धार्मिक आज़ादी पर अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को भारत ने किया खारिज, बताया पक्षपातपूर्ण
भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आज़ादी पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ़) की उस वार्षिक रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें यह कहा गया था कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। इस आयोग ने भारत को 2004 के बाद पहली बार उन 14 देशों की सूची में रखा है, जहां आयोग के मुताबिक़, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़े हैं। इस सूची में पाकिस्तान, चीन और नॉर्थ कोरिया भी शामिल हैं।
आयोग की रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और नागरिकता संशोधन क़ानून की विशेष रूप से आलोचना की गई है। भारत ने आयोग को झिड़कते हुए कहा है कि इसके पैनल द्वारा ग़लत व्याख्या करने की आदत नए स्तर पर पहुंच गई है।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न और हिंसा का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट में आयोग ने अमित शाह के उस बयान का जिक्र किया है जिसमें उन्होंने घुसपैठियों को दीमक कहा था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के ख़िलाफ़ बदला लेने के बयान का भी जिक्र किया गया है। आयोग ने दिल्ली दंगों के दौरान मुसलमानों पर हमले होने की बात कही है।
‘रिपोर्ट पूरी तरह पक्षपातपूर्ण’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अमेरिकी आयोग को कड़ा जवाब देते हुए कहा, ‘अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है और भारत के ख़िलाफ़ इसके द्वारा इस तरह की टिप्पणियां कोई नई बात नहीं हैं। आयोग अपनी इन कोशिशों में अपने कमिश्नरों को ही साथ नहीं रख पाया है।’
आयोग के 9 में से 2 सदस्यों ने आयोग की उस सिफ़ारिश पर अंसतुष्टि जाहिर की है, जिसमें धार्मिक आज़ादी को लेकर भारत को विशेष चिंता वाले देशों की श्रेणी में रखने की बात कही गई है।
भारत इस आयोग की टिप्पणियों और विचारों को महत्व नहीं देता और एक दशक से भी लंबे समय से उसने इस आयोग के सदस्यों को वीजा तक नहीं दिया है।
आयोग ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि ऐसी आशंका है कि एनआरसी और नागरिकता क़ानून के कारण लाखों मुसलिम अपनी नागरिकता गँवा देंगे। आयोग ने तब अमित शाह और दूसरे प्रमुख भारतीय नेताओं पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने की भी बात कही थी।
ट्रंप ने उठाया था मुद्दा
हाल ही में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर आए थे तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में धार्मिक आज़ादी के मुद्दे को उठाया था। ट्रंप ने कहा था कि मोदी धार्मिक आज़ादी के पक्ष में हैं। ट्रंप ने उस दौरान दिल्ली में हो रहे दंगों और नागरिकता क़ानून को लेकर कहा था कि उन्होंने इस बारे में सुना है। ट्रंप ने कहा था कि मोदी के साथ बातचीत में इन मुद्दों पर कोई बात नहीं हुई।