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कैसे संभव हुआ भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम?

कैसे संभव हुआ भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम?

संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों की सेनाओं के डीजीएमओ एलओसी को लेकर किए गए सभी समझौतों का कड़ाई से पालन करने, युद्ध विराम पर सहमति बनाने पर राजी हो गए हैं। 

बेहद ख़राब हो चुके भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बीच गुरूवार को जब यह ख़बर आई कि दोनों देश लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) पर शांति बहाली और पुराने समझौतों पर अमल करने के लिए राजी हो गए हैं तो दोनों देशों के लोगों का चौंकना लाजिमी ही था। लेकिन यह अचानक नहीं हुआ बल्कि इसके पीछे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मोईद यूसुफ़ के बीच हुई लंबी बातचीत है। 

भारत और पाकिस्तान की ओर से गुरूवार को जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों की सेनाओं के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) एलओसी को लेकर किए गए सभी समझौतों का कड़ाई से पालन करने, युद्ध विराम पर सहमति बनाने पर राजी हो गए हैं। 

दोनों देशों के डीजीएमओ इस बात के लिए भी तैयार हैं कि वे एक-दूसरे की ओर से उठाई गई चिंताओं और अहम मुद्दों पर काम करेंगे। इससे पहले दोनों देश एक-दूसरे पर एलओसी पर सीज़ फायर के उल्लंघन का आरोप लगाते रहे हैं। 

एचटी की ख़बर के मुताबिक़, एनएसए डोभाल और मोईद यूसुफ़ कुछ लोगों के जरिये एक-दूसरे के संपर्क में थे। इन दोनों की एक बार किसी तीसरे देश में आमने-सामने मुलाक़ात भी हुई थी। इस बातचीत की जानकारी रखने वाले शख़्स के मुताबिक़ भारत में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को ही इसकी जानकारी थी। 

हालांकि गुरूवार को मोईद यूसुफ़ ने कुछ ट्वीट कर कहा कि उनके और डोभाल के बीच में कोई बातचीत नहीं हुई है और एलओसी को लेकर उठाया गया ताज़ा क़दम दोनों देशों के डीजीएमओ की लगातार बातचीत का नतीजा है। उन्होंने इस क़दम का स्वागत भी किया। 

 - Satya Hindi

लेकिन यह पहली बार नहीं है जब दोनों देशों के बड़े सैन्य अफ़सरों के बीच सीमा पर शांति कायम रखने की बात हुई है। इससे पहले 2018 में 2003 में हुए सीज़ फ़ायर समझौते को लागू करने पर दोनों देश राजी हुए थे। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अब दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य हो सकते हैं। 

मिल रहे थे संकेत

एचटी के मुताबिक़, हालिया कुछ घटनाओं से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि अब दोनों देश शांति बहाली की ओर बढ़ सकते हैं। इसमें पहली घटना है- इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने इसलामाबाद में कहा था कि यह वह वक़्त है जब शांति बहाली के लिए सभी दिशाओं में हाथ आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। 

इसका संकेत पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान ने हाल में अपने श्रीलंका दौरे के दौरान भी दिया। श्रीलंका में ख़ान ने कहा कि दोनों देश कश्मीर मसले का हल बातचीत से ही निकाल सकते हैं।

इसके अलावा बीते कुछ हफ़्तों से जम्मू-कश्मीर की सीमाओं पर सीज़ फ़ायर के उल्लंघन की घटनाएं कम होने लगी थीं। कुछ दिन पहले भारत ने इमरान ख़ान के विशेष विमान को भारत के एयरस्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत भी दे दी थी। 

पुलवामा हमले के बाद बिगड़े रिश्ते

फ़रवरी, 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की थी तो दोनों देशों के बीच जंग के हालात बन गए थे। उसके बाद से ही रिश्ते लगातार ख़राब हो रहे थे और ऐसा नहीं लग रहा था कि दोनों देश शांति बहाली की दिशा में आगे बढ़ेंगे। लेकिन इस संयुक्त बयान के बाद अगर सीमा पर शांति बहाल हो जाती है तो निश्चित रूप से दोनों देशों के लोगों के साथ ही दुनिया भर में इसका स्वागत होगा। 

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