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महंगाई मार गई! खुदरा मुद्रास्फीति 6.95% हुई; सरकार से बेकाबू?

महंगाई मार गई! खुदरा मुद्रास्फीति 6.95% हुई; सरकार से बेकाबू?

सरकार महंगाई नियंत्रित क्यों नहीं कर पा रही है? लगातार रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा के बाहर खुदरा महंगाई आख़िर क्यों बनी हुई है? जानिए, ताजा आँकड़ों में देश की क्या है स्थिति।

लीजिए, महंगाई का आँकड़ा आ गया। जैसी कि पहले से आशंका थी यह बढ़ी है। मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 6.95 फ़ीसदी रही है। यह लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा से ऊपर है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस महंगाई को 6 प्रतिशत की सीमा के अंदर रखने का लक्ष्य रखा है। यानी मौजूदा महंगाई की दर लगातार तीसरे महीने ख़तरे के निशान के पार है और लगातार बढ़ रही है। तो क्या सरकार से यह नियंत्रित नहीं हो पा रही है?

आप इसका ख़ुद ही अंदाज़ा लगाइए। भारत की खुदरा महंगाई फरवरी के महीने में बढ़कर 6.07 प्रतिशत हो गई थी। यह जनवरी महीने में 6.01 फ़ीसदी थी। और अब सात के आसपास पहुँचने को है। पेट्रोल-डीजल के दाम अलग से बढ़े हैं। यानी इसका असर हुआ तो क्या आगे और भी यह मुद्रास्फीति बढ़ेगी?

महंगाई बढ़ने के पीछे मुख्य तौर पर दो बड़े कारण हैं। खाद्य सामग्री और तेल के दाम में बढ़ोतरी। मार्च के लिए खाद्य मुद्रास्फीति तेजी से बढ़कर 7.68 प्रतिशत हो गई है, जबकि फरवरी 2022 में यह 5.85 प्रतिशत थी। फरवरी की तुलना में मार्च में मांस, मछली, दूध उत्पाद, अनाज, कपड़े और जूते की क़ीमतें बढ़ी हैं।

पिछले हफ्ते हुई बैठक के दौरान आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापे जाने वाली खुदरा मुद्रास्फीति को 5.7 प्रतिशत पर रखने का अनुमान लगाया था। इसके साथ ही इसने कहा था कि पहली तिमाही में यह 6.3 प्रतिशत, दूसरी में 5.8 प्रतिशत, तीसरी में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत का अनुमान लगाया था।

सरकार ने केंद्रीय बैंक को मार्च 2026 को समाप्त होने वाली पांच साल की अवधि के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनाए रखने को कहा था। यानी इसने सीधे-सीधे कहा था कि 2-6 फ़ीसदी के बीच में यह मुद्रास्फीति नियंत्रित की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। 

खाद्य महंगाई तेल की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण बढ़ी। यह मार्च में सालाना 18.79 प्रतिशत चढ़ गया। इसके अलावा सब्जियों की कीमतों में 11.64 फीसदी की तेजी देखी गई, जबकि मांस और मछली में 9.63 फीसदी और मसालों में 8.50 फीसदी की तेजी देखी गई। 

खाद्य और पेय पदार्थों के अलावा, ईंधन और ऊर्जा में 7.52 प्रतिशत, कपड़े और जूते में 9.40 प्रतिशत तेजी आई।

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