चिन्ता...पूर्वी लद्दाख में 26 प्वाइंट्स पर भारत की गश्त नहींः रिपोर्ट
भारत-चीन के बीच जारी विवाद के बीच पूर्वी लद्दाख इलाके से चिन्ताजनक सूचना है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख इलाके में 65 पेट्रोल प्वाइंट्स में से 26 पेट्रोल प्वाइंट्स पर अब भारतीय सेना गश्त नहीं कर रही है। यानी इसका मतलब ये है कि बॉर्डर पर 26 गश्त वाली जगहों पर अब भारतीय सेना गश्त नहीं कर पा रही है और वे इलाके चीन में कथित तौर पर चले गए हैं। द हिन्दू ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा करते हुए दावा किया है कि उसने इससे संबंधित दस्तावेजों को भी देखा है। बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आज 25 जनवरी को सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने पीएम मोदी के उस जुमले की याद दिलाई है - हमारी सीमा में न कोई घुसा था और घुसा है।
दिल्ली में पिछले हफ्ते वार्षिक पुलिस बैठक में पेश रिसर्च पेपरों को द हिंदू अखबार ने देखा है। उसके अनुसार, पूर्वी लद्दाख में 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स (पीपी) में से 26 तक भारत की पहुंच खत्म हो गई है। आगे के क्षेत्रों में जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि चाइनीज पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ परेशानी से बचने के लिए ऐसा किया गया है। पीपी 15 और 16 में हाल के समझौतों के नतीजे में गोगरा पहाड़ियों, पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट और काकजंग क्षेत्रों में चरागाह भूमि का नुकसान हुआ है।
द हिन्दू के मुताबिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के वार्षिक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सम्मेलन में यह पेपर चर्चा के लिए नहीं आया, जो 20-22 जनवरी तक आयोजित की गई थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने हिस्सा लिया था। हालांकि यह पेपर देशभर के पुलिस अधिकारियों द्वारा 'बिना बाड़ वाली भूमि सीमा से संबंधित सुरक्षा मुद्दे' पर पेश 15 रिसर्च पेपर में से एक था।
Courageous Government officials have disclosed, and a daring The Hindu has confirmed ( today’s edition), what I have been saying: Modi bluffed Indians when he said “koi aaya nahin…”. Now it is clear Modi Govt has surrendered ( lost access to) 26 of the 65 Patrol Points to China.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 25, 2023
द हिंदू ने 22 दिसंबर, 2022 को खबर दी थी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ पूर्वी लद्दाख में कम से कम 30 पीपी हैं, जहां अब भारतीय सैनिक गश्त नहीं कर रहे हैं।
इन प्वाइंट्स पर अप्रैल-मई 2020 से पहले नियमित रूप से गश्त की जाती थी, जब चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के करीब सैनिकों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। 15 जून, 2020 को पीएलए के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे। चीन के कम से कम चार सैनिक भी मारे गए।
द हिन्दू के मुताबिक इस पेपर में कहा गया है: वर्तमान में, काराकोरम दर्रे से लेकर चुमुर तक 65 पीपी हैं, जिन्हें आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बल) द्वारा नियमित रूप से गश्त किया जाना है। 65 पीपी में से 26 पीपी (यानी पीपी नंबर 5-17, 24-32, 37, 51,52,62) में हमारी उपस्थिति आईएसएफ द्वारा गश्त नहीं करने के कारण खो गई है। बाद में, चीन ने हमें इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया कि ऐसे क्षेत्रों में लंबे समय से आईएसएफ या नागरिकों की उपस्थिति नहीं देखी गई है, जबकि चीनी इन क्षेत्रों में मौजूद थे।
इंच-दर-इंच जमीन हड़पने की पीएलए की इस रणनीति को सलामी स्लाइसिंग के नाम से जाना जाता है।
एक रक्षा सूत्र ने द हिंदू को बताया कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर फिजिकल गश्त या तकनीकी साधन जबरदस्त ढंग से मौजूद हैं। "डिसइंगेजमेंट के कारण क्षेत्र का कोई नुकसान नहीं हुआ है। कुछ क्षेत्रों को विवादों के राजनयिक समाधान होने तक दोनों पक्षों की गश्त के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। कोई चारागाह भूमि नष्ट नहीं हुई है। भारत की सुरक्षित रणनीति यह है कि वे विवादित बताए जा रहे क्षेत्रों पर आपत्ति जताने का मौका देकर पीएलए को नाराज नहीं करना चाहते।
द हिन्दू ने कहा: “सितंबर 2021 तक, जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी डीबीओ सेक्टर में काराकोरम दर्रे (दौलत बेग ओल्डी से 35 किमी) तक आसानी से गश्त कर रहे थे। काराकोरम दर्रे की ओर डीबीओ में ही दिसंबर 2021 में पीएलए ने कैमरे लगाए थे।
चंगथांग क्षेत्र (रेबोस) के खानाबदोश समुदाय के लिए बिना बाड़ वाली सीमाएं चारागाह के रूप में काम कर रही हैं और समृद्ध चरागाहों की कमी को देखते हुए, वे परंपरागत रूप से पीपी के करीब के क्षेत्रों में पशुओं को चराते रहेंगे।