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चंद्रयान-3 का लॉन्च सफल, 40 दिन में चांद पर पहुँचेगा

चंद्रयान-3 का लॉन्च सफल, 40 दिन में चांद पर पहुँचेगा

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान से भारत की कितनी उम्मीदें जुड़ी हैं? आख़िर भारत के लिए इसरो का यह मिशन कितना अहम है? जानें लॉन्चिंग कैसी रही।

चंद्रयान-3 ने दोपहर 2.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से उड़ान भर ली। इसका पहला चरण पूरी तरह सफल रहा। चंद्रयान की यात्रा जारी रहेगी। 40 दिन में इसके चांद पर पहुँचने की उम्मीद है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से एलवीएम3 रॉकेट पर चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण हुआ। इसरो चंद्रमा की सतह पर एक रोबोटिक लैंडर को सॉफ्ट टचडाउन करने का अपना दूसरा प्रयास शुरू करेगा। अगर सॉफ्ट-लैंडिंग सफल रही तो भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। गुरुवार दोपहर को प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हुई थी।

चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण को यहाँ देखा जा सकता है।

मून लैंडर विक्रम को जीएसएलवी मार्क 3 हेवी लिफ्ट लॉन्च वाहन (बाहुबली रॉकेट) पर रखा गया है। जीएसएलवी 43.5 मीटर ऊंचा है। चंद्रयान 3 मिशन का पहला भाग क़रीब 40 दिनों तक चलेगा। अंतरिक्ष यान के 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद है। एलवीएम3 रॉकेट अपने 3895 किलोग्राम पेलोड को तीन अलग-अलग रॉकेट पावर चरणों का उपयोग करके 10.242 किमी/सेकंड के अधिकतम जोर के साथ ले जाएगा। स्वदेशी क्रायोजेनिक सी-25 इंजन इसमें मदद करेगा। विक्रम का मकसद सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। इसके बाद लैंडर रोवर प्रज्ञान को छोड़ेगा जो चंद्रमा की सतह पर घूमेगा और वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। वैज्ञानिकों को इससे चंद्रमा की मिट्टी का विश्लेषण करने, चंद्रमा की सतह के चारों ओर घूमने, चंद्रमा के भूकंपों को भी दर्ज करने की उम्मीद है।

पहली बार भारत का चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जहां पानी के अणु पाए गए हैं। 2008 में भारत के पहले चंद्रमा मिशन के दौरान इसकी खोज की गई थी।

इसरो का कहना है कि पिछले चंद्रमा मिशन से सीखते हुए उसने लैंडर पर इंजनों की संख्या पांच से घटाकर चार कर दी है और सॉफ्टवेयर को अपडेट किया है। हर चीज़ का सख्ती से परीक्षण किया गया है।

सोमनाथ ने बताया कि नए मिशन को कुछ तत्वों के विफल होने पर भी सफलतापूर्वक उतरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सेंसर विफलता, इंजन विफलता, एल्गोरिदम विफलता और गणना विफलता सहित कई परिदृश्यों की जाँच की गई और उनसे निपटने के लिए उपाय किए गए।

बता दें कि चंद्रयान-1, चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया और अगस्त 2009 तक चालू रहा। 2019 में चंद्रयान-2 का लैंडर नियोजित रास्ते से भटक गया था। ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है और डेटा भेज रहा है। 2019 का मिशन मूल रूप से 15 जुलाई को लॉन्च होने वाला था, लेकिन अंतिम घंटों में तकनीकी विसंगतियों का पता चलने के कारण लॉन्च रद्द कर दिया गया था। समस्याओं को ठीक कर एक सप्ताह बाद मिशन शुरू किया गया था।

चंद्रयान-3 मिशन में असफल 2019 मिशन से कई तकनीकी सीख ली गई है। चंद्रयान-3 मिशन में चंद्रयान-2 मॉड्यूल की तरह ऑर्बिटर मॉड्यूल नहीं है और लैंडर के भीतर केवल लैंडर और एक रोवर है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर जो अभी भी अंतरिक्ष में मौजूद है, चंद्रयान-3 के लिए संचार कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों ने विज्ञान मिशन के लिए आशीर्वाद लेने के लिए गुरुवार को आंध्र प्रदेश में अलग-अलग मंदिरों का दौरा किया। इसरो अध्यक्ष ने श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल के पास सुल्लुरपेट में एक मंदिर का दौरा किया, जबकि परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों के एक समूह ने तिरुपति मंदिर का दौरा किया। 

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