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मुक्त इंडो पैसिफिक क्षेत्र के लिए अमेरिका-भारत साझेदारी जरूरी: राजनाथ

मुक्त इंडो पैसिफिक क्षेत्र के लिए अमेरिका-भारत साझेदारी जरूरी: राजनाथ

भारत और अमेरिका के बीच 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता शुक्रवार को शुरू हुई। जानिए, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए दोनों देशों ने किन बातों पर जोर दिया।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी को बेहद अहम बताया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने भी दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंध की ज़रूरत पर बल दिया। इजराइल-हमास युद्ध के बीच भारत और अमेरिका के बीच 2+2 स्तर की यह बैठक हो रही है। समझा जाता है कि मध्य पूर्व में अमेरिका का समर्थन हासिल करने के उद्देश्य से विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारत पहुंचे हैं।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एंटनी ब्लिंकन और अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के साथ बैठक कर रहे हैं। भारत ने कहा है कि वार्ता रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित होगी। भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड का हिस्सा है। क्वाड एक ऐसा समूह है जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के खिलाफ खुद को एक सुरक्षा कवच के रूप में देखता है। 

राजनाथ सिंह के विचारों को दोहराते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि हम एक स्वतंत्र और खुले, समृद्ध, सुरक्षित और लचीले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को बढ़ावा दे रहे हैं। ब्लिंकन ने जयशंकर से मुलाकात के बाद कहा, 'यहां भारत में होना हमेशा अद्भुत होता है। हमारे बीच न केवल अब तक की सबसे मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी है, बल्कि एक क्षेत्रीय और वास्तव में एक वैश्विक साझेदारी भी है।'

उन्होंने कहा, 'हमें बहुत कुछ करना है, जिसमें हमारे रक्षा सहयोगी भी शामिल हैं। मुझे लगता है कि यह इंडो-पैसिफिक पर संयुक्त राज्य अमेरिका के दृढ़ संकल्प का एक और सबूत है।'

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में रणनीतिक हितों का सामंजस्य बढ़ रहा है और रक्षा, सुरक्षा और खुफिया सहयोग में वृद्धि देखी गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा हमारे द्विपक्षीय संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक बनी हुई है।

रक्षा मंत्री ने अमेरिकी समकक्ष से कहा, 'आपकी भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका पहले से कहीं अधिक करीब हैं। विभिन्न भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद हमें महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित रखने की ज़रूरत है... हम अमेरिका के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं जो चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।'

माना जा रहा है कि एंटनी ब्लिंकन 2+2 बैठक के दौरान इज़राइल-हमास युद्ध को उठाएंगे और युद्ध पर अपनी स्थिति के लिए भारत का समर्थन हासिल करेंगे। इजराइल पर हमास के अचानक हमले के तुरंत बाद भारत ने हमास की निंदा करने में तेजी दिखाई थी।

हमले के तुरंत बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर इज़राइल के साथ खड़े होने का संकेत दिया था। जबकि 13 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा था, 'इस संबंध में हमारी नीति लंबे समय से और लगातार वही रही है। भारत ने हमेशा सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रहने वाले एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना और इजराइल के साथ शांति से रहने के लिए सीधी बातचीत बहाल करने की वकालत की है।'

बाद में खुद पीएम मोदी ने भी कहा था कि इजराइल-फिलिस्तीन पर भारत का रुख पहले की तरह ही जस का तस है और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने यह बात फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बातचीत में कही थी। 

उन्होंने ट्वीट करके ही इस बात की जानकारी दी है कि इज़राइल-फिलिस्तीन को लेकर भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा, 'फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति महामहिम महमूद अब्बास से बात की। ग़ज़ा के अल अहली अस्पताल में नागरिकों की मौत पर अपनी संवेदना व्यक्त की। हम फ़िलिस्तीनी लोगों के लिए मानवीय सहायता भेजना जारी रखेंगे। क्षेत्र में आतंकवाद, हिंसा और बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर अपनी गहरी चिंता साझा की। इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत की लंबे समय से चली आ रही सैद्धांतिक स्थिति को दोहराया।'

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