अडानी घूसकांडः यूएस कोर्ट में नया घटनाक्रम क्या है, मुश्किलें बढ़ेंगी?
अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) और न्यूयॉर्क में अडानी समूह के खिलाफ चल रहे मुकदमे को अब एक ही जज को सौंप दिया गया है। सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह के खिलाफ दर्ज नागरिक (सिविल) और आपराधिक मामलों को "संयुक्त" नहीं किया गया है, बल्कि मुकदमे की कार्यवाही को व्यवस्थित करने और अदालत की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें एक ही जज को सौंपा गया है। लेकिन दोनों मामले अलग-अलग चलेंगे।
अमेरिकी कोर्ट में यह आदेश 12 और 18 दिसंबर, 2024 को जारी किया गया था। अदालती आदेश से संकेत मिलता है कि कोर्ट में केस के शेड्यूलिंग टकराव को रोकने और सुचारू संचालन के लिए ही इन मामलों को एक जज को फिर से सौंपा गया है। जबकि रिश्वतखोरी योजना के आरोपों पर केंद्रित दोनों मामले, अब अमेरिकी जिला जज निकोलस गारौफिस द्वारा देखे जा रहे हैं, वे अलग बने हुए हैं। इसका मतलब यह है कि दीवानी और आपराधिक कार्यवाही अलग-अलग सुनी जाएगी, हर के लिए अलग-अलग निर्णय दिए जाएंगे। दो अलग-अलग फैसले आने पर अडानी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अमेरिकी जस्टिस विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि एक मामला एसईसी से संबंधित और दूसरा न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले में आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित है, अब एक ही जज द्वारा संभाला जा रहा है, लेकिन दोनों मामले अलग-अलग ही चलेंगे।
अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी को नवंबर 2024 में अमेरिकी अटॉर्नी ने घूस देने और उसकी साजिश रचने की योजना में उनकी कथित संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया था। अमेरिकी अधिकारियों ने अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह अन्य पर 265 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी योजना का आरोप लगाया है। कोर्ट में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सोलर पावर अनुबंध हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी, जिससे दो दशकों में अडानी समूह को 2 अरब डॉलर का मुनाफा होगा। अमेरिकी निवेशकों ने अडानी समूह की वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर तमाम शिकायतें अदालत में की हैं।
भारत के सेबी की तरह अमेरिकी रेगुलेटर एसईसी ने अडानी और अन्य पर विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के तहत आरोप लगाया है। अभियोग न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय में दायर किया गया था। अडानी पर वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों में सितंबर 2021 में अडानी ग्रीन का 750 मिलियन डॉलर का बांड जारी करना भी शामिल है। इन बांडों में अमेरिकी निवेशकों के लगभग 175 मिलियन डॉलर शामिल थे। एसईसी की शिकायत में दावा किया गया है कि अडानी ने जो दस्तावेज भ्रष्टाचार विरोधी उपायों के बारे पेश किये थे, वे भ्रामक थे। उनसे अमेरिकी निवेशक गुमराह हुए थे। बता दें कि जब कोई कंपनी बांड जारी करती है तो उसे लिखित में बताना पड़ता है कि उसने बांड बेचते समय कोई भ्रष्ट तरीका नहीं अपनाया है। उसे यह भी बताना पड़ता है कि भ्रष्ट तरीकों को रोकने के लिए उसने क्या-क्या कदम उठाये हैं।
