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कश्मीर पर इसलामिक देशों के समूह की टिप्पणी 'गैरज़रूरी': भारत

कश्मीर पर इसलामिक देशों के समूह की टिप्पणी 'गैरज़रूरी': भारत

जम्मू कश्मीर में परिसीमन को लेकर इसलामिल सहयोग संगठन की टिप्पणी पर भारत ने क्यों कहा कि ओआईसी को एक देश के इशारे पर भारत के खिलाफ अपने सांप्रदायिक एजेंडे को अंजाम देने से बचना चाहिए?

भारत ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की कार्यवाही पर इसलामिक सहयोग संगठन यानी ओआईसी की टिप्पणी को गै़रज़रूरी क़रार दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ओआईसी की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा, 'हम इस बात से निराश हैं कि ओआईसी सचिवालय ने एक बार फिर भारत के आंतरिक मामलों पर अनुचित टिप्पणी की है।'

प्रवक्ता ने कहा, 'पहले की तरह भारत सरकार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर पर ओआईसी सचिवालय द्वारा किए गए दावों को स्पष्ट रूप से खारिज करती है। जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है।'

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण करने वाले परिसीमन आयोग ने इस महीने की शुरुआत में अपनी अंतिम रिपोर्ट अधिसूचित की है।

परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या को 83 से बढ़ाकर 90 किया है। इसके अलावा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 24 सीटें होने की बात आयोग ने कही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में 9 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की गई हैं। 

आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू में विधानसभा की 6 सीटें बढ़ेंगी जबकि कश्मीर में एक। अब तक जम्मू में 37 सीटें थीं जबकि कश्मीर में 46। इस तरह जम्मू में अब 43 सीटें हो जाएंगी जबकि कश्मीर में 47 सीटें होंगी।

5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था और इसके साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया था और पूर्ण राज्य का दर्जा भी खत्म कर दिया गया था।

परिसीमन आयोग में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई, मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर के निर्वाचन आयुक्त केके शर्मा और मुख्य चुनाव अफसर हृदेश कुमार भी परिसीमन आयोग के सदस्य हैं। 

बहरहाल, एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा, 'ओआईसी को एक देश के इशारे पर भारत के खिलाफ अपने सांप्रदायिक एजेंडे को अंजाम देने से बचना चाहिए।'

परिसीमन के काम के पूरा होने से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। राज्य में जून, 2018 के बाद से ही कोई सरकार अस्तित्व में नहीं है।

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