भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच मास्को में भारतीय समय के अनुसार गुरुवार की देर रात बातचीत हुई है। सीमा पर तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी लगभग दो घंटे तक बात की है। ये दोनों ही नेता वहां शंघाई सहयोग परिषद की बैठक में भाग लेने गए हुए हैं।
दो घंटों की बातचीत का क्या नतीजा निकला और चीनी विदेश मंत्री ने पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों की भारतीय सरज़मी से वापसी के मुद्दे पर क्या कहा, यह अभी पता नहीं चला है। सिर्फ यह कहा जा रहा है कि सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में दोनों विदेश मंत्रियों ने एक दूसरे को अपने विचारों से अवगत कराया।
यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव चरम पर है, दोनों ही सेनाएं एक दूसरे के सामने खडी हैं, कुछ जगहों पर उनके बीच की दूरी बस सौ-दो सौ मीटर की है।
सीमा पर युद्ध की तैयारियाँ
हालांकि चीनी अधिकारी और उनका प्रचार तंत्र कहता है कि वह भारत से युद्ध नहीं चाहता है, पर उसने बहुत बड़ी तादाद में नियंत्रण रेखा के पास सैनिकों को तैनात कर रखा है, बहुत बड़ी मात्रा में सैनिक साजो सामान वहां भेज रखा है। तिब्बत और शिनजियांग में कई जगहों पर चीनी सेना युद्ध अभ्यास कर रही है। इन युद्ध अभ्यासों में बख़्तरबंद गाड़ियां और तोप ही नहीं, मिसाइल, ड्रोन और बमबर्षक व लड़ाकू विमान तक लगे हुए हैं।
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एस जयशंकर और वांग यी के बीच इसके पहले टेलीफ़ोन पर बात हो चुकी है। उनके बीच पहली बातचीत गलवान में हुई झड़प के बाद हुई थी। उसके बाद भी बातचीत हुई है। लेकिन इन बातचीतों का कोई खास नतीजा नहीं निकला है।
दोनों विदेश मंत्रियों की बातचीत सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में होती है, पर हर बार वांग यी कहते हैं कि उनकी सेना अपनी सरज़मीन पर है, भारत की सीमा क्षेत्र में नहीं है। ज़ाहिर है, वह पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों की वापसी से इनकार कर देते हैं। हर बार बात यहीं रुक जाती है।
मुस्तैद भारतीय सेना
इस बार जो बातचीत हो रही है, उसके पहले पैंगोंग त्सो के दक्षिणी इलाक़े में घुसपैठ की कोशिश कर रही चीनी सेना को भारत के सैनिकों ने रोका और खदेड़ दिया। लेकिन उसके बाद की सैटेलाइट तसवीरों से लगता है कि एक बार फिर चीनी सेना के कुछ लोग बरछे-भाले जैसे ख़तरनाक हथियारों से लैस होकर भारतीय सीमा में खड़े हैं।वांग यी विदेश मंत्री तो हैं ही, वह चीन के स्टेट कौंसिलर हैं, वहां की संसद पीपल्स असेंब्ली के सदस्य हैं और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ सदस्य हैं। इसलिए उनका कद पार्टी और सरकार में बड़ा है। इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि इस बातचीत का कोई नतीजा शायद निकले।