यूक्रेनी क्षेत्रों पर रूसी कब्जे के ख़िलाफ़ यूएन प्रस्ताव से दूर रहा भारत
भारत ने फिर से यूक्रेन-रूस युद्ध से जुड़े उस निंदा प्रस्ताव से खुद को दूर कर लिया जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बुधवार को चार यूक्रेनी क्षेत्रों के रूसी कब्जे की निंदा करते हुए पारित किया। कुल सदस्यों में 143 ने उस निंदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि पांच ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया। 35 से अधिक सदस्य देश प्रस्ताव से दूर रहे और इसमें भारत भी शामिल रहा।
#IndiaAtUN#India’s 🇮🇳 Explanation of Vote at The Eleventh Emergency Special Session of the @UN General Assembly at the United Nations. @MEAIndia @IndianDiplomacy @IndiainUkraine pic.twitter.com/9YBHpmT20e
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) October 12, 2022
संयुक्त राष्ट्र महासभा का यह ताज़ा निंदा प्रस्ताव उस मामले में लाया गया है जिसमें रूस ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्जा जमा लिया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले महीने 'जनमत संग्रह' कराने के बाद यूक्रेन के चार क्षेत्रों को अपने कब्जे में लेने की घोषणा की थी। उन्होंने क्रेमलिन समारोह में डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया को औपचारिक रूप से रूस में शामिल किया।
यह प्रस्ताव रूस द्वारा सुरक्षा परिषद में इसी तरह के एक प्रस्ताव को वीटो करने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें भारत ने भाग नहीं लिया था। सदस्यों द्वारा अपनाये गये ताज़ा प्रस्ताव में कोई भी वीटो का उपयोग नहीं कर सकता है।
यह घटनाक्रम यूक्रेन और रूस के बीच ताज़ा भिड़ंत के दो दिन बाद आया है। इस हफ़्ते यूक्रेन की राजधानी कीव पर एक बार फिर से रूस ने एक के बाद एक जबरदस्त मिसाइल हमले किए। इस हमले में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई है। यूक्रेन की ओर से कहा गया कि रूस ने सोमवार सुबह यूक्रेन पर 84 मिसाइलें दागीं।
यूक्रेनी क्षेत्रों पर रूसी कब्जे की घटना के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने नाटो की सदस्यता की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने का आग्रह किया है।
इधर, एक शीर्ष रूसी अधिकारी ने गुरुवार को एक साक्षात्कार में सरकारी समाचार एजेंसी तास को बताया कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की की एक लंबे समय से चली आ रही 'नाटो में यूक्रेन का प्रवेश' परियोजना तीसरे विश्व युद्ध का कारण बन सकती है। रूसी संघ की सुरक्षा परिषद के उप सचिव अलेक्जेंडर वेनेडिक्टोव ने कहा, 'कीव अच्छी तरह से जानता है कि इस तरह के क़दम का मतलब तीसरे विश्व युद्ध की गारंटी होगी।'
भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए प्रस्ताव से भी खुद को दूर कर लिया था।
फिर मार्च महीने में भारत ने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव में भाग नहीं लिया था जिसने यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की। तब संयुक्त राष्ट्र में एक सप्ताह से भी कम समय में यह तीसरी बार था जब भारत ने खुद को अलग कर लिया था।
हालाँकि, भारत ने बाद में एक बार रूस के ख़िलाफ़ भी वोट किया था। यह वोट इस बात के लिए हुआ था कि यूक्रेन के राष्ट्रपति यूएनएससी की बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए संबोधित करें या न करें। रूस इस तरह के संबोधन के खिलाफ था। उसी ने वोटिंग की मांग की थी। भारत ने रूस के खिलाफ मतदान किया, जबकि चीन तटस्थ बना रहा था।