कोरोना के 1.32 लाख नये मामले आए, 3207 लोगों की मौत
देश में 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1 लाख 32 हज़ार 788 नये मामले आए हैं और 3207 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को मंगलवार के एक दिन के आँकड़े जारी किए हैं। इससे एक दिन पहले सोमवार को 24 घंटे में 1 लाख 27 हज़ार 510 मामले दर्ज किए गए थे। वैसे, देखा जाता रहा है कि आम तौर पर सोमवार के आँकड़े हफ़्ते के दूसरे दिनों की अपेक्षा कम आते रहे हैं और इस वजह से मंगलवार के आँकड़े बढ़े हुए दिख रहे हों।
स्वास्थ्य विभाग के ताज़ा आँकड़ों के अनुसार 24 घंटे में 2 लाख 31 हज़ार 456 मरीज ठीक हुए हैं। देश में अब तक 2 करोड़ 83 लाख संक्रमण के मामले आ चुके हैं और 3 लाख 35 हज़ार 102 लोगों की मौत हो चुकी है। 2 करोड़ 61 लाख कोरोना मरीज़ ठीक भी हो चुके हैं। सक्रिए मामलों की संख्या घटकर अब 17 लाख 93 हज़ार हो गई है। यह एक समय 37 लाख से ज़्यादा हो गई थी जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अपने शिखर पर थी।
मई की शुरुआत में दूसरी लहर के अपने चरम पर होने के दौरान सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। अब तक क़रीब एक महीने में ये घटकर क़रीब सवा लाख हो गए हैं।
देश में दूसरी लहर आने के बाद टीकाकरण अभियान को तेज करने की बात कही जा रही है। लेकिन टीके की कमी के कारण यह उस गति से आगे नहीं बढ़ पा रहा है जिस गति से इसे बढ़ना चाहिए। मंगलवार को टीके की 23,97,191 खुराकें लगाई गईं। देश में अब तक कुल 21,85,46,667 खुराकें लगाई जा सकी हैं। हालाँकि दोनों खुराक लेने वालों की संख्या काफ़ी कम है और यह देश की आबादी की क़रीब 3.1 फ़ीसदी जनसंख्या ही है।
देश जब कोरोना की दूसरी लहर से लड़ रहा है तब इस बीच ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में कोरोना का सिर्फ़ एक स्ट्रेन ही ज़्यादा चिंतित करने वाला है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि सबसे पहले भारत में मिले बी.1.617.2 स्ट्रेन 'वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न' यानी 'चिंता वाला वैरिएंट' है। बाक़ी वैरिएंट में इतना ख़तरा नहीं है जितना कि इस बी.1.617.2 वाले में।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फ़िलहाल दुनिया में 4 वैरिएंट को 'वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न' बताया गया है। ये चारों वैरिएंट सबसे पहली बार यूके, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत में मिले।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने भारत में सबसे पहले मिले कोरोना के नये स्ट्रेन का नाम 'डेल्टा वैरिएंट' तय कर दिया है। हालाँकि, इसका वैज्ञानिक नाम बी.1.617 ही रहेगा, लेकिन आम तौर पर ज़िक्र किए जाने के लिए डेल्टा वैरिएंट का इस्तेमाल किया जाएगा। 'इंडियन वैरिएंट' का नहीं। यह इसलिए कि इस नाम पर पहले आपत्ति की गई थी।