कोरोना: वैक्सीन के अलावा अब निगलने वाली गोली को भी मंजूरी
भारत में मंगलवार को पहली एंटी-वायरल कोविड-19 गोली मोलनुपिरवीर को मंजूरी मिली है। भारत में यह दवा 13 भारतीय दवा निर्माताओं द्वारा तैयार की जाएगी। भारतीय दवा नियामक ने भारत में इस दवा को कोरोना के वयस्क रोगियों और जिनमें बीमारी बढ़ने का ज़्यादा ख़तरा होगा उनके इलाज के लिए मंजूरी दी है। इस दवा के साथ ही दो और वैक्सीन को भी भारत में मंजूरी दी गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा है कि कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई को मज़बूती देने के लिए एक दिन में तीन मंजूरियाँ दी गई हैं। उन्होंने कहा है कि कॉर्बेवैक्स व कोवोवैक्स वैक्सीन और एंटी वायरल मोलनुपिरवीर की दवा को हरी झंडी दी गई है।
Congratulations India 🇮🇳
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) December 28, 2021
Further strengthening the fight against COVID-19, CDSCO, @MoHFW_INDIA has given 3 approvals in a single day for:
- CORBEVAX vaccine
- COVOVAX vaccine
- Anti-viral drug Molnupiravir
For restricted use in emergency situation. (1/5)
बहरहाल, अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स ने यूएस फार्मा दिग्गज मर्क के सहयोग से कोरोना की इस दवा को विकसित किया है। मोलनुपिरवीर को शुरू में इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए विकसित किया गया था। लेकिन बाद में कोरोना रोगियों के इलाज के लिए इसे नये सिरे से तैयार किया गया है।
मोलनुपिरवीर एक ऐसी एंटी-वायरल गोली है जो कोरोना वायरस के आनुवंशिक कोड में गड़बड़ियाँ डालने का काम करती है। इस वजह से वायरस का बढ़ना रुक जाता है। मोलनुपिरवीर को 200 मिलीग्राम के 4 कैप्सूल को हर 12 घंटे में मुंह से निगलना होता है। इसके लिए पांच दिनों तक 40 कैप्सूल की पूरी खुराक है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एंटी-वायरल दवा मोलनुपिरवीर का निर्माण भारत में 13 कंपनियों द्वारा किया जाएगा।
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने हाल ही में मर्क के मोलनुपिरवीर को वयस्कों में उन हल्के से मध्यम लक्षण वाले कोरोना मरीज़ों के इलाज के लिए अनुमति दी है जिन्हें गंभीर बीमारी का ख़तरा है। इससे पहले नवंबर में ब्रिटेन ने मर्क की इस दवा को सशर्त मंजूरी दी थी। ऐसा करने वाला ब्रिटेन पहला देश था।
क्लिनिकल ट्रायल में कहा गया है कि बीमारी के शुरुआती दौर में उच्च जोखिम वाले मरीज़ों में यह दवा अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु को लगभग 30 प्रतिशत तक कम करती है।
इन दो वैक्सीन को मंजूरी
आज कॉर्बेवैक्स और कोवोवैक्स के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी मिली है। कॉर्बेवैक्स भारत का पहला स्वदेशी आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। इसे हैदराबाद की फर्म बायोलॉजिकल-ई ने बनाया है। नैनोपार्टिकल वैक्सीन कोवोवैक्स का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा किया जाएगा।
इन दोनों वैक्सीन की मंजूरी के साथ ही अब तक भारत में आठ वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। कोविशील्ड, कोवैक्सीन, जायकोव-डी, स्पुतनिक वी, मॉडर्ना और जॉन्सन एंड जॉन्सन को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।