सत्तारूढ़ पार्टी के करीबी रहे पूर्व डीजी आर.एन. सिंह के नोएडा स्थित घर में रखे लॉकर्स से करीब 9 करोड़ का कैश और करीब सवा दो करोड़ के आभूषण बरामद हुए हैं। इनका मालिक कौन है, कोई नहीं जानता। आयकर विभाग की टीम यहां तीन दिनों से जांच-पड़ताल कर रही थी। रुपयों की गिनती मशीनों से करना पड़ी। आयकर इस संबंध में अधिकृत जानकारी गुरुवार या शुक्रवार को दे सकता है। आयकर विभाग की छापेमारी में ऐसी निजी लॉकर सुविधा का पता चला है जो वह अपने सेक्टर 50, मकान नं. 6 ए वाले घर के तहखाने में चला रहे थे। आयकर विभाग के अनुसार, पूर्व IPS अधिकारी बेसमेंट से एक फर्म चला रहे थे और उनके पास 650 से अधिक लॉकर थे।
सूत्रों के मुताबिक इन लॉकरों से कुल 9 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए। इन पैसों में बहुत सारा बेनामी है। तमाम लॉकरों के मालिक अभी तक सामने नहीं आए हैं। आयकर विभाग को जो रेकॉर्ड यहां से मिला, उसी के मुताबिक उसने लॉकर किराये पर लेने वालों से संपर्क भी किया। आयकर विभाग ने पाया कि अधिकांश लॉकरों को लेने वालों के केवाईसी (नो योर कस्टमर) नहीं किए गए थे। इसलिए इन पैसों और आभूषण को अवैध और बेनामी माना जाएगा।
1983 बैच के IPS अधिकारी मानसम नोएडा वॉल्ट्स नामक एक फर्म चला रहे थे, जिसे "नोएडा की पहली निजी लॉकर सुविधा" के रूप में प्रचारित किया गया था।
क्या हुआ? नोएडा के सेक्टर 50 में बिल्डिंग के बेसमेंट में कई करोड़ रुपये की नकदी रखे जाने की सूचना मिलने के बाद आयकर विभाग ने शनिवार को यहां पड़ताल शुरू कर दी थी। काफी लॉकर खाली भी पाए गए, लेकिन कुछ में से नकदी, आभूषण और दस्तावेज बरामद किए गए।
तलाशी के दौरान दो हजार और 500 रुपये के नोटों के अनगिनत बंडल बरामद किए गए। I-T विभाग के अनुसार, अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था और यह केवल एक तलाशी अभियान था जिसे वे सर्वेक्षण भी कहते हैं। लेकिन वो इस संबंध में गुरुवार या शुक्रवार को बयान देकर सारी जानकारी दे सकती है।
विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि इसका बेनामी संपत्ति से कोई संबंध है या नहीं। आयकर विभाग 20 लाख रुपये किसी लॉकर में रखे होने की सूचना के बाद जांच करने आर. एन. सिंह के तहखाने में रखे लॉकरों तक पहुंची थी।
कौन हैं आर.एन. सिंह1983 बैच के पूर्व आईपीएस आर. एन. सिंह अपने कार्यकाल के दौरान यूपी में खुद को बहुत ईमानदार अधिकारी कहलवाना बहुत पसंद करते थे। मीडिया भी उन्हें बेहद ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में चित्रित करता था। वह सत्तारूढ़ पार्टी और उसके एक सामाजिक संगठन के करीबी लोगों में थे। रिटायर होने के बाद आरएन सिंह मिर्जापुर (यूपी) में रह रहे हैं। वह डीजी पोस्ट से रिटायर हुए थे। लॉकर का व्यवसाय उनकी पत्नी और बेटा सुयश नोएडा में चला रहे थे। फर्म पत्नी के नाम पर है। यह काम बहुत वर्षों से नोएडा में किया जा रहा था।"कुछ भी अवैध नहीं" जबकि पूर्व डीजी आर एन सिंह ने कहा कि उन्होंने कुछ भी अवैध नहीं किया है। सिंह के अनुसार, उन्होंने 2017 में किराये पर लॉकर देने का बिजनेस शुरू किया था, उसी वर्ष वह रिटायर हुए थे। उन्होंने कहा यह काम वैध था। सिंह ने यह भी दावा किया-
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छापे में कुछ भी अवैध नहीं मिला है और कहा कि दो लॉकरों से बरामद किए गए कुछ आभूषण और दस्तावेज उनके परिवार के थे।
- आर.एन.सिंह, पूर्व आईपीएस, मीडिया से
ऐसी पहली घटना नहीं
हाल ही में, राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और माल और सेवा कर खुफिया महानिदेशालय (DGGI) ने कानपुर के इत्र व्यापारी पीयूष जैन के परिसरों पर छापा मारा था। उसके पास से 11 करोड़ रुपये कीमत का 23 किलो सोना और 6 करोड़ रुपये कीमत का 600 किलो चंदन का तेल भी बरामद किया गया था। पीयूष जैन को लेकर सपा और बीजेपी के बयानबाजी भी हुई थी। बीजेपी ने पीयूष जैन को सपा से जुड़ा इत्र व्यवसायी बताया तो सपा ने बीजेपी से जुड़ा इत्र व्यवसायी बताया। लेकिन बाद ने सपा ने दस्तावेजों के जरिए साबित किया कि पीयूष जैन दरअसल बीजेपी से ही जुड़ा था। इसके बाद सपा से जुड़े इत्र व्यापारी और एमएलसी पुष्पराज जैन के यहां भी छापा पड़ा लेकिन वहां से केंद्रीय जांच एजेंसियां कुछ भी बरामद नहीं कर सकीं। सपा से जुड़े कई अन्य कारोबारियों के यहां भी छापे पड़े थे।