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संयुक्त राष्ट्र में अफ़ग़ान मुद्दे पर भारत-पाक झड़प

संयुक्त राष्ट्र में अफ़ग़ान मुद्दे पर भारत-पाक झड़प

भारत ने अगस्त महीने के अध्यक्ष होने के नाते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ़ग़ानिस्तान पर हुई आपातकालीन बैठक बुलाई, लेकिन उसमें पाकिस्तान को नहीं न्योता। इसलामाबाद ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।  

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच झड़पें हुई हैं और दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं। पाकिस्तान ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति की बहाली में उसकी अहम भूमिका है, लेकिन परिषद की बैठक में भारत उसे बोलने नहीं दे रहा है।

बीबीसी ने यह ख़बर दी है। 

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 10 अस्थायी सदस्यों का दो साल के लिए चुनाव होता है। इसका अध्यक्ष पद हर महीने बदलता रहता है। भारत दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य चुना गया है, वह अगस्त महीने में अध्यक्षता करने के लिए चुना गया है।

भारत ने अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर बहस के लिए सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाई और उसमें पाकिस्तान को नहीं न्योता गया। 

पाकिस्तान का आरोप

सोमवार को हुई बैठक में पाकिस्तान नहीं था। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी दूत मुनीर अक़रम ने आरोप लगाया कि भारत अपने पद का दुरुपयोग कर रहा है और उन्हें अफ़ग़ानिस्तान पर होने वाली चर्चाओं में शामिल नहीं होने दे रहा है।

अकरम ने कहा,

अफ़ग़ानिस्तान की शांति प्रक्रिया में पाकिस्तान की एक अहम भूमिका है, मगर भारत जान-बूझकर हमें अफ़ग़ानिस्तान के बारे में नहीं बोलने दे रहा है।


मुनीर अकरम, स्थायी प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र, पाकिस्तान

क्या कहा पाक विदेश मंत्री ने?

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने भी भारत की तीखी आलोचना की है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा है, "अफ़ग़ानिस्तान की नियति के इस अहम मौक़े पर भारत की पक्षपातपूर्ण और बाधा डालने वाली हरकतें और इस बहुसदस्यीय मंच का बार-बार राजनीतिकरण करना, जिसका मक़सद ही शांति लाना है, यह दिखाता है कि अफ़ग़ानिस्तान और इस क्षेत्र को लेकर उनका इरादा क्या है।"

भारत का पक्ष

अफ़ग़ानिस्तान पर बहस के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि सभी लोग स्वीकार कर लें, इसके लिए ज़रूरी है कि अफ़ग़ानिस्तान की समस्या का एक राजनीतिक समाधान निकले और वह  महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का सम्मान करता हो।

स्थायी सदस्य होने की वजह से चीन इस बैठक में मौजूद था। 

चीन के स्थायी प्रतिनिधि ज़ांग जुन ने पाकिस्तान को शामिल नहीं किए जाने पर अफ़सोस जाहिर किया।

उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा हालत पर चिंता जताई और सदस्य देशों से वहाँ मानवीय आपदा की स्थिति को रोकने की अपील की।

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