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भारत हिन्दू राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा दे रहाः यूएस आयोग

भारत हिन्दू राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा दे रहाः यूएस आयोग

एक अमेरिकी आयोग ने भारत में धार्मिक आजादी खतरे में बताई है। उसने कहा है कि सरकार हिन्दू राष्ट्रवाद को लगातार बढ़ावा दे रही है। आयोग ने भारत को लगातार तीसरे साल उन देशों की सूची में शामिल किया है, जहां धार्मिक आजादी का खतरा बढ़ता जा रहा है।

अमेरिका के इंटरनेशनल रिलीजियस (धार्मिक) फ्रीडम आयोग ने कहा है कि भारत में धार्मिक आजादी खतरे में है। यहां हिन्दू राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा दिया जा रहा है। आयोग ने कहा है कि करीब 15 देशों में धार्मिक आजादी खतरे में है। इसमें पाकिस्तान भी शामिल है। आयोग ने अमेरिकी सरकार से सिफारिश की है कि वो भारत समेत ऐसे सभी देशों को विशेष चिंता वाली सूची में डालें।

यह लगातार तीसरा साल है, जब भारत को इस अमेरिकी संस्था ने धार्मिक आजादी पर खतरे वाले देशों में डाला है। जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रम्प ने क्रमशः 2021 और 2020 में, भारत को विशेष चिंता वाले देश (सीपीसी) के रूप में नामित करने के लिए आयोग की सिफारिश की अनदेखी की थी।

आयोग का गठन 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (आईआरएफए) की एक स्वतंत्र, द्विदलीय अमेरिकी संघीय सरकारी एजेंसी के रूप में किया गया है। भारत ने सोमवार को जारी आयोग की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट में नवीनतम बातों या सिफारिश पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। आयोग की मौजूदा सूची में पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान, उत्तर कोरिया और रूस सहित 10 देशों को सीपीसी के रूप में नामित किया गया है। भारत के साथ चार अन्य देशों को सीपीसी की सिफारिश मिली है: अफगानिस्तान, नाइजीरिया, सीरिया और वियतनाम। इस तरह की सिफारिश का मकसद दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता के सबसे खराब देशों पर अमेरिकी नीति निर्माताओं का ध्यान केंद्रित करना है। ऐसे मामलों में यह अमेरिकी विदेश मंत्री पर निर्भर करता है कि वो इस सूची के किन देशों पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाएं।

रिपोर्ट का भारतीय चैप्टर

2021 में, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति काफी खराब हो गई। इस दौरान, भारत सरकार ने अपने प्रचार और नीतियों को लागू किया - जिसमें हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा देना शामिल है। जो मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक: सरकार ने मौजूदा और नए कानूनों और देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति शत्रुतापूर्ण परिवर्तनों के इस्तेमाल के जरिए राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर एक हिंदू राज्य की अपनी वैचारिक दृष्टि को व्यवस्थित करना जारी रखा। भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और राजद्रोह कानून जैसे कानूनों के तहत उत्पीड़न, जांच, हिरासत और मुकदमों के जरिए आलोचनात्मक आवाजों - विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके लिए रिपोर्टिंग और उनकी वकालत करने वालों का दमन किया।

रिपोर्ट में आदिवासियों के अधिकार के लिए लड़ने वाले स्टेन स्वामी का उदाहरण दिया गया है, जिनकी हिरासत में मौत हो गई, कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी और एनजीओ के लिए नियम कड़े करने का हवाला दिया गया है। आयोग ने धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और संस्थाओं पर उनकी संपत्ति को फ्रीज करके और/या संयुक्त राज्य में उनके प्रवेश को रोककर लक्षित प्रतिबंधों की सिफारिश की है। 

इसने अमेरिकी सरकार से क्वाड मंत्रिस्तरीय सहित बहुपक्षीय मंचों पर सभी धार्मिक समुदायों के मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने का भी आग्रह किया है। इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि अमेरिकी कांग्रेस को अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों को उठाना चाहिए और उन्हें सुनवाई, ब्रीफिंग, पत्रों और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडलों के माध्यम से उजागर करना चाहिए।

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