
ट्रेन अपहरण पर भारत का पाक को जवाब, दुनिया जानती है आतंक केंद्र कहाँ
भारत ने शुक्रवार को आतंकवाद को प्रायोजित करने के पाकिस्तान के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। इसने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का असली केंद्र कहां है। यह प्रतिक्रिया तब आई जब पाकिस्तान ने भारत पर आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने का आरोप लगाया। हालाँकि उसने हाल ही में बलूचिस्तान में हुए ट्रेन हमले से भारत को सीधे जोड़ने से परहेज किया, जिसमें 21 यात्रियों की मौत हुई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, 'हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं। दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है। पाकिस्तान को दूसरों पर उंगली उठाने और अपनी आंतरिक समस्याओं व नाकामियों का ठीकरा फोड़ने के बजाय आत्ममंथन करना चाहिए।'
Our response to media queries on the remarks made by the Pakistan side ⬇️
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) March 14, 2025
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भारत का यह रुख दशकों से चली आ रही उस नीति को दोहराता है जिसमें वह पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक मानता है और बातचीत के लिए शर्त रखता है कि आतंक और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते।
पाकिस्तान के आरोप मंगलवार को जाफर एक्सप्रेस पर हुए घातक हमले के बाद आए। हमले में 24 घंटे से अधिक समय तक बंधक को छुड़ाने का अभियान चला। इस हमले में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए का हाथ माना जा रहा है। बीएलए को पाकिस्तान आतंकवादी संगठन मानता है। हालांकि, पाकिस्तान ने पहले भारत को बलूच अलगाववादियों का समर्थक ठहराया था, लेकिन इस बार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने हमले के समन्वय का स्रोत अफ़ग़ानिस्तान को बताया।
शफकत अली ख़ान ने कहा, 'हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं है। तथ्य वही हैं। भारत पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है, लेकिन इस खास घटना में हमें अफ़ग़ानिस्तान से कॉल के सबूत मिले हैं।'
खान ने भारत पर 'वैश्विक हत्या अभियान' चलाने और पड़ोसी देशों को अस्थिर करने का आरोप लगाया। उन्होंने भारतीय मीडिया पर बीएलए को महिमामंडित करने का भी इल्जाम लगाया। साथ ही, उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान से हमले के 'षड्यंत्रकारियों, आयोजकों और फंड देने वालों' को ज़िम्मेदार ठहराने और पाकिस्तान के साथ सहयोग करने की मांग की। हालांकि, तालिबान ने इन दावों को खारिज कर दिया।
अफ़ग़ान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल काहार बल्खी ने कहा कि पाकिस्तान को 'गैर-जिम्मेदाराना बयानों' के बजाय अपनी सुरक्षा चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए।
आतंकवाद के आरोपों के बीच पाकिस्तान ने अफगान नागरिक कार्ड यानी एसीसी धारकों के लिए 31 मार्च की समय सीमा को दोहराया। खान ने कहा, 'हमने एसीसी धारकों को रहने की छूट दी थी, लेकिन यह अनिश्चितकाल के लिए नहीं थी। अब सरकार ने फ़ैसला किया है कि उन्हें 31 मार्च तक देश छोड़ना होगा, वरना वे अवैध निवासी माने जाएंगे और क़ानून अपना काम करेगा।' यह कदम पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को दिखाता है।
यह पूरा घटनाक्रम भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच जटिल संबंधों को दिखाता है। पाकिस्तान का भारत पर आतंकवाद का आरोप कोई नया नहीं है, लेकिन इस बार अफ़ग़ानिस्तान को भी निशाने पर लेना उसकी दोहरी रणनीति को दिखाता है। एक तरफ़ वह अपनी आंतरिक अस्थिरता - खासकर बलूचिस्तान में बढ़ते विद्रोह - के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहा है, तो दूसरी तरफ अफगान सीमा से बढ़ते ख़तरे को उजागर कर रहा है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी और बीएलए जैसे समूहों के हमले 2025 में पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं, जिसे वह बाहरी ताक़तों से जोड़कर अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश कर रहा है।
भारत का जवाब साफ़ है - वह इन आरोपों को गंभीरता से नहीं लेता और वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ साबित करने में जुटा है। दूसरी ओर, अफगानिस्तान का इनकार इस बात की ओर इशारा करता है कि क्षेत्रीय अस्थिरता का मूल कारण बाहरी साजिशों से ज्यादा स्थानीय असंतोष और कमजोर शासन में छिपा है।
यह विवाद न तो पहला है और न ही आखिरी। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तब तक चलता रहेगा, जब तक दोनों देश अपनी आंतरिक चुनौतियों का समाधान नहीं करते। बलूचिस्तान हमला इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति बिगड़ रही है, और इसे भारत या अफ़ग़ानिस्तान पर थोपना समस्या का हल नहीं है। क्षेत्रीय शांति के लिए ज़रूरी है कि सभी पक्ष संयम बरतें और आतंकवाद के ख़िलाफ़ ठोस सहयोग करें, न कि एक-दूसरे को दोष देकर स्थिति को और जटिल बनाएं।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)