यूएस जस्टिस विभाग ने उस समय अपने बयान में कहा था कि अडानी समूह की "कथित योजना के दौरान, अडानी ग्रीन ने अमेरिकी निवेशकों से 175 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाए, और एज़्योर पावर के स्टॉक का न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार किया गया।"
2020 के जून महीने में जब भारत के लोग जबरदस्त कोरोना महामारी, गर्मी, महंगाई, बेरोजगारी का सामना कर रहे थे तो भारतीय अरबपति गौतम अडानी की एक बिल्कुल नई कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी सोलर पावर में दुनिया की सबसे बड़ी बोली में सबसे बड़ा टेंडर हासिल कर रही थी। उसने कई राज्यों में बिजली कंपनियों के जरिए समझौते शुरू किए लेकिन उसमें बहुत सारी समस्याएं थीं। अमेरिकी जांच अधिकारियों के अनुसार, स्थानीय बिजली कंपनियां सरकारी कंपनी द्वारा दी जा रही कीमतों का भुगतान नहीं करना चाहती थीं, जिससे सौदा खतरे में पड़ गया। सौदे को बचाने के लिए, अडानी ने कथित तौर पर स्थानीय अधिकारियों को बिजली खरीदने के लिए राजी करने के लिए रिश्वत देने का फैसला किया।
आरोप है कि गौतम अडानी और उनकी कंपनी के अधिकारियों ने भारत के सरकारी अधिकारियों को कथित तौर पर करोड़ों डॉलर की रिश्वत देने का वादा किया। यहीं से अमेरिकी न्याय विभाग और प्रतिभूति और विनिमय आयोग का ध्यान अडानी समूह की गतिविधियों पर गया। क्योंकि अडानी की कंपनियां 2021 से शुरू होने वाले कई लेनदेन में अमेरिकी निवेशकों से धन जुटा रही थीं।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गौतम अडानी की कथित रिश्वत योजना का पूरा विवरण संघीय अभियोजकों के 54 पेज के आपराधिक अभियोग में दर्ज है। अडानी और उनके सात सहयोगियों बीच बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक संदेशों को पकड़ा गया है। 2020 की शुरुआत में, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने अडानी ग्रीन एनर्जी (ADNA.NS) को सम्मानित किया। एज़्योर पावर ग्लोबल (AZREF.PK) से भी 12-गीगावाट सौर ऊर्जा परियोजना के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया। अभियोग के मुताबिक दोनों कंपनियों को अरबों डॉलर का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।
गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी द्वारा संचालित अडानी ग्रीन एनर्जी के लिए यह एक बड़ा कदम था। एसईसी की शिकायत के अनुसार, उस समय तक, कंपनी ने अपने इतिहास में केवल लगभग $50 मिलियन कमाए थे और अभी भी लाभ कमाना बाकी था। लेकिन इस पहल में जल्द ही रुकावटें आ गईं। इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस, एक थिंक टैंक की 7 अप्रैल, 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय राज्यों की बिजली वितरण कंपनियां भविष्य में कीमतों में गिरावट की उम्मीद करते हुए नई सौर ऊर्जा खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रही थीं।
फेडरल कोर्ट के अभियोग के मुताबिक अगस्त 2021 में, गौतम अडानी की दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के एक अधिकारी के साथ कई बैठकों में से पहली बैठक हुई, जिसे उन्होंने कथित तौर पर राज्य को बिजली खरीदने के लिए सहमत करने के बदले में 228 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने का वादा किया था। जस्टिस विभाग के अभियोग के अनुसार दिसंबर तक, आंध्र प्रदेश बिजली खरीदने के लिए सहमत हो गया और छोटे अनुबंध वाले अन्य राज्यों ने भी जल्द ही ऐसी ही पहल की। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अन्य राज्यों के अधिकारियों को भी रिश्वत देने का वादा किया गया था।
एसईसी के अनुसार, 6 दिसंबर, 2021 को एक कॉफी शॉप में बैठक के दौरान, एज़्योर के अधिकारियों ने कथित तौर पर इन "अफवाहों पर चर्चा की कि अडानी ने किस तरह सौदों पर हस्ताक्षर करने में मदद की थी"। गौतम अडानी ने 14 दिसंबर, 2021 को कहा कि "2030 तक अडानी ग्रीन एनर्जी दुनिया की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी" बन जाएगी। एसईसी ने अपनी शिकायत में लिखा, "एज़्योर और अडानी ग्रीन के लिए अचानक अच्छी किस्मत ने मार्केट में धूम मचा दीं।" भारतीय मीडिया अडानी समूह की सफलता के गीत गाने लगा। लेकिन पर्दे के पीछे रिश्वत इस सफलता के जड़ में थी।
न्याय विभाग के अनुसार, एसईसी ने 17 मार्च, 2022 को एज़्योर को एक "सामान्य पूछताछ" पत्र भेजा। एज्योर उस समय न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार कर रही थी। सीईसी ने उसके हालिया कॉन्ट्रैक्ट्स के बारे में पूछा था। न्याय विभाग के अनुसार, गौतम अडानी ने अगले महीने यानी अप्रैल में अपने अहमदाबाद दफ्तर में एक बैठक के दौरान एज़्योर के प्रतिनिधियों से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उन्होंने अधिकारियों को जो रिश्वत दी थी, उसके लिए $80 मिलियन से अधिक की प्रतिपूर्ति की जाएगी, जिससे अंततः एज़्योर के अनुबंधों को लाभ हुआ। कुछ एज़्योर प्रतिनिधियों और कंपनी के एक प्रमुख निवेशक ने अपनी कंपनी को संभावित रूप से लाभदायक परियोजना को संभालने की अनुमति देकर अडानी को वापस भुगतान करने का फैसला किया।
अभियोजकों ने कहा कि प्रतिनिधि और निवेशक कथित तौर पर एज़्योर के निदेशक मंडल को यह बताने के लिए सहमत हुए कि अडानी ने रिश्वत के पैसे का अनुरोध किया था, लेकिन योजना में अपनी भूमिका छिपा ली। इस दौरान, अडानी की कंपनियां अमेरिकी निवेशकों सहित अंतरराष्ट्रीय बैंकों के माध्यम से अरबों डॉलर के लोन और बांड जुटा रही थीं। 2021 और 2024 के बीच चार अलग-अलग धन उगाहने वाले लेनदेन में, कंपनियों ने निवेशकों को दस्तावेज भेजे, उनमें दावा किया गया था कि उन्होंने रिश्वत नहीं दी थी।
17 मार्च, 2023 को अमेरिका की यात्रा के दौरान, एफबीआई एजेंटों ने सागर अडानी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया। उस समय भी भारतीय मीडिया अडानी की सफलता के फर्जी किस्से भारत की जनता को बता रहा था लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि सागर अडानी के इलेक्ट्रॉिनिक डिवाइस यूएस में जब्त किए जा चुके हैं।
एफबीआई एजेंटों ने सागर अडानी को एक जज का सर्च वारंट सौंपा, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिकी सरकार धोखाधड़ी कानूनों और विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के संभावित उल्लंघन की जांच कर रही थी। अभियोजकों के अनुसार, गौतम अडानी ने 18 मार्च, 2023 को सर्च वारंट के हर पेज की तस्वीरें खुद को ईमेल कीं।
अभियोजकों के अनुसार, अडानी की कंपनियों ने फिर भी 5 दिसंबर, 2023 को 1.36 बिलियन डॉलर का सिंडिकेटेड लोन समझौता किया और मार्च 2024 में एक बार फिर निवेशकों को बताया कि उनकी कंपनी रिश्वत देकर काम नहीं कराती। 24 अक्टूबर को, ब्रुकलिन में संघीय अभियोजकों ने गौतम अडानी, सागर अडानी, गुप्ता और इस योजना में कथित रूप से शामिल पांच अन्य लोगों के खिलाफ एक गुप्त ग्रैंड जूरी अभियोग हासिल किया। 20 नवंबर को अभियोग पर से पर्दा हट गया। अडानी समूह की कंपनियों के बाजार मूल्य में 27 बिलियन डॉलर की गिरावट आई। अडानी ग्रीन एनर्जी ने $600 मिलियन की निर्धारित बांड बिक्री को तुरंत रद्द कर दिया।