चीन पैट्रोल प्वाइंट 14 से पीछे हटा तब हुई भारत चीन कमांडरों की बैठक
लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प के बाद चीन पैट्रोल प्वाइंट 14 से हट गया है। इसकी पुष्टि के बाद ही भारत चीन के बीच पहली कमांडर स्तरीय बैठक सोमवार को एलएसी की चीन की तरफ़ मोलडो में हुई। पैट्रोल प्वाइंट 14 यानी PP14 वही जगह है जहाँ 15 जून को दोनों पक्षों में झड़प हुई थी और एक अफ़सर सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। हालाँकि चीन की अभी भी आसपास के क्षेत्रों में मौजूदगी है और कहा जा रहा है कि कई क्षेत्रों में चीनी सैनिक भारतीय ज़मीन पर बने हुए हैं।
दोनों पक्ष अब दूसरे क्षेत्रों में बरक़रार तनाव को कम करने के लिए बातचीत को आगे बढ़ाएँगे। 'इकॉनमिक टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, पैंगोंग त्सो सहित गलवान के दूसरे मुद्दों को सुलझाने के लिए तनाव को कम करने और स्थिति को सामान्य करने में लगे हैं। यह इसलिए कि जबसे 15 जून को दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच झड़प हुई है दोनों तरफ़ से भारी संख्या में सैनिक तैनात किए गए हैं और हथियारों को इकट्ठा किया गया है।
सबसे ज़्यादा चिंता की बात तो यह रही है कि 20 जवानों के शहीद होने के बाद एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य झड़प की आशंका बढ़ गई। इसका इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि चीनी सेना की हरकत को देखते हुए भारतीय वायु सेना ने लेह-लद्दाख के इलाक़ों में कॉम्बैट एअर पैट्रोलिंग शुरू कर दी है। वायु सेना के अपाचे हेलिकॉप्टर और अपग्रेडेड मिग-29 भी गश्त लगा रहे हैं। अपाचे को आधुनिकतम असॉल्ट हेलिकॉप्टर माना जाता है, इसे हाल ही में वायु सेना में शामिल किया गया है। चीन ने तिब्बत पठार पर कई हवाई पट्टियाँ बना रखी हैं जो भारतीय सीमा से बहुत दूर नहीं हैं। इन हवाई पट्टियों से किसी भी क्षण चीनी लड़ाकू जहाज़ उड़ान भर कर भारत की ओर आ सकते हैं।
चीन मूल रूप से 16 जून को कोर कमांडर स्तर की वार्ता चाहता था। हालाँकि, 6 जून को जिस तरह की आपसी समझ बनी थी उसके अनुसार भारत ने उस प्रस्तावित वार्ता को ठुकरा दिया था, क्योंकि बैठक से पहले PP14 गलवान घाटी में बनाई गई सभी संरचनाएँ व गलवान घाटी में तैयार किए गए नये पोस्टों को हटाया जाना था और सैनिकों को वापस बुलाया जाना था। चीन ने ऐसा नहीं किया और इस कारण वह बैठक नहीं हो सकी थी।
इसी बीच 15 जून को कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में भारतीय सैनिक PP14 पर गए थे यह देखने कि चीनी सैनिक पीछे हटे या नहीं। उसी दौरान दोनों सेनाओं के बीच झड़प हो गई थी।
ईटी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि हिंसा के बाद चीनी सैनिक वापस चले गए थे।
भारत की स्थिति बहुत साफ़ है कि एलएसी पर सैनिकों को कम करने की दिशा में पहला क़दम चीन को उठाना होगा क्योंकि यह चीन ही था जिसने पहले अतिरिक्त बलों, टैंकों, तोपखाने और अन्य युद्धक उपकरणों को लाकर स्थिति को बिगाड़ा।
चीन द्वारा कम से कम दो ब्रिगेड को गोगरा, गालवान और पैंगोंग त्सो झील के भारतीय चौकियों के क़रीब तैनात किया गया। इसके बाद भारत ने भी विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में बलों को वहाँ तैनात किया।
सूत्रों ने कहा कि भारत सीमा पर चीनी सैनिकों के जमावड़े को एक बड़े उकसावे के रूप में देखता है और इस स्थिति को सामान्य करने लिए बातचीत तब तक जारी नहीं रह सकता है जब तक कि वे क्षेत्र को खाली नहीं करते।