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पाकिस्तान: कितनी ताक़तवर है आर्मी; क्यों है सियासत में इतना दखल?

पाकिस्तान: कितनी ताक़तवर है आर्मी; क्यों है सियासत में इतना दखल?

पाकिस्तान की आर्मी पर यह आरोप लगता रहा है कि उसका मुल्क की सियासत में सीधा-सीधा दखल है लेकिन क्या वाकई ऐसा है? 

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में इन दिनों एक बार फिर जबरदस्त गहमागहमी है। मुल्क के पूर्व वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान अपने समर्थकों के हुजूम के साथ लाहौर से राजधानी इस्लामाबाद की ओर कूच कर रहे हैं। इमरान खान अपनी तकरीरों में लगातार आर्मी चीफ जनरल क़मर जावेद बाजवा को निशाना बना रहे हैं। इमरान का कहना है कि उनकी सरकार को गिराने के लिए की गई साजिश में आर्मी शामिल है। 

पाकिस्तान का इतिहास देखें तो वहां आर्मी बेहद ताकतवर रही है। आमतौर पर किसी भी राजनेता ने आर्मी को लेकर इतना हमलावर रुख नहीं अपनाया, जितने हमलावर इमरान खान हैं। 

पाकिस्तान के बारे में कहा जाता है कि वहां सरकार आर्मी की इजाजत के बिना कुछ नहीं कर सकती। आर्मी की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आर्मी ने मुल्क के 2 बड़े नेताओं बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ को सत्ता से हटाने के बाद उन्हें देश से बाहर निकाल दिया था। 

पाकिस्तान की आर्मी पर यह आरोप लगता रहा है कि उसका मुल्क की सियासत में सीधा-सीधा दखल है लेकिन क्या वाकई ऐसा है। इसे समझने के लिए पाकिस्तान के इतिहास में जाना पड़ेगा। 

 - Satya Hindi

तीन बार तख्तापलट 

पिछले 75 साल में पाकिस्तान में चार आर्मी शासकों ने हुकूमत संभाली है और आर्मी ने तीन बार तख्तापलट किया है। सबसे पहले साल 1958 में जनरल अयूब खान ने सैन्य शासन लगा दिया था और राष्ट्रपति के पद पर कब्जा कर लिया था। तब पाकिस्तान में 44 महीने तक मार्शल लॉ लगा रहा था। जनरल अयूब खान 1969 में इस पद से हटे और उन्होंने अपनी जगह जनरल याहया खान को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। 

लेकिन 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध में मिली हार के बाद याहया खान को पद छोड़ना पड़ा था और बेनज़ीर भुट्टो को गद्दी सौंपनी पड़ी थी। 

पाकिस्तान में आर्मी ने दूसरी बार तख्तापलट 1977 में किया, जब जनरल जिया उल हक ने संसद को भंग कर दिया और बेनजीर भुट्टो को हाउस अरेस्ट करा दिया।

जनरल जिया उल हक ने 1985 में मोहम्मद खान जुनेजो को मुल्क का नया वज़ीर-ए-आज़म नियुक्त किया और वह खुद 1988 तक मुल्क के राष्ट्रपति बने रहे। 

साल 1999 में आर्मी ने एक बार फिर तख्तापलट किया जब जनरल परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन वज़ीर-ए-आज़म नवाज शरीफ को सत्ता से हटा दिया। शरीफ उस वक्त करगिल के युद्ध में मिली हार की वजह से आलोचना का सामना कर रहे थे। 

इस साल अप्रैल में जब इमरान खान को अपनी हुकूमत छोड़नी पड़ी थी तो यह कहा गया था कि आर्मी ने ही उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा था। लेकिन कहा जाता है कि इमरान को इस पद पर बैठाया भी आर्मी ने ही था।

बढ़ेगा टकराव?

इमरान खान जिस तरह लगातार देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ ही पाकिस्तानी आर्मी पर भी हमलावर हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में इमरान खान के समर्थकों और आर्मी के बीच टकराव बढ़ सकता है। ऐसे हालात में निश्चित रूप से ताकतवर आर्मी से पार पा पाना इमरान खान के लिए आसान नहीं होगा। 

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बिजनेस चलाती है आर्मी 

पाकिस्तान में आर्मी इतनी ताकतवर है कि वह देश के अंदर 50 से ज्यादा बड़े व्यवसाय चलाती है। दुनिया भर में केवल पाकिस्तान की आर्मी ही एक ऐसी आर्मी है जो अपने मुल्क़ के अंदर बिजनेस भी चला रही है। आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक, पाकिस्तानी आर्मी डेढ़ लाख करोड़ रुपए के बिजनेस चलाती है। 

निश्चित रूप से पाकिस्तानी आर्मी इस मुल्क के अंदर सबसे बड़ा बिजनेस घराना भी है और इस वजह से उसका सरकार और राजनीति के मामलों में अच्छा खासा दखल रहता है।

पाकिस्तान की आर्मी के पास 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीनें हैं। पाकिस्तानी आर्मी कैंट वाले इलाकों के साथ ही देश के बड़े शहरों के महंगे इलाकों में भी जमीनों के आवंटन का काम करती है। साल 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी आर्मी के पास स्विस बैंकों में भी अपने खाते हैं। 

पाकिस्तान में आर्मी के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं  पिछले 75 सालों में लगभग 72 सैन्य अफसर भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किए जा चुके हैं। 

इस बार पाकिस्तानी आर्मी की सीधी टक्कर मुल्क में बेहद लोकप्रिय और पाकिस्तान को विश्व कप जिताने वाली टीम के कप्तान इमरान खान से है। देखना होगा कि इमरान खान और पाकिस्तानी आर्मी की लड़ाई कोई बड़ा रूप लेगी या इस मामले का कोई समाधान निकल आएगा।  

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