जयशंकर की मालदीव के विदेश मंत्री से बातचीत, क्या संबंध सुधरेंगे?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने भारत-मालदीव संबंधों पर बातचीत की है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के 15 मार्च तक वहाँ से भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी के आह्वान के बाद संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। हालाँकि, इसके बावजूद दोनों विदेश मंत्रियों की बातचीत में 'आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता' जताई गई।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'आज कंपाला में मालदीव के एफएम मूसा ज़मीर से मुलाकात की। भारत-मालदीव संबंधों पर एक स्पष्ट बातचीत हुई। एनएएम (गुटनिरपेक्ष आंदोलन) से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की।'
Met Maldives FM @MoosaZameer today in Kampala.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) January 18, 2024
A frank conversation on 🇮🇳-🇲🇻 ties. Also discussed NAM related issues. pic.twitter.com/P7ResFlCaK
दोनों नेताओं की मुलाक़ात युगांडा की राजधानी कंपाला में गुटनिरपेक्ष आंदोलन यानी एनएएम की एक मंत्रिस्तरीय बैठक के मौके पर हुई।
मालदीव के विदेश मंत्री ज़मीर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारत और मालदीव आपसी सहयोग को और मजबूत करने और विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अपने एक्स पर लिखा, 'हमने भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी के साथ-साथ मालदीव में चल रही विकास परियोजनाओं को पूरा करने और सार्क और एनएएम के भीतर सहयोग पर चल रही उच्च स्तरीय चर्चा पर विचारों का आदान-प्रदान किया।'
इस बीच दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद के बीच विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था कि भारत मालदीव में तैनात अपने सैन्य कर्मियों के संबंध में व्यावहारिक समाधान खोजने का प्रयास कर रहा है।
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली मालदीव सरकार ने भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए 15 मार्च की समय सीमा जारी की है। ये सैन्यकर्मी भारत द्वारा मालदीव को प्रदान किए गए दो उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान के संचालन के लिए ज़रूरी हैं, जिनका उपयोग मुख्य रूप से मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों के लिए किया जाता है।
कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मालदीव के साथ चल रहे राजनयिक विवाद पर कहा था कि इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती है कि हर देश हर समय भारत का समर्थन करेगा या उससे सहमत ही होगा।
जयशंकर का यह बयान तब आया था जब समझा जाता है कि भारत के साथ मालदीव के रिश्ते बेहद ख़राब हो गए हैं और भारत की विदेश नीति को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पिछले क़रीब एक दशक में एक एक कर भारत के सभी पड़ोसी देश भारत से दूर जाते दिख रहे हैं और चीन के क़रीब।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन की यात्रा से लौटते ही भारत को लेकर दो टूक बयान जारी किया है। मालदीव ने अब अपने यहाँ से भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए समय सीमा तय कर दी है।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा है कि भारत सरकार 15 मार्च से पहले द्वीपसमूह राष्ट्र से अपनी सैन्य उपस्थिति हटा ले। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने वाले मालदीव के मंत्रियों की हालिया अपमानजनक टिप्पणियों पर दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों के बीच आया है।
नवंबर 2023 में मालदीव के नए राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के साथ संबंधों को कम करने और चीन के साथ जुड़ाव बढ़ाने के लिए अभियान चलाया हुआ है। उन्होंने आधिकारिक तौर पर भारत से देश में तैनात सैन्य कर्मियों को वापस लेने का अनुरोध किया था। अक्टूबर महीने में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद मुइज्जू ने कहा था कि लोग नहीं चाहते हैं कि भारत के सैनिकों की मौजूदगी मालदीव में हो और विदेशी सैनिकों को मालदीव की ज़मीन से जाना होगा।
दरअसल, मुइज्जू को चीन की ओर झुकाव वाला नेता माना जाता है। वह इससे पहले राजधानी माले शहर के मेयर रहे थे। वे चीन के साथ मजबूत संबंधों की वकालत करते रहे हैं। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति सोलिह 2018 में राष्ट्रपति चुने गए थे। मुइज्जू ने उनपर आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत को देश में मनमर्जी से काम करने की छूट दी है।
सैनिकों को हटाने के लिए कहने के बाद मालदीव की मुइज्जू सरकार ने देश के हाइड्रोग्राफिक सर्वे पर भारत के साथ पिछली सरकार के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है। कहा जा रहा है कि मालदीव भारत के साथ 100 ऐसे समझौते की समीक्षा कर रहा है।