कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 28 मई को एक्स पर एक महत्वपूर्ण ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने कहा- निवर्तमान प्रधानमंत्री की कृपा ने पहले ही अडानी ग्रुप को देश का एकमात्र प्राइवेट एयरपोर्ट संचालक बना दिया है। अब अडानी ने अन्य 25 हवाईअड्डों को 'बेचने' की मोदी सरकार की दुष्टता से भरी योजना को लीक कर दिया है। करदाताओं के पैसे से बनाई गई ये सार्वजनिक संपत्तियां 'टेंपो मैन' को कौड़ियों के भाव बेची जा रही है।
जयराम रमेश ने कहा कि सत्ता में आने जा रही इंडिया जनबंधन की सरकार मोदानी घोटाले की कठोर जेपीसी जांच कराएगी। रमेश ने अपने ट्वीट के साथ फाइनेंशियल अखबार का लिंक भी दिया है, जहां यह खबर छपी है कि सरकार किस तरह 2025 यानी अगले साल तक देश के दो दर्जन से ज्यादा एयरपोर्ट को प्राइवेट क्षेत्र को सौंप देगी। फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा है, इसको जानते हैं। तभी कांग्रेस औऱ जयराम रमेश के आरोपों की पुष्टि हो सकेगी।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने इस खबर का खुलासा करते हुए कहा है कि अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स (एएएचएल) कम से कम 25 हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए तैयार है। अडानी एंटरप्राइजेज की प्रेंजेंटेशन के मुताबिरक सरकारी कंपनी भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) 2025 तक देश के 30-35 हवाईअड्डों को निजी क्षेत्र को बेचने या सौंपने के लिए टेंडर जारी करेगी। अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स सरकारी टेंडर प्रक्रिया में भाग लेकर अपने पोर्टफोलियो में और अधिक एयपोर्ट को जोड़ेगी।
अडानी की कंपनी AAHL को 2019 में कुछ एयरपोर्ट सौंपे गए थे, जिनका संचालन वो कर रहा है। ये हैं त्रिवेंद्रम, मंगलुरु, अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ और गुवाहाटी हवाई अड्डे हैं। यानी मोदी जब दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री बने तो सरकार ने सरकारी हवाईअड्डों को बेचा। जिसका सबसे बड़ा खरीदार अडानी समूह था। 2021 में अडानी की कंपनी ने मुंबई एयरपोर्ट को भी हासिल कर लिया। मुंबई हवाई अड्डा उसने GVK समूह से लिया था। अब अडानी की कंपनी भारत में कुल यात्री यातायात का 23% हिस्सा नियंत्रित करती है। यानी पैसेंजर ट्रैफिक का 23 फीसदी हिस्सा अडानी के पास है।
चुनाव के बाद बिकेंगे सरकारी एयरपोर्ट
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 30-35 सरकारी एयरपोर्ट लोकसभा चुनाव 2024 के बाद बिकेंगे। अखबार ने अडानी एंटरप्राइजेज (एईएल) के उप मुख्य वित्तीय अधिकारी सौरभ शाह को कोट किया है। सौरभ शाह ने कहा- “हम निश्चित रूप से निजीकरण के लिए आने वाले हवाईअड्डों को देखेंगे और यह चुनाव के बाद होगा। हम उन हवाईअड्डों में परियोजनाओं के लिए 100% बोली लगाएंगे जो हमारे नेटवर्क की मुख्य ताकत हैं जिन्हें हम विकसित करना चाहते हैं।किन सरकारी हवाईअड्डों पर है नजर
देश के चुनिंदा सरकारी एयरपोर्ट पर अडानी सहित निजी क्षेत्र की तमाम कंपनियों की नजर है। इनमें चेन्नै, भुवनेश्वर, अमृतसर और वाराणसी जैसे प्रमुख एयरपोर्ट हैं। इनके अलावा धर्मशाला और झारसुगुड़ा जैसे छोटे हवाईअड्डे भी शामिल हैं। इनमें कुछ एयरपोर्ट पर हाई वाल्यूम पैसेंजर ट्रैफिक है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अडानी को सरकारी एय़रपोर्ट सौंपे जाने का मामला कई बार उठा चुके हैं। राहुल गांधी ने 7 फरवरी 2023 को कहा- देश में एयरपोर्ट से लेकर सेब तक में एक ही शख्स की चर्चा है। राहुल ने कहा कि आखिर पीएम मोदी का अडानी समूह से क्या लिंक है। राहुल ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए अडानी पर अपना हमला केंद्रित रखा।
राहुल ने कहा- पहले पीएम मोदी अडानी के विमान में सफर करते थे अब अडानी मोदी जी के विमान में सफर करते हैं। यह मामला पहले गुजरात का था, फिर भारत का हो गया और अब अंतरराष्ट्रीय हो गया है। राहुल ने पूछा अडानी ने पिछले 20 सालों में और इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को कितना पैसा दिया? राहुल गांधी ने 7 फरवरी 2023 को संसद में कहा था-
“
2022 में, श्रीलंका बिजली बोर्ड के अध्यक्ष ने श्रीलंका में संसदीय समिति को सूचित किया कि उन्हें राष्ट्रपति राजपक्षे ने बताया कि उन पर पीएम मोदी द्वारा अडानी को पवन ऊर्जा परियोजना देने के लिए दबाव डाला गया था। यह भारत की विदेश नीति नहीं, अडानी के कारोबार के लिए नीति है।
-राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद, 7 फरवरी 2023, लोकसभा में
राहुल गांधी ने पीएम की ऑस्ट्रेलिया यात्रा और फिर अचानक अडानी को एसबीआई कर्ज मिलने पर सवाल किया- पीएम मोदी ऑस्ट्रेलिया जाते हैं और जादू से, एसबीआई ने अडानी को 1 बिलियन डॉलर का ऋण दिया। फिर वह बांग्लादेश जाता है और फिर बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड अडानी के साथ 25 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर करता है।
राहुल ने अडानी समूह को मिले एयरपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा- एक नियम है जिसके पास हवाई अड्डों का पूर्व अनुभव नहीं है वह हवाई अड्डों के विकास में शामिल नहीं हो सकता है। इस नियम को बदल दिया गया और अडानी को छह हवाई अड्डे दिए गए। उसके बाद भारत के सबसे लाभदायक हवाई अड्डे 'मुंबई एयरपोर्ट' को GVK से CBI, ED जैसी एजेंसियों का उपयोग करके अपहरण कर लिया गया और भारत सरकार द्वारा अडानी को दे दिया गया।