+
महंगाई की मार! खुदरा मुद्रास्फीति छह महीने के रिकॉर्ड स्तर पर

महंगाई की मार! खुदरा मुद्रास्फीति छह महीने के रिकॉर्ड स्तर पर

भले ही अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद डीजल-पेट्रोल के दाम चुनाव की वजह से नहीं बढ़े हैं, लेकिन महंगाई बढ़ गई है। सरकार के ही आँकड़े हैं कि छह महीने में यह रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है। 

देश में जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर छह महीने के उच्चतम स्तर 6.01 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह दिसंबर 2021 में भी खाद्य क़ीमतों में तेज़ वृद्धि के कारण पाँच महीने के उच्च स्तर 5.59 प्रतिशत तक पहुँच गया था। 

खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के साथ ही खाद्य मुद्रास्फीति में भी बढ़ोतरी हुई है। यह समीक्षाधीन अवधि के दौरान दिसंबर 2021 में दर्ज 4.05 प्रतिशत के मुक़ाबले 5.43 प्रतिशत हो गई है।

सोमवार को सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2021 की तुलना में जनवरी 2022 में अनाज, अंडे और दूध उत्पादों की क़ीमतें बढ़ीं, जिससे खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई। 

देश की खुदरा मुद्रास्फीति उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापा जाता है। सोमवार को जारी आँकड़ों के अनुसार दिसंबर 2021 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को 5.59 प्रतिशत से संशोधित कर 5.66 प्रतिशत कर दिया गया है।

मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय 6 प्रतिशत के ऊपरी सीमा को पार कर गई है। मार्च 2026 को समाप्त होने वाली पांच साल की अवधि के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया गया है और कहा गया है कि इसे 2 प्रतिशत ऊपर या नीचे यानी 2 से 6 प्रतिशत की सीमा में रखने का लक्ष्य रहेगा।

बता दें कि नवंबर 2021 में थोक महँगाई 16 सालों में सबसे ज़्यादा रही थी। थोक महंगाई अक्टूबर में 12.54 फ़ीसदी थी जो नवंबर में बढ़कर 14.23 प्रतिशत हो गई। 2021 में अप्रैल से शुरू होकर लगातार आठ महीने से थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति दहाई अंक में बनी रही।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें