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'योगी' को जानकारी देने की आरोपी एनएसई की पूर्व प्रमुख पर आयकर छापे

'योगी' को जानकारी देने की आरोपी एनएसई की पूर्व प्रमुख पर आयकर छापे

देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई की प्रमुख चित्रा रामकृष्ण पर आयकर छापे क्यों पड़े हैं? क्या अज्ञात 'हिमालयी योगी' की सलाह से फ़ैसले लेने के लिए?

रहस्यमयी 'हिमालय के योगी' को लेकर सुर्खियों में आईं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण के यहाँ आयकर छापे पड़े हैं। रिपोर्ट है कि आज सुबह उनके मुंबई और चेन्नई के आवास पर छापे आयकर चोरी से जुड़े मामले में पड़े हैं। चित्रा रामकृष्ण ने एनएसई की प्रमुख रहते हुए एक रहस्यमयी 'हिमालय के योगी' के साथ एनएसई की पूरी गोपनीय जानकारी साझा की थीं। वह ई-मेल पर उस 'योगी' से मिले निर्देश या सलाह के आधार पर फ़ैसले लेती थीं। 

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई में शेयर की ख़रीद-फरोख्त होती है और मिनटों में लाखों करोड़ का कारोबार होता है। शेयर बाजार नियामक सेबी ने कुछ दिन पहले एक बड़ा खुलासा किया कि चित्रा रामकृष्ण हिमालय के एक 'योगी' की सलाह पर फ़ैसला लेती थीं। सेबी ने यह भी कहा कि इस अज्ञात 'योगी' की सलाह पर उन्होंने आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्त किया था। उन्होंने एनएसई की गोपनीय जानकारियाँ साझा कीं। सेबी ने कहा है कि 'योगी' फ़ैसले ले रहा था और चित्रा सिर्फ़ एक कठपुतली थीं।

तो क्या उस 'योगी' के बारे में अब तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं है? इस पर भी दो राय है और 'हिमालयी योगी' का रहस्य अनसुलझा है। एक्सचेंज ने कहा है कि यह 'योगी' मुख्य परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम के अलावा दूसरा कोई नहीं था। इस दावे की भी फोरेंसिक ऑडिट करने वाली एजेंसी ईवाई द्वारा पुष्टि की गई। जबकि शेयर बाज़ार नियामक सेबी ने इसके लिए पर्याप्त सबूत नहीं पाया और वह इससे आश्वस्त नहीं है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, जाँच के दौरान पूर्व प्रबंध निदेशक रामकृष्ण ने कहा कि तीसरे पक्ष जो 'ऋग्याजुरसामा' के रूप में थे, वह ई-मेल से 20 वर्षों से अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शक 'सिद्ध-पुरुष' या 'परमहंस' से मार्गदर्शन ले रही थीं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि वह व्यक्ति सुब्रमण्यम नहीं था।

एनएसई ने सेबी को विस्तृत जानकारी मई और जुलाई 2018 में भेजी कि 'योगी' सुब्रमण्यम ही थे। सेबी ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इसके सवालों के जवाब एनएसई ने दिया है।

सेबी के अनुसार, 'एनएसई की गोपनीय जानकारी का खुलासा किसी अज्ञात संस्था को नहीं, बल्कि ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) को किया गया था। वह वैसे भी एनएसई के बारे में वित्तीय, परिचालन और मानव संसाधन से संबंधित जानकारी तक पहुंच रखते थे। इसके अलावा, एनएसई ने पुष्टि की कि इस तरह के पत्राचार के कारण किसी भी तरह से बाजार को कोई नुक़सान नहीं हुआ और रामकृष्ण ने पुष्टि की कि तीसरे पक्ष ने किसी भी व्यक्तिगत या मौद्रिक लाभ के लिए गोपनीय जानकारी का उपयोग नहीं किया था।'

बता दें कि सेबी ने अपने 190 पन्नों के आदेश में पाया कि 'योगी' ने उन्हें सुब्रमण्यम को नियुक्त करने के लिए निर्देश दिया। इस मामले में कार्रवाई करते हुए सेबी ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यन के साथ ही एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण तथा अन्य पर भी जुर्माना लगाया। रामकृष्ण और सुब्रमण्यन को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने को लेकर रोक लगायी गयी है। सेबी ने एनएसई बोर्ड की भी यह कहकर खिंचाई की कि इसने चित्रा के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की, बल्कि इस्तीफा स्वीकार कर लिया। 

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