आंदोलित हैं- किसानों के हित में बिल लाया गया है उन तीनों बिलों को निरस्त किया जाए ताकि किसानों को लाभ न मिले...।'
उन्होंने कहा, '... आंदोलन क्या है... ये तो पिकनिक मना रहे हैं। वहाँ चिकन बिरयानी खा रहे हैं। काजू-बादाम खा रहे हैं। ...सब प्रकार के ऐशो आराम कर रहे हैं।'
आगे वह कहते हैं, 'चिकन बिरयानी खाकर, मैं समझता हूँ, बर्ड फ्लू फैलाने का षडयंत्र है। अब यह आशंका है कि कुछ दिनों तक सरकार ने चाहे निवेदन करके चाहे सख़्ती से इसको (किसानों को) नहीं हटाया तो देश में बर्ड फ्लू का प्रकोप बड़ा रूप धारण कर सकता है।'
वीडियो में उनको यह कहते सुना जा सकता है,
“
वेष बदल-बदल कर वहाँ इस प्रकार से आ रहे हैं जिसमें आतंकवादी भी हो सकते हैं, जिसमें चोर-लुटेरे भी हो सकते हैं। जो किसानों के दुश्मन भी हो सकते हैं। ये सबलोग देश को बर्बाद करना चाहते हैं।
कथित मदन दिलावर के वीडियो में बयान
उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलनकारियों को तुरंत रोका जाए। उन्हें वीडियो में किसानों पर सख़्ती बरते जाने का आह्वान करते हुए भी सुना जा सकता है।
बीजेपी विधायक का यह बयान तब आया है जब केंद्र सरकार लगातार किसानों से बातचीत कर रही है। अब तक 8 दौर की बातचीत हो चुकी है। हालाँकि, कृषि क़ानूनों के मसले पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है। बातचीत के दौरान सरकार ने कृषि क़ानूनों में संशोधन की बात कही जबकि किसानों ने फिर कहा कि उन्हें संशोधन नहीं चाहिए, बल्कि उनकी मांग क़ानूनों को रद्द करने की है।
आठवें दौर की बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था, ‘तीनों क़ानूनों को लेकर चर्चा हुई और सरकार का यह आग्रह रहा कि किसान संगठन क़ानूनों को रद्द करने के अतिरिक्त कोई विकल्प दें तो सरकार उस पर विचार करेगी लेकिन चर्चा के बाद भी विकल्प नहीं आ सका।’ किसानों ने बातचीत से पहले ही साफ़ कर दिया था कि वे कृषि क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी की क़ानूनी गारंटी देने पर ही बात करेंगे।
बता दें कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के हज़ारों किसान दिल्ली और उसके आसपास डेरा डाले हुए हैं।
कई स्वयंसेवकों और ग़ैर-सरकारी संगठनों ने भोजन, पानी, आश्रय मुहैया कराया है और प्रदर्शनकारियों की मदद करने के लिए क़दम बढ़ाया है। कई किसान समूह ख़ुद खाने-पीने की चीज़ें आपूर्ति करते रहे हैं। इस बीच कई वीडियो वायरल हुए हैं जिसमें किसानों को बिरयानी, पिज़्जा खाते किसान देखे जा सकते हैं।