खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या को लेकर ऑस्ट्रेलिया ने रिपोर्टों को चिंताजनक बताया है और कहा है कि उसने इस मुद्दे को अपने भारतीय समकक्षों के साथ उठाया है। इसके अलावा अमेरिका ने भी इन रिपोर्टों को चिंताजनक बताया है। तो क्या कनाडा इस मामले में भारत पर दबाव बनाने का राजनीतिक खेल खेल रहा है?
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया है कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से भारतीय एजेंटों का संबंध है। उनके दावे पर एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा, 'देखिए, ये चिंताजनक रिपोर्टें हैं, और मैंने देखा है कि जांच अभी भी चल रही है, लेकिन जाहिर तौर पर ये चिंताजनक रिपोर्टें हैं और हम इन घटनाओं की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। हमारे साझेदार, और हम ऐसा करना जारी रखेंगे... हमने, ऑस्ट्रेलिया ने इन मुद्दों को अपने भारतीय समकक्षों के साथ उठाया है, जैसा कि आप हमसे उम्मीद करेंगे।'
यह पूछे जाने पर कि क्या ऑस्ट्रेलिया इस मुद्दे को जापान के साथ उठाने की योजना बना रहा है, क्योंकि वह क्वाड का सदस्य है, वोंग ने कहा कि हालाँकि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकतीं कि क्या उठाया गया है और क्या उठाया जाएगा, देश की प्रमुख स्थिति यह है कि वह मानता है सभी देशों की संप्रभुता और कानून के शासन का सम्मान किया जाना चाहिए।'
उन्होंने इस बारे में जानकारी देने से भी इनकार कर दिया कि क्या इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में इस विषय को निजी तौर पर उठाया गया था।
कनाडा ने एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया है। उसका दावा है कि वह देश में भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का प्रमुख था। इसके बाद भारत ने भी मंगलवार को कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को पांच दिनों के भीतर देश छोड़ने को कहा।
ट्रूडो के आरोपों का जोरदार खंडन करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था, 'कनाडा में हिंसा के किसी भी कृत्य में भारत सरकार की संलिप्तता के आरोप बेतुके और प्रेरित हैं। इसी तरह के आरोप कनाडाई प्रधानमंत्री द्वारा हमारे प्रधानमंत्री पर लगाए गए थे और पूरी तरह से खारिज कर दिये गये।'
द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार आरोप लगाने से कुछ हफ्ते पहले कनाडाई अधिकारियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अपने सहयोगियों से निज्जर की हत्या की सार्वजनिक निंदा की मांग की थी। लेकिन ट्रूडो को अमेरिका से वैसा साथ नहीं मिला।
रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में भारत में जी20 शिखर सम्मेलन में तनाव दिखा था जिसमें ट्रूडो को दरकिनार कर दिया गया और प्रधानमंत्री मोदी के साथ औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता से इनकार कर दिया गया था। शिखर सम्मेलन से इतर खालिस्तान मुद्दे पर चर्चा हुई, जिससे रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए।
अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि ट्रूडो ने राष्ट्रपति बाइडेन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ आरोपों को उठाया था, इस विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में चर्चा होने की संभावना है।
इसके जवाब में अमेरिका ने गहरी चिंता व्यक्त की और कनाडा की जांच और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के महत्व पर जोर दिया।
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका उस क्वाड के सदस्य हैं जिसमें इन दो देशों के अलावा भारत और जापान भी सदस्य देश हैं। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका उस फाइव आईज खुफिया गठबंधन का हिस्सा भी हैं जिसमें इन दोनों देशों के अलावा कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और न्यूजीलैंड भी हैं।
सोमवार को कनाडाई संसद में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि उनकी सरकार पर जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को भारत सरकार के एजेंटों से जोड़ने के विश्वसनीय आरोप हैं। अगले दिन ट्रूडो ने कहा कि वह भारत को उकसाने या तनाव को बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रहे थे, बल्कि चाहते थे कि नई दिल्ली निज्जर की हत्या को अत्यंत गंभीरता के साथ ले। भारत सरकार ने इस आरोप को बेतुका और मोटिवेटेड बताकर खारिज कर दिया है।