हाथरस: पूर्व बीजेपी विधायक के घर पर सवर्णों की बैठक, दूसरे दलों के नेताओं पर लाठीचार्ज
उत्तर प्रदेश में लगातार अंधेरगर्दी हो रही है। पहले योगी सरकार ने हाथरस की पीड़िता के गांव को किला बना दिया, मीडिया-राजनीतिक दलों के लोग पीड़िता के परिवार तक न पहुंच पाएं, इसके लिए हज़ार तिकड़में कीं और फिर गांव में धारा 144 लगा दी।
शायद उसका यह रवैया जारी रहता लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट के मामले का संज्ञान लेने और चौतरफा छीछालेदार होने के बाद उसे मीडिया और नेताओं को पीड़िता के घरवालों से मिलने की इजाजत देनी पड़ी। धारा 144 लागू होने के कारण सीमित संख्या में ही लोगों को मिलने की अनुमति है और इसमें कुछ ग़लत भी नहीं है।
लेकिन ग़लत तब है जब रविवार को योगी की पुलिस ने ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज कर दिया। यह लाठीचार्ज उस वक्त हुआ, जब पूर्व सांसद और देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी मीडिया कर्मियों से बात कर रहे थे। अचानक हुए इस लाठीचार्ज से लोग सकपका गए। महिला पत्रकार इधर-उधर भागीं और जयंत को उनके कार्यकर्ताओं ने घेर लिया, वरना वह बुरी तरह चोटिल होते।
दलितों के साथ हाथरस में हो रहे अत्याचार व अन्याय के खिलाफ जमीन पर खड़े होने वाले हर सख्स को औकात बताई जा रही है। ऐसा कभी नहीं देखा। अब आरएलडी नेता @jayantrld जी, पर हाथरस पीड़ित परिवार से मिलने जाने पर जमकर लाठीचार्ज किया गया है। ये बेहद ही शर्मनाक व दुखद हैं। #JusticeForDalits pic.twitter.com/tecSfUSTuE
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) October 4, 2020
लेकिन इसी गांव का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें सवर्ण समाज के लोग भारी भीड़ के साथ बैठक कर रहे हैं। इससे पहले भी वे ऐसी बैठक कर चुके हैं। लेकिन इस बैठक का जो वीडियो सामने आया है, उसमें बड़ी संख्या में लोग भी हैं और यह पीड़िता के घर से कुछ किमी की दूरी पर ही हो रही है।
यह बैठक पूर्व विधायक राजवीर सिंह पहलवान के घर पर हुई और लगभग 500 लोग इस बैठक में शामिल हुए। दोषियों के परिजन भी इस बैठक में आए। पहलवान खुलकर दोषियों के साथ खड़े हैं और उनक कहना है कि दलित युवती की मौत ऑनर किलिंग का मामला है। बीजेपी के टिकट पर विधायक रहे पहलवान ने कहा है कि यह पूरा मुक़दमा झूठा है और युवती की मां और भाई ने उसकी हत्या की है।
बैठक में इकट्ठा हुए लोगों का कहना है कि चारों अभियुक्तों को फंसाया गया है और वे लोग न्याय की लड़ाई लड़ेंगे।
इस बारे में हाथरस के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने एनडीटीवी से कहा है कि उन्हें ऐसी किसी बैठक के बारे में जानकारी नहीं है। जबकि बैठक के एक आयोजक ने कहा कि उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी है।
Demands For 'Justice For Accused' At Gathering Near Hathras Victim's Home
— NDTV (@ndtv) October 4, 2020
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चुप क्यों है पुलिस
अगर धारा 144 लागू है तो यह सभी के लिए लागू होगी। धारा 144 के तहत किसी भी जगह पर 4-5 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठे होने की मनाही होती है। लेकिन पुलिस सपाइयों और आरएलडी के कार्यकर्ताओं पर जमकर लाठियां बजा रही है और बीजेपी नेता के घर हो रही बैठक को लेकर चुप है। वह कह रही है कि उसे ऐसी किसी बैठक का ही पता नहीं है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है और टीवी चैनलों पर चल रहा है।
योगी सरकार क्यों कह रही है कि पीड़िता के साथ गैंगरेप नहीं हुआ। देखिए, वीडियो -
हाथरस की युवती के मामले में पहले ही दिन से सबूत छिपाने से लेकर, गैंगरेप की एफ़आईआर दर्ज करने में देरी तक, युवती की लाश को रात में ही जला देने और पत्रकारों को गांव में न घुसने देने को लेकर योगी सरकार सवालों के घेरे में है। ऐसे में योगी सरकार चाहे सीबीआई जांच की सिफ़ारिश कर दे या नार्को टेस्ट की बात कहे लेकिन जो सच खुलेआम दिख रहा है उसे कैसे झुठलाया जा सकता है।
अभियुक्तों को बचाने की कोशिश
एक ओर विपक्षी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के इकट्ठे होने पर धारा 144 के उल्लंघन की बात पर लाठीचार्ज हो रहा है और दूसरी ओर अभियुक्तों के समर्थन में बैठकें हो रही हैं, जिनमें माइक लगा है, कुर्सियां लगी हैं और बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं। योगी सरकार पर पहले दिन से लग रहे ये आरोप कि वह अभियुक्तों को बचाने की कोशिश कर रही है, इस तरह की घटनाओं से और मजबूत होते हैं।