+
देपसांग, डेमचोक में सैनिकों के पीछे हटने का काम पूरा: रिपोर्ट

देपसांग, डेमचोक में सैनिकों के पीछे हटने का काम पूरा: रिपोर्ट

लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में आख़िर साढ़े चार साल से गश्त क्यों नहीं हो रही थी? जानिए, गश्त से पहले वहाँ सैनिकों की तैनाती को लेकर लेकर क्या फ़ैसला लिया गया। 

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन ने लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों देपसांग और डेमचोक में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। अब गश्त जल्द ही शुरू की जाएगी। भारत सरकार ने 21 अक्टूबर को घोषित किया था कि दोनों पक्ष भारत-चीन सीमा पर गश्त व्यवस्था पर सहमत हो गए हैं। बाद में चीन की ओर से भी इसकी पुष्टि की गई थी।

मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चीन के साथ लगती सीमाई क्षेत्रों में दोनों देशों ने कई दौर की बातचीत के बाद अपने-अपने सैनिकों को वापस बुलाने का काम पूरा कर लिया है। रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने कहा है कि स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी और गुरुवार को मिठाइयों का आदान-प्रदान होगा।

द इंडियन एक्सप्रेस ने सेना के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि सैनिकों को पीछे हटाने का सत्यापन जारी है और जमीनी कमांडरों के बीच गश्त के तौर-तरीकों पर फैसला किया जाना है। 

दोनों पक्षों द्वारा अस्थायी प्रतिष्ठानों को पूरी तरह से हटाने और सैनिकों की वापसी की पुष्टि करने के लिए हवाई और जमीनी निरीक्षणों के साथ ही सैनिकों की वापसी का सत्यापन का काम भी चल रहा है। चूँकि कई क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी की पुष्टि हो चुकी है, स्थानीय स्तर पर बातचीत नियमित रूप से जारी रहने की उम्मीद है ताकि सहमत गश्त प्रोटोकॉल को बनाए रखा जा सके और उसका प्रबंधन किया जा सके।

भारत और चीन के स्थानीय सैन्य कमांडरों ने 30 अक्टूबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर देपसांग और डेमचोक में बैठक की ताकि चल रहे सैनिकों की वापसी के प्रयासों को अंतिम रूप दिया जा सके। 

सैनिकों की वापसी को लेकर मंगलवार को देपसांग पर हवाई सत्यापन पूरा किया गया। यह पुष्टि करने के लिए कि अस्थायी प्रतिष्ठानों को हटा दिया गया है और सैनिकों ने योजना के अनुसार वापसी की है, मानव रहित हवाई वाहनों यानी यूएवी को तैनात किया गया।

डेमचोक में ख़राब मौसम की स्थिति ने इसी तरह के सत्यापन प्रयास पर ब्रेक लगा दिया था, लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। मंगलवार शाम तक क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई, जिसमें डेपसांग और डेमचोक दोनों से टेंट, अस्थायी संरचनाएं और वाहन पूरी तरह से हटा दिए गए। एक साथ डिसइंगेजमेंट और सत्यापन प्रक्रियाएं सावधानीपूर्वक की गईं। यह एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

बता दें कि भारत ने 21 अक्टूबर को घोषणा की थी कि उसने एलएसी पर गश्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौता किया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने यह घोषणा की थी। यह घटनाक्रम तब हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22-23 अक्टूबर को 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा करने वाले थे। मिस्री ने कहा था कि इससे पीछे हटने और 2020 में इन क्षेत्रों में उठे मुद्दों का समाधान करने की ओर वे आगे बढ़ रहे हैं।

विदेश सचिव ने 2020 के जिन मुद्दों का ज़िक्र किया था वह पूर्वी लद्दाख के गलवान से जुड़ा मामला है। 5 मई 2020 को चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि बाद में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। कई चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी ख़बरें आई थीं। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें