इंडिया गठबंधन बरकरार है- अखिलेश यादव
इंडिया गठबंधन बिखर गया है या बरकरार है? इस बारे में भले ही किसी को संदेह हो, लेकिन अखिलेश यादव पूरी तरह स्पष्ट हैं। उन्होंने रविवार को गठबंधन में दरार की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि गठबंधन बरकरार है। हाल के कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों और फिर उमर अब्दुल्ला के बयान के बाद इंडिया गठबंधन में दरार की अटकलें लगाई जाने लगी थीं।
लेकिन इसी बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी एकजुटता के बारे में आत्मविश्वास से बात करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन बरकरार है। उन्होंने कहा, 'इंडिया गठबंधन का गठन भाजपा के खिलाफ क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने के लिए किया गया था। समाजवादी पार्टी इस गठबंधन को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और भाजपा के खिलाफ लड़ने वाले दलों के साथ मजबूती से खड़ी है।'
अखिलेश यादव का यह बयान इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं की ओर से मिले-जुले संकेतों के बीच आया है। वैसे तो इंडिया गठबंधन को लेकर ताज़ा चर्चा तब शुरू हो गई जब दिल्ली चुनाव में कांग्रेस व आप के बीच बात नहीं बनी और इंडिया गठबंधन के कुछ सहयोगियों ने आप को समर्थन की घोषणा कर दी। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान आ गया। उन्होंने गुरुवार को इंडिया गठबंधन ख़त्म करने की बात कह दी।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन की कोई बैठक नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन लोकसभा चुनाव तक ही था तो इसे खत्म कर देना चाहिए क्योंकि इसके पास न कोई एजेंडा है और न ही कोई नेतृत्व।
उमर के इस बयान के बाद कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गठबंधन के व्यापक उद्देश्य को दोहराते हुए कहा, 'इंडिया गठबंधन देश की आत्मा की रक्षा के लिए बनाया गया था, न कि केवल लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए। इसने शानदार प्रदर्शन किया, जिसने कई क्षेत्रों में बीजपी के प्रभुत्व को कम किया। भविष्य का रास्ता गठबंधन के सभी नेताओं द्वारा सामूहिक रूप से तय किया जाएगा।'
कांग्रेस नेता की तरह दूसरे नेता इतने आशावादी नहीं हैं। उमर के बयान के बाद इंडिया गठबंधन की घटक शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर ये गठबंधन एक बार टूट गया तो दोबारा नहीं बनेगा।
संजय राउत ने कहा, 'मैं उमर अब्दुल्ला जी की बात से सहमत हूँ। लोकसभा चुनाव हम एक साथ लड़े और अच्छा रिजल्ट भी आया। उसके बाद हमारी सबकी ज़िम्मेदारी थी, ख़ासकर कांग्रेस की जो गठबंधन की बड़ी पार्टी है, कि इंडिया गठबंधन को जिंदा रखे और फिर एक बार सब साथ में बैठकर आगे की चर्चा करें।'
राउत ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, उमर अब्दुल्ला, ममता बनर्जी सबका यह कहना है कि इंडिया गठबंधन का कोई वजूद नहीं रहा। उन्होंने कहा, 'लोगों के मन में अगर इस प्रकार की भावना आती है तो इसके लिए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी ज़िम्मेदार है। कोई कम्युनिकेशन नहीं, डायलॉग नहीं, चर्चा नहीं है, इसका मतलब है कि इंडिया गठबंधन में सबकुछ ठीक है या नहीं, इसके बारे में लोगों के मन में शंका है।'
इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के ऐसे बयान क्यों आ रहे हैं? क्या सच में इंडिया गठबंधन का मक़सद सिर्फ़ लोकसभा चुनाव साथ लड़ने का था?
दरअसल, विपक्षी दल तब एकजुट होने शुरू हुए थे जब उनको एहसास हुआ कि मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को हराना मुश्किल है। इन दलों को यह भी लग रहा था कि बीजेपी हर क्षेत्रीय दल को ख़त्म करना चाहती है और इसी के तहत उनके नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा रही थी और उनको गिरफ़्तार भी किया जा रहा था।
इसी बीच विपक्षी दलों के नेता बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए एकजुट हुए। इसको भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन यानी 'इंडिया' गठबंधन नाम दिया गया। इसमें कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, आरजेडी, जेडीयू, एनसीपी समेत कई पार्टियां शामिल थीं। इंडिया गठबंधन को बनाने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे बड़ी भूमिका रही। उन्होंने सभी क्षेत्रीय पार्टियों को इकट्ठा करने का जिम्मा उठाया और 2 जून 2023 को बिहार के पटना में इंडिया गठबंधन की नींव डाली।
देश में मोदी सरकार के लगभग एक दशक में अर्थव्यवस्था में दिक्कतें, बेरोजगारी में वृद्धि, विपक्षी नेताओं पर हमले, देश के अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के खिलाफ हिंदू राष्ट्रवादियों के हमले और असहमति और स्वतंत्र मीडिया के लिए सिकुड़ती जगह देखी गई है। 26 दलों के गठबंधन ने इन मुद्दों को लगातार उठाया है। गठबंधन लगातार कहता रहा है कि दांव पर भारत के बहुदलीय लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष नींव का भविष्य है। गठबंधन के घटक दलों के नेता लगातार कहते रहे हैं कि देश में 'लोकतंत्र को बहाल करने' के लिए संयुक्त मोर्चा बनाया गया है।
चुनाव बाद इंडिया गठबंधन में थोड़ी हलचल तब शुरू हुई जब इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान आ गया था। ममता ने हरियाणा-महाराष्ट्र और उपचुनावों में इंडिया ब्लॉक के खराब प्रदर्शन को लेकर 7 दिसंबर को नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था, 'मैंने इंडिया गठबंधन बनाया। इसका नेतृत्व करने वाले इसे ठीक से नहीं चला सकते, तो मुझे मौका दें। मैं बंगाल से ही गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए तैयार हूं।' इस पर शरद पवार, लालू यादव जैसे कई नेताओं ने ममता का समर्थन किया था। बाद में जब दिल्ली चुनाव की बारी आई तो आप और कांग्रेस के बीच सहमति नहीं बन पाई। अब इंडिया गठबंधन को आगे जारी रखने पर सवाल उठ रहे हैं।