लद्दाख: भारत, चीन प्रमुख गश्ती बिंदु से पीछे हटने को सहमत; कई जगह गतिरोध
लद्दाख में जारी गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की बातचीत में एक प्रमुख गश्ती बिंदु पर डिसइंगेजमेंट यानी पीछे हटने पर सहमति बन गई है। हालाँकि, दूसरे कई क्षेत्रों में गतिरोध अभी भी जारी है। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी आई है। हालाँकि आधिकारिक तौर पर ऐसा कुछ बयान नहीं आया है। सोमवार को जारी संयुक्त बयान में इतना ज़रूर कहा गया कि भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों को तेजी से हल करने पर सहमति जतायी है और 12वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता को रचनात्मक क़रार दिया है।
इससे पहले की कई दौर की वार्ता में ज़्यादा उत्साहजनक प्रगति नहीं हुई थी और गतिरोध के बाक़ी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी संबंधी प्रक्रिया में कोई ठोस परिणाम दिखायी नहीं दिया था। लेकिन अब 'इंडियन एक्सप्रेस' ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि लगभग छह महीने तक चली सीमा वार्ता में गतिरोध को समाप्त करते हुए भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में एक प्रमुख गश्ती बिंदु पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की वार्ता के दौरान शनिवार को PP17A पर समझौता हुआ। यह बैठक लद्दाख में 15 महीने के गतिरोध को हल करने के उपायों की शृंखला का हिस्सा थी। यह बैठक भारतीय हिस्से के चुशुल-मोल्दो सीमा क्षेत्र में आयोजित की गई थी। सूत्रों ने कहा कि चीन PP17A से पीछे हटने के लिए सहमत हो गया है, जिसे गोगरा पोस्ट के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन वह PP15 या हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से वापस जाने के लिए 'इच्छुक नहीं' है। रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने कहा कि 'PP15 पर चीन लगातार जोर दे रहा है और दावा कर रहा है कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा के अपने क्षेत्र में है'।
बता दें कि भारतीय और चीनी सेनाओं के शीर्ष कमांडरों के बीच शनिवार को बैठक नौ घंटे लंबी चली थी। बैठक के दौरान भारत ने हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग में लंबित मुद्दों के समाधान पर जोर दिया था। भारत-चीन सैन्य वार्ता के दो दिन बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि दोनों पक्षों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पश्चिमी सेक्टर से सैनिकों की वापसी के संबंध में विचार साझा किये गए।
साझा बयान में दोनों पक्षों ने बैठक को रचनात्मक करार दिया। कहा गया कि वे बाक़ी बचे मुद्दों को वर्तमान समझौतों एवं प्रोटोकॉल के अनुसार हल करने को सहमत हुए हैं। यह भी तय हुआ कि दोनों पक्ष एलएसी पर स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रभावी प्रयासों को जारी रखेंगे।
इससे पहले 11वें दौर की सैन्य वार्ता नौ अप्रैल को एलएसी पर भारत की ओर चुशुल सीमा बिंदु पर हुई थी और यह बातचीत क़रीब 13 घंटे तक चली थी।
शनिवार की 12वें दौर की वार्ता को लेकर सूत्रों ने कहा कि देपसांग के मैदानों में चीनी घुसपैठ और देमचोक क्षेत्र में चारडिंग-निंगलुंग नाला के मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई।
बता दें कि क़रीब हफ़्ते भर पहले ही पूर्वी लद्दाख के देमचोक को लेकर ख़बर आई थी। देमचोक में चारडिंग नाला के भारतीय हिस्से में चीनियों ने तंबू लगा लिए। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया। यह वही देमचोक गाँव का क्षेत्र है जहाँ चीन ने क़रीब महीने भर पहले अपने सैनिक भेजे थे। एक रिपोर्ट के अनुसार तब चीनी सैनिक कई वाहनों पर सवार होकर बड़े चीनी झंडे लेकर भारतीय इलाक़े में घुसे थे और वहाँ क़रीब आधे घंटे तक रहे थे। सितम्बर 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के वक़्त ही चीनी सेना वहाँ घुस गई थी और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जिनपिंग से इस बारे में शिकायत करने के एक सप्ताह बाद ही चीनी सेना वहाँ से पीछे हटी थी।
हालाँकि, अब जो ताज़ा रिपोर्ट है उसमें तंबू लगाने वाले लोगों को साफ़ तौर पर चीनी सैनिक नहीं कहा गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने उन लोगों को 'तथाकथित ग़ैर-सैनिक' के रूप में बताया है और कहा कि उन्हें वापस जाने के लिए कहने के बावजूद उनकी उपस्थिति बनी हुई है।
इस देमचोक इलाक़े को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है और इसलिए दोनों देश के सैनिक कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। देमचोक इलाक़े में भारतीय सेना द्वारा की जा रही गश्ती पर चीनी सेना एतराज़ कर उन्हें गश्ती करने से रोकती रही है। इस मसले को भी भारत-चीन की सेनाओं के बीच चल रही बातचीत में शामिल किया गया है। चीन का दावा है कि देमचोक के इलाक़े में तिब्बती बौद्ध लोग ही रहते हैं इसलिये स्वाभाविक तौर पर यह तिब्बत यानी चीन का इलाक़ा है।
1990 के दशक में भारत-चीन संयुक्त कार्य समूहों की बैठकों के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि डेमचोक और ट्रिग हाइट्स वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवादित बिंदु हैं।
लद्दाख क्षेत्र में ही 17 ऐसे बिंदु हैं जहाँ भारत और चीन की सेनाएँ आमने-सामने आ जाती हैं। इसमें चुमार सहित 12 बिंदु तो पहले से ही थे और इसी चुमार क्षेत्र में देमचोक गाँव आता है। ये वे क्षेत्र हैं जहाँ या तो दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि वे विवादित क्षेत्र हैं या फिर उन दोनों के दावे अलग-अलग हैं। अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा पाँच बिंदु पिछले साल लद्दाख में संघर्ष के बाद इसमें जुड़े हैं। ये पाँच बिंदु हैं- गलवान घाटी में केएम120, श्योक सुला क्षेत्र में पीपी15 और पीपी17ए, रेचिन ला और रेजांग ला।
सवाल है कि क्या चीन अगले दौर की बातचीत में इन मुद्दों पर विवाद सुलझाने को तैयार होगा?