कोविशील्ड: खुराक 12-16 हफ़्ते में देने से फायदा या नुक़सान?
कोविशील्ड वैक्सीन की जो खुराकें शुरुआत में 4 हफ़्ते के अंतराल में लगाई जा रही थीं उसको 12-16 हफ़्ते बढ़ाने की सिफ़ारिश सरकारी पैनल ने की है। सरकार ने यह फ़ैसला चाहे जिस भी कारण से लिया हो, लेकिन सवाल है कि खुराक के अंतराल को बढ़ाने से फायदा होगा या नुक़सान? इसके बारे में अंतरराष्ट्रीय शोध क्या कहते हैं?
शोध क्या कहते हैं उसको जानने से पहले यह जान लें कि वैक्सीन की खुराक के अंतराल को कब-कब बढ़ाया गया है। क़रीब दो महीने में यह दूसरी बार है जब कोविशील्ड की खुराक के अंतराल को बढ़ाने की सिफ़ारिश की गई है। शुरुआत में यह अंतराल 4-6 हफ़्ते का था। मार्च के दूसरे पखवाड़े में अंतराल को बढ़ाकर 6-8 सप्ताह किया गया था। और अब मई के मध्य में इस अंतराल को बढ़ाकर 12-16 हफ़्ते करने की सिफ़ारिश की गई है।
मार्च महीने में जब पिछली बार खुराक के अंतराल को बढ़ाया गया था तब सरकार ने उसके लिए तर्क भी रखा था। राज्यों को भेजे गए पत्र में केंद्र सरकार ने कहा था, 'उभरते वैज्ञानिक साक्ष्यों के मद्देनज़र, कोरोना के टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) और टीकाकरण अभियान के लिए गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह द्वारा कोविशिल्ड की दो खुराकों के बीच के अंतराल में बदला किया गया है।' केंद्र सरकार के पत्र में कहा गया था कि कोविशील्ड की दूसरी खुराक को छह और आठ सप्ताह के बीच देने पर सुरक्षा बढ़ी हुई लगती है।
विज्ञान की पत्रिका लांसेट में 19 फ़रवरी को प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया था कि 6 हफ़्ते के अंतराल से पहले कोविशील्ड की दो खुराक लगाने से वह वैक्सीन 55.1 फ़ीसदी ही प्रभावी थी जबकि उन खुराकों के बीच 12 हफ्तों का अंतराल था तो 81.3 फ़ीसदी प्रभावी थी। विश्लेषण में यह निष्कर्ष निकाला गया कि अंतराल बढ़ने से वैक्सीन की इम्युनोजेनेसिटी भी बढ़ती है।
लांसेट में यह विश्लेषण सामने आने से पहले ही ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन की दोनों खुराक को 12 हफ़्ते यानी 3 महीने के अंतराल पर लगवाया जा रहा था।
एस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित टीके का ही उत्पादन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है और इस टीके का नाम कोविशील्ड दिया गया है।
टीकाकरण पर ब्रिटेन की संयुक्त समिति (जेसीवीआई) ने सिफारिश की थी कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दूसरी खुराक पहले के 12 सप्ताह बाद तक दी जानी चाहिए। यूरोपीय मेडिसीन एजेंसी भी अधिकतम 12 सप्ताह के अंतराल की सिफारिश करती है। हालाँकि, स्पेन ने अप्रैल के अंत में इसे 16 सप्ताह के अंतराल तक बढ़ा दिया।
इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ का सुझाव भी आया था। फ़रवरी में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने डब्ल्यूएचओ की उस सिफारिश की समीक्षा करने के लिए बैठक की थी कि टीके की दो खुराक के बीच के अंतराल को चार सप्ताह से 8-12 सप्ताह तक बढ़ाया जाए या नहीं। बाद में इसने 8-12 हफ़्ते के अंतराल को ही बेहतर माना था।
ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में आयोजित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के डाटा के अध्ययन को फ़रवरी में जारी किया गया था। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें पता चला था कि दूसरी खुराक जब 12 हफ़्ते में दी गई तो प्रभावकारिता 82.4% तक बढ़ गई। जबकि दूसरी खुराक 6-8 सप्ताह के बीच दिए जाने पर प्रभावकारिता 59.9% पाई गई।
भारत सरकार ने जो कोविशील्ड टीके की खुराक के अंतराल को बढ़ाने की सिफारिश की है उसकी आलोचना यह कहकर की जा रही है कि वैक्सीन की कमी के कारण इस अंतराल को बढ़ाने की सिफ़ारिश की गई है। हो सकता है कि यह फ़ैसला इसी वजह से लिया गया हो लेकिन सरकारी पैनल ने इसका खंडन किया है। हालाँकि इसके बावजूद यह साफ़ है कि शोध यह दिखाते हैं कि अंतराल 12 हफ्ते बढ़ाए जाने से वैक्सीन की प्रभाविकता बढ़ जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञ भी यही मानते हैं।