अडानी पर लगे आरोपों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में जंग छिड़ गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अडानी वाले बयानों को लोकसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया है। दूसरी तरफ उन्हीं बयानों को लेकर बीजेपी के तमाम सांसदों ने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी दे दिया है। सवाल ये है जब राहुल के अडानी वाले बयान को संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया है तो राहुल के खिलाफ लाए जा रहे तमाम नोटिसों का क्या होगा। राहुल के बयान को हटाए जाने को कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या कहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने आज बुधवार दोपहर को एक ट्वीट में लिखा - राहुल गांधी की अडानी महामेगा स्कैम से जुड़े पीएम पर की टिप्पणियों को हटाया, लोकसभा में लोकतंत्र का किया गया अंतिम संस्कार। ओम शांति।
राहुल गांधी ने कल मंगलवार को संसद में अडानी और पीएम मोदी के रिश्तों को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। राहुल ने कहा था कि देश के एयरपोर्टों का अपहरण कर अडानी को सौंप दिए गए। अडानी के पास एयरपोर्ट चलाने का कोई अनुभव नहीं था। अडानी को रक्षा उपकरण बनाने का अनुभव नहीं है लेकिन उस समूह को इस्राइल से ड्रोन बनाने का ठेका मिलता है, जबकि सरकारी कंपनी एचएएल और अन्य कंपनियां पहले से ही ड्रोन बना रही है। अडानी के लिए हमारी विदेश नीति को बदल दिया गया।
8 फरवरी को निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव नोटिस दिया। अभी तक ओम बिड़ला ने कोई फैसला नहीं लिया है।
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद दुबे ने गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि राहुल का बयान "भ्रामक, अपमानजनक और अभद्र" था। दुबे ने राहुल गांधी पर "सदन को गुमराह" करके नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। उनके अनुसार, "दस्तावेजी साक्ष्य" के बिना पीएम मोदी पर "क्रोनी कैपिटलिज्म" का आरोप लगाना उल्लंघन था। बिड़ला को लिखे उनके पत्र में कहा गया है कि मोदी-अडानी कनेक्शन पर गांधी की टिप्पणी "असत्यापित, अपमानजनक और अपमानजनक" थी।
क्या हैं संसदीय नियमः संसदीय नियमों के अनुसार, एक शिकायतकर्ता को किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी आरोप को साबित करने के लिए उसकी पहचान की घोषणा करनी चाहिए और साथ में सबूत, दस्तावेजी या जो भी है, प्रस्तुत करना चाहिए। यदि किसी सांसद द्वारा शिकायत की जाती है, तो यह तय करना उस सदस्य का कर्तव्य होगा कि शिकायत झूठी, तुच्छ या तंग करने वाली नहीं है और नेक नीयत से की गई है। किसी सांसद द्वारा शिकायत किए जाने की स्थिति में शपथ पत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
राहुल गांधी के मामले में कई चीजें स्पष्ट हैं। राहुल ने संसद में जो भी आरोप लगाए, बार-बार कहा कि उसके सबूत हैं। संसद की संयुक्त जांच समिति (जेपीसी) को दे दिए जा सकते हैं, अगर सरकार जेपीसी पर सहमत होती है। राहुल ने संसद में मोदी-अडानी का फोटो भी लहराया था। राहुल के सारे देश-विदेश की मीडिया में सुर्खियां बना चुके हैं। अखबारों में छप चुके हैं। अगर संसद से उसे हटाया भी जाता है तो वो इतिहास में दर्ज हो चुका है। अब जबकि उनके बयान को हटा दिया गया है तो बीजेपी सांसद किस आधार पर राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ला सकते हैं। समझा जाता है कि स्पीकर को इस पर माथामच्ची करना पड़ेगी। वैसे सभी की नजर पीएम मोदी के बयान पर लगी हुई है।