श्रीलंकाई की लिंचिंग पाक के लिए शर्म का दिन, मैं जाँच की निगरानी करूंगा: इमरान
भारत में जिस तरह धार्मिक आधार पर लिंचिंग के मामले अक्सर आते रहे हैं, पाकिस्तान में भी वैसी ही लिंचिंग के एक मामले ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि पाकिस्तान में श्रीलंकाई नागरिक की लिंचिंग यानी पीट-पीट कर हत्या करने का मामला 'पाकिस्तान के लिए शर्म का दिन' है। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से उस भयावह 'विजिलेंट अटैक' की जाँच की निगरानी करेंगे।
The horrific vigilante attack on factory in Sialkot & the burning alive of Sri Lankan manager is a day of shame for Pakistan. I am overseeing the investigations & let there be no mistake all those responsible will be punished with full severity of the law. Arrests are in progress
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) December 3, 2021
इमरान ख़ान का यह बयान तब आया है जब पाकिस्तान के सियालकोट शहर में लोगों ने श्रीलंका के एक नागरिक को ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीट कर मार डाला और उसके बाद उसे आग के हवाले कर दिया। मृतक की पहचान प्रिया नाथ कुमारा के रूप में हुई है और वह सियालकोट में एक निजी फैक्ट्री में एक्सपोर्ट मैनेजर थे।
सोशल मीडिया पर कई वीडियो शेयर किए गए हैं जिनमें एक व्यक्ति का जला हुआ शरीर देखा जा सकता है। कुछ वीडियो में भीड़ एक व्यक्ति को जलाते हुए दिख रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि फैक्ट्री में अफवाहें चल रही थीं कि कुमारा ने ईशनिंदा की है।
भीड़ में कई लोग अपनी पहचान छिपाने की कोई कोशिश करते नहीं दिखे और कुछ ने तो जलती लाश के सामने सेल्फी ली। इधर, एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में पंजाब सरकार के प्रवक्ता हसन खरवार ने लाहौर में संवाददाताओं से कहा कि पुलिस पहले ही 50 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज की सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है क्योंकि हमें 48 घंटे के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
वैसे, पाकिस्तान में ईशनिंदा को लेकर कई रिपोर्टें देश से बाहर आती रही हैं जिसमें कई अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है। लेकिन, हाल में ऐसी भी रिपोर्टें आती रही हैं जिसमें नागरिक समाज तो ऐसी हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा ही रहा है, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे कट्टर लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में अहम भूमिका निभाई है। धार्मिक कट्टरता के ख़िलाफ़ और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करने वाला फ़ैसला देने के लिए पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट हाल में सुर्खियों में रहा था।
यह मामला पाकिस्तान में बीते साल हिंदू संत की समाधि और मंदिर पर हुए हमले से जुड़ा था। यह सुर्खियों में इसलिए रहा था कि इस मामले का वहां के सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने स्वत: संज्ञान लिया था और मंदिर को फिर से बनवाने का आदेश दिया था। मंदिर में कुछ कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ की थी।
उस मामले में चीफ़ जस्टिस ने मंदिर पर हमले के बाद यह आदेश भी दिया था कि मंदिर में जो नुक़सान हुआ है, उसकी भरपाई हमलावरों से ही की जाए। उन्होंने इस हमले को पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की वजह बताया था।
इस साल नवंबर में ये मंदिर और समाधि एक बार फिर से चर्चा में थे। इसकी वजह भी पाकिस्तान के चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ही थे। गुलज़ार अहमद दिवाली के मौक़े पर आयोजित एक कार्यक्रम में इस मंदिर में पहुंचे और इसका उद्घाटन भी किया था।
बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले लगातार आते रहे हैं। अप्रैल 2017 में गुस्साई भीड़ ने विश्वविद्यालय के छात्र मशाल खान को तब पीट-पीट कर मार डाला था जब उन पर ईशनिंदा सामग्री ऑनलाइन पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था। 2014 में पंजाब में एक ईसाई जोड़े को एक भट्ठे में जला दिया गया था, जब उन पर कुरान को अपवित्र करने का झूठा आरोप लगाया गया था।