उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 10 हज़ार रुपये के लिए ढाई साल की बच्ची के साथ कथित बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या की वारदात पर सोशल मीडिया में ज़बरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। एक साथ कई हैशटैग के साथ हज़ारों लोगों ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने की माँग की है। कुछ लोगों ने इस पर अभियुक्त को मौत की सज़ा देने तक की माँग की है। इस मामले में बॉलिवुड के लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है, राजनीतिक दलों ने इस पर भी दुख जताया है और कार्रवाई की माँग की है।
अलीगढ़ पुलिस ने कहा है कि गला घोंट कर बच्ची की हत्या कर दी गई है, लेकिन बलात्कार की पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है। पुलिस ने जाहिद और असलम नामक दो अभियुक्तों के ख़िलाफ़ प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ़्रॉम सेक्सुअल ऑफ़ेन्सेज़ (पॉक्सो) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। पुलिस का यह भी कहना है कि जाहिद ने बच्ची के दादा से 50 हज़ार रुपए का कर्ज़ लिया था, जिसमें से 10 हज़ार रुपये अभी भी नहीं चुकाए गए हैं। इस पर दोनों में झगड़ा हुआ था। इसके बाद 31 मई को बच्ची गायब हो गई। दो दिन बाद उसकी लाश बरामद की गई।
इस मामले में तुरन्त कार्रवाई नहीं करने के आरोप में 5 पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने इस मामले को एनएसए के तहत भी दर्ज किया है। मामले की जाँच के लिए विशेष जाँच दल गठित कर दी गई है।
सोशल मीडिया पर 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने ट्वीट कर दुख और आक्रोष जताया है। दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की है। पर इसमें सबसे अजब बात यह है कि कुछ लोगों ने ट्वीट कर इस वारदात के लिए ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ को ज़िम्मेदार माना है।
एक साथ कई हैशटैग चल रहे हैं, जिनमें तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ चल रही हैं। कुछ लोगों ने इसके लिए उदारवादियों को आड़े हाथों लिया है, उन्हें 'लिबटार्ड' कहा है और उन्हें धर्मनिरपेक्ष होने के लिए उनकी आलोचना की है। इसे कठुआ बलात्कार कांड से जोड़ दिया है और इस पर भी हिन्दू-मुसलमान का सवाल खड़ा कर दिया है।
इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि समाज बच्चों को सुरक्षा देने में नाकाम रहा है, ऐसे में लड़कियों के प्रति समाज का नज़रिया बदला जाना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की योग सरकार को इस मामले में दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलवानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यूपी की अजय सिंह बिष्ट सरकार को दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिये।’
एक बच्ची की हत्या को धर्मनिरपेक्ष-सांप्रदायिकता की राजनीति से जोड़ना और इस मुद्दे पर भी उदारवादियों की आलोचना करना यह दिखाता है कि भारतीय समाज में किस तरह का ध्रुवीकरण हो गया है। चुनाव के समय के राजनीतिक ध्रुवीकरण की बात तो फिर भी समझ में आती है, पर उसके बीत जाने के बाद इस तरह की बातों से पता चलता है कि समाज में किस तरह ज़हर घुल चुका है। इस मुद्दे पर किसी को लिबटार्ड कहना और किसी के धर्मनिरपेक्ष होने पर उसका मजाक उड़ाना और उसे कटघरे में खड़ा करना बताता है कि हमारा समाज कहाँ पहुँच चुका है